Monday, April 29, 2024
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ऐसा एक मंदिर जिसे भूतों ने किया है तैयार

भूतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है भगवान शिव का यह मंदिर
कानपुर, महेन्द्र कुमार। सावन मास में देश में कई शिव मन्दिर श्रद्धा के केन्द्र बने हुए हैं। ऐसा ही एक मंदिर कानपुर के हसनपुर इलाके में स्थित है जहां सावन में पूजा करने वाले लोगों की श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। नाम की तरह इस मंदिर का इतिहास भी बड़ा ही अनोखा है, इलाकाई लोगों की माने तो इस मंदिर का निर्माण किसी राजा या किसी देवता ने नहीं बल्कि भूतों के हाथो हुआ हो। सुनने में शायद ये थोड़ा अजीब ही लगे पर अगर इनकी बातो को माना जाये तो यह एक ऐसा सत्य है। जिस पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है पर ऐसी किंवदंतिया है कि इस मंदिर का निर्माण रातो – रात भगवान शंकर के प्रिय भूतों द्वारा हुआ था इसलिए इस मंदिर को भूतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।
मंदिर के महंत श्री संतोष गीरी जी का कहना है कि वह पीढ़ियों से इस मंदिर की देखरेख करते चले आ रहे है। मंदिर में रोजाना सुबह 5 बजे महादेव की आरती होती है जिसमे सैकड़ो भक्त शामिल होते है। इस मंदिर की मान्यता है कि जिन लड़के – लड़कियों की शादी होने में परेशानी आती है अगर वह 16 सोमवार को मंदिर में जल चढ़ाये तो उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। और मनोकामना पूर्ण होने के बाद भक्तगण मंदिर के प्रांगण में घण्टा बांधते है। मंदिरों में लगे यह सैकड़ों घंटे वो घंटे है जिनको भक्तगण अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद बाँधते चले आ रहे है। मंदिर के इतिहास के बारे में उनका कहना है की यह मंदिर हजारो वर्ष पुराना है और इसका निर्माण भगवान शिव के प्रिय भूतों के हाथों हुआ है, उन्होंने बताया कि पहले मंदिर में दो सुरंगे भी थी जिसमे से एक रावतपुर क्षेत्र में और दूसरी बिठूर क्षेत्र में खुलती थी। रावतपुर के राजा की रानी रौतेला इन्ही सुरंगो से भूतेश्वर महादेव की पूजा करने आती थी। रानी रौतेला बहुत सुन्दर थी इसी कारण कि उन्हें कोई देख न सके रावतपुर राजा ने रानी के लिए दो सुरंगो का निर्माण कराया था जिनके अवशेष आज भी मौजूद है। मंदिर के पास ही यहां के पहले संत की समाधी भी है, लोग अगर उनकी समाधी के भी दर्शन करते है तो उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है। यूँ तो इस मंदिर में हमेशा ही भक्तों की भीड़ रहती है पर सावन और शिवरात्रि के समय भक्तों की संख्या काफी बढ़ जाती है।