स्मिता बंसल (सोनी सब के ‘अलादीन: नाम तो सुना होगा’ की अम्मीय)
हर किसी की जिंदगी में मांओं का एक खास स्थाान होता है और मुझे ऐसा लगता है कि हमारी व्यमस्तम जीवनशैली, में एक ऐसा दिन है जहां सारा परिवार एक साथ मिलकर मांओं को शुक्रिया कहता है। इस दिन को मनाने का मेरी दोनों ही बेटियों का एक अलग ही तरीका है। मेरी छोटी बेटी को कुछ खास तोहफा देना जैसा कोई कार्ड और केक देना पसंद है। वहीं दूसरी तरफ मेरी बड़ी बेटी बोलकर अभिव्यटक्तस करती है और अपनी बातों से मुझे स्पेहशल महसूस कराती है। ये छोटी-छोटी बातें मेरे जीवन की सच्चीी खुशियां हैं। परदे पर मेरे बेटे की भूमिका निभा रहे सिद्धार्थ भी अपने व्यटवहार से मुझे खास महसूस कराते हैं। मैं सचमुच उनकी बहुत चिंता करती हूं और सेट पर भी स्वाधभाविक रूप से उन पर ध्यामन चला जाता है। मुझे ऐसा लगता है कि मैं उन्हें अच्छीर तरह समझती हूं, क्योंयकि वह मेरी बेटी के उम्र के ही हैं।
जब मैं बड़ी हो रही थी, मैं हमेशा ही कहती थी कि मैं अपनी मां जैसा नहीं होना चाहती हूं, लेकिन अब जबकि मैं खुद एक मां हूं, अब मुझे यह बात समझ में आ गयी है कि क्यों वह हमारे खाने-पीने को लेकर इतनी सख्तख थीं और क्योंक हमेशा मुझे कुछ अलग तरह की स्किल सीखने के लिये प्रेरित करती रहती थीं। इससे पहले मैं इस बात को नहीं समझ पायी थी लेकिन अब मैं खुद भी अपने बच्चों के साथ वही कर रही हूं। मेरी मां अनुशासनप्रिय हैं और जब मैंने सोचा था कि मैं एक एक्ट्रेभस बनना चाहती हूं तो मैंने उम्मीूद नहीं की थी कि वह मेरा साथ देंगी। मेरी मां की उस ‘हां’ की वजह से ही मैं इस इंडस्ट्री में हूं और मैं अपने जुनून को आगे बढ़ा पायी।
इस लॉकडाउन ने मेरे परिवार को बेहद करीब ला दिया है और मैं सभी लोगों से आग्रह करना चाहूंगी कि इन कीमती पलों को जी भर कर जियें। साथ ही एक परिवार के रूप इस समय को संजोयें। बाहर काम करने वाली मांओं से मैं यह कहना चाहूंगी कि अपने बच्चोंा के साथ ज्याूदा वक्तं ना बिता पाने का अपराध बोध महसूस ना करें, क्योंचकि आपका काम है बच्चों के साथ ज्याादा से ज्या दा क्वाालिटी टाइम बिताना। सभी मांओं को ‘हैप्पीभ मदर्स डे’।
कृष्णाड भारद्वाज (सोनी सब के ‘तेनाली रामा’ के पंडित रामा कृष्णाय)
मांओं का तो हर दिन ही शुक्रिया करना चाहिये लेकिन इस दिन वह कुछ खास पाने की हकदार हैं। मेरे थियेटर के दिनों से ही मेरे कॅरियर में मेरी मां का बहुत बड़ा योगदान रहा है। मुझे याद है जब मैं अपने कॅरियर में संघर्ष कर रहा था तो उन्हों ने पैसों की मदद देकर मुझे सपोर्ट किया था।
मां से जुड़ी दिल छू लेने वाली सबसे अच्छीे यादें बचपन के दिनों की हैं। मुझे आज भी याद है, बिस्तसर के पास लीकेज था और मैं अच्छीे तरह और सुरक्षित रूप से सो सकूं, उन्होंने मुझे वहां कभी सोने नहीं दिया। यह एक मां के नि:स्वाअर्थ प्रेम को दर्शाता है।
अब जबकि हम सब अपने-अपने घरों में बंद हैं, मुझे उनकी बहुत याद आ रही है कि मैं उनसे मिल नहीं पा रहा हूं और उनके हाथों के बने स्वाादिष्टे खाने का स्वाझद नहीं ले पा रहा हूं, जो वह मेरे लिये पकाती हैं। खासकर गट्टे की सब्जीक, दाल बाटी चूरमा, सत्तूा के पराठे और काफी सारी चीजें हैं। मुझे उनसे मिलने का बेसब्री से इंतजार है जब यह लॉकडाउन खत्मे हो जायेगा। और मैं उन्हेंख कोई ज्वैतलरी देना चाहता हूं क्योंनकि यह उन्हेंर बहुत पसंद है। इस मुश्किल घड़ी में मांओं की जिम्मेेदारी और ज्या दा बढ़ गयी है और मुझे यह देखकर बहुत खुशी महसूस होती है कि आजकल के बच्चे घर के कामों में अपनी मांओं का हाथ बंटा रहे हैं। ये बच्चेक इस बात को भी अच्छीा तरह समझते हैं कि उनकी मांएं कितनी मेहनत कर रही हैं। मैं अपने सभी फैन्स तथा दर्शकों से कहना चाहूंगा कि भले ही कोई छोटी सी चीज करके लेकिन अपनी मांओं के लिये इस दिन को खास बनायें और अपनी जन्मतदात्री का आभार व्योक्तर करें। सबको ‘मदर्स डे’ की शुभकामनाएं।‘’
सोनाली नाईक (सोनी सब के ‘मैडम सर’ की पुष्पाी)
मां के प्या र से बड़ा कोई प्या‘र नहीं होता। मांएं सही मायने में नि:स्वा्र्थ प्रेम और ताकत का प्रतिबिंब होती हैं। बचपन में मैंने अपनी मां को उन सारी मुश्किल परिस्थितियों में मदद करते हुए देखा है ताकि उनके बच्चोंा को किसी तरह की परेशानी ना उठानी पड़े। उस समय उन बातों को समझने के लिये मैं बहुत छोटी थी, लेकिन मैंने सच्चेत प्या र की ताकत देखी है और किस तरह वह अपने बच्चोंै के लिये ढाल बनकर खड़ी रही हैं, मैंने देखा है।
उन पलों के बारे में सोचते हुए मुझे वह समय याद आ गया जब मेरी बेटी ने मेरे लिये एक चिट्टी लिखी थी, यह 16 साल पुरानी बात है, जब उसने मुझे रोते हुए देखा। उसने लिखा था,’मां आप रोओ मत। आप रोयेंगी तो मैं रोऊंगी’, उस बात ने मुझे बहुत ही भावुक कर दिया था और साथ ही एक मां होने की बेहद खुशी भी महसूस हुई थी। इस समय हम सभी अपने घरों में हैं, जिससे हमें एक साथ बिताने के लिये जरूरी समय मिल गया है।
इस ‘मदर्स डे’ पर हम एक साथ मिलकर लूडो या कार्ड खेलने के रोजाना वाले रूटीन का पालन करना ही पसंद करेंगे और लजीज खाना खायेंगे। मैं वाकई बेहद खुशकिस्मडत हूं कि अपनी बेटी के साथ मैं यह क्वाेलिटी टाइम बिता रही हूं। यह वक्तम हमें और करीब ले आया है। सभी मांओं को ‘हैप्पीट मदर्स डे’।
अक्षिता मुद्गल (सोनी सब के ‘भाखरवड़ी’ की गायत्री)
ऐसा कौन है जो मां का मोल लगा पायेगा? मुझे लगता है कि यह असंभव है। मेरी मां ने मेरे कॅरियर में सबसे ज्याकदा मेरा साथ दिया है। मुझे याद है जब मेरी मां मेरा खाना बनाने के लिये सुबह 5 बजे उठा करती थीं, ताकि मैं सेट पर बाहर का खाना ना खाऊं। मांएं बिना किसी उम्मी द के अपने परिवार के लिये काम करती रहती हैं।
आज के समय में जब हम सभी व्य स्तक जिंदगी जी रहे हैं, ऐसे में ‘मदर्स डे’ एक ऐसा समय होता है जब हम अपनी मांओं को स्पेयशल महसूस कराने के लिये थोड़ी ज्यािदा कोशिश कर सकते हैं। हम इस बात को समझते हैं कि वह हमारे लिये कितना महत्वश रखती हैं, फिर भी इस दिन हमारी तरफ से एक छोटा-सा ‘थैंक यू’ देकर उन्हेंम स्पे शल महसूस करा सकता है। अपनी मां को खुशी और खास महसूस कराने की एक छोटी-सी खुशी के लिये मुझे ‘मदर्स डे’ मनाना पसंद है, क्योंाकि आज मैं जो कुछ भी हूं उनके सपोर्ट की वजह से हूं। मेरे सभी ऑडिशन, मेरे बुरे और अच्छे दिनों में मेरे वह मेरे साथ थीं। उन्होंंने मेरे सफर में मुझसे ज्या दा संघर्ष किया है।
लॉकडाउन एक ऐसा समय है जब सबको पूरे दिन अपने परिवार के साथ रहने का समय मिला है। इस दौरान, जब मैं अपनी मां को रात-दिन अपने परिवार के लिये काम करते हुए देखती हूं तो मैं उन्हें सलाम करना चाहती हूं। लोगों ने काम करना बंद कर दिया है और घर पर हैं लेकिन मांओं का काम बंद नहीं हुआ है। मेरी बहन और मैं उन्हें काम नहीं करने को कहते हैं और उन्हें जबर्दस्ती आराम करने को भेजते हैं लेकिन वह हमें कहती हैं कि उनसे यह ना कहें कि काम करना बंद कर दो। इसंलिये, लोगों को इस समय का ज्याेदा से ज्याभदा उपयोग करना चाहिये और अपनी मांओं के साथ थोड़ा क्वाोलिटी टाइम बिताना चाहिये। जब सब चीजें सामान्यय हो जायेंगी, तो भी लोगों को काम से घर लौटने के बाद अपनी मां से पूछना चाहिये कि उनका दिन कैसा बीता। ऐसा कहा गया है कि ‘मांएं ईश्वेर का रूप होती हैं और मैं सचमुच मानती हूं कि मेरी मां मेरी भगवान हैं। मैं दुनिया की सभी मांओं को सलाम करती हूं और उनसे ‘हैप्पी मदर्स डे’ कहना चाहती हूं।
वंश सयानी (सोनी सब के ‘बालवीर रिटर्न्सत’ के विवान)
‘मदर्स डे’ मेरे लिये बेहद खास दिन है, क्योंचकि यह ऐसा दिन होता है जब हम अपनी मांओं को खास महसूस करा सकते हैं। आज मैं जहां भी हूं अपनी मां की वजह से हूं। वह सारी बातों का ध्याान रखती हैं, जिसमें मेरी शूटिंग और मेरी पढ़ाई शामिल है। वह इस बात का ध्यावन रखती हैं कि मुझे तनाव ना हो। मुझे याद है जब मुझे अपना पहला शो मिला था, मैं बहुत ही खुश था और मेरी मां मुझे टेलीविजन पर देखने के लिये मुझसे भी ज्याेदा खुश थीं। वह मेरे लिये खास पल था, मैं अपनी मां को अपनी सफलता की वजह से खुश देख रहा था।
इस ‘मदर्स डे’ मैं अपनी मां के लिये कार्ड बनाकर उन्हेंज सरप्राइज देने वाला हूं। मैं ड्राइंग में बहुत बुरा हूं, लेकिन इस लॉकडाउन ने मुझे इस पर काम करने के लिये थोड़ा ज्या दा समय दिया और मुझे पूरा विश्वादस है कि इस साल मैं उनके लिये वाकई एक अच्छान कार्ड बना पाऊंगा। इस समय का उपयोग मैं अपनी मां की हर काम में मदद करने में कर रहा हूं, खाना बनाने से लेकर घर की साफ-सफाई तक।