Monday, April 29, 2024
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छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति नियमावली में बदलाव

कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ पाने के लिए अब सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को कम से कम 60 प्रतिशत अंक लाने होंगे। तमाम स्थितियों को देखते हुए समाज कल्याण विभाग छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना की नियमावाली में बदलाव करने जा रहा है। निदेशालय ने अर्हता का प्रतिशत बढ़ाने समेत अन्य सिफारिशों संबंधी प्रस्ताव शासन को भेज दिया है, जहां से अंतिम फैसला लिया जायेगा।
सूत्र बताते हैं कि सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए कम मिले बजट की वजह से पात्रता कम से कम हो इसलिए यह प्रतिशत बढ़ाया जा रहा है। बीते साल सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के लिए करीब 850 करोड़ रुपये का बजट था। इस पर भी विभाग सामान्य वर्ग के तकरीबन चार लाख विद्यार्थियों को पात्रता के बावजूद स्कॉलरशिप नहीं दे पाया था। इस बार यह बजट घटकर केवल 500 करोड़ रुपये ही रह गया है। ऐसे में जाहिर है कि बीते साल से भी कम संख्या में विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप और शुल्क प्रतिपूर्ति दी जा सकेगी। ऐसे में यह बदलाव लाजिमी माना जा रहा है। अब स्कॉलरशिप और शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए अर्हता का प्रतिशत 50 से बढ़ाकर 60 कर दिया जायेगा। इससे कम संख्या में छात्र आवेदन करेंगे और पहले की अपेक्षा कम आवेदन आने पर विभाग को कुछ राहत मिलेगी।
छात्राओं को वरीयता-
विभाग यह तय करने जा रहा है कि छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति पर पहला हक छात्राओं का होगा। दिव्यांग विद्यार्थियों को भी प्राथमिकता में ऊपर रखा जायेगा। इनको भुगतान करने के बाद जो रकम बचेगी उससे सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति की जायेगी।
जारी होगी यूनिवर्सल गाइडलाइन-
समाज कल्याण विभाग, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में स्कॉलरशिप और शुल्क प्रतिपूर्ति के नियम अलग-अलग हैं। इसीलिए एक जैसे ही नियम सभी विभाग अमल में लायें इसलिए समाज कल्याण विभाग यूनिवर्सल गाइडलाइन सभी विभागों को जारी करने जा रही है। संयुक्त मेरिट लिस्ट बनने से अब सरकारी व निजी दोनों कॉलेजों के छात्र मेरिट के आधार पर योजना का लाभ पायेंगे। पहले के नियमों से निजी कॉलेजों के बहुत कम छात्रों को लाभ मिल पाता था क्योंकि सरकारी व प्राइवेट शैक्षिक संस्थानों की अलग-अलग मेरिट लिस्ट बनती थी। सबसे पहले सरकारी विश्वविद्यालय, कॉलेज व संस्थान के छात्र-छात्राओं की शुल्क प्रतिपूर्ति होती थी। इसके बाद जब बजट बचता था तब निजी कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को योजना का लाभ मिलता था। इसके लिए समाज कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति नियमावली में बदलाव किया जा रहा है।