Wednesday, July 3, 2024
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हल्के भूकम्पों की अनदेखी कहीं भारी न पड़ जाए

दिल्ली में लगातार बीते दो महीनों में 14 बार भूकम्पीय झटके लगे हालांकि इन झटकों से किसी भी प्रकार के जान-माल का खतरा नहीं हुआ है क्योंकि यह भूकम्पीय झटके रिक्टर पैमाने पर बहुत हल्के तौर पर अंकित किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलाजी ने बताया सोमवार को दोपहर एक बजे के लगभग दिल्ली एनसीआर में फिर से भूकम्पीय झटके महसूस किए गए हालांकि इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 2.1 आंकी गई जो कि बहुत हल्की तीव्रता थी। इस भूकम्प का केंद्र दिल्ली-गुरुग्राम बार्डर था इसकी गहराई 18 किलोमीटर बताई गई है। गौरतलब है कि दिल्ली एनसीआर में अप्रैल माह से अब तक लगभग दर्जनों मध्यम व निम्न तीव्रता वाले भूकम्प के झटके महसूस किए गए हैं हालांकि इससे किसी के भी हताहत होने की कोई सूचना नहीं मिली है।
इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि इन भूकम्पीय झटकों को हल्के में लेना एक बड़ी भूल होगी हो सकता है कि ये भूकम्पीय झटकें बड़ी तबाही की तरफ एक इशारा भी हो सकते हैं इसके लिए शतर्क रहने की जरूरत है । कहीं कोरोना जैसी महामारी वाला हस्र न देखने को मिल जाए अगर कोरोना पर पहले से तैयारी की गई होती तो आज हालात कुछ अलग होते उसी प्रकार हमें इन हल्के भूकम्पीय झटकों को अनदेखा नहीं करना चाहिए कहीं ऐसा न हो कि यही हल्के झटके कभी बड़ा रूप ले लें जो मानव जाति के लिए घातक सिद्ध हो ।
विशेषज्ञों का मत है कि अभी तक ऐसी कोई मशीन नहीं बनी जो भूकम्प की भविष्यवाणी कर सके ऐसे में इन भूकम्पीय झटकों को एक चेतावनी के रूप में देख सकते हैं। साथ ही चेतावनी स्वरूप भविष्य में 6.5 रिक्टर तक भूकम्प आने की संभावना जताई है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली एनसीआर की ज्यादातर इमारतें भूकम्पीय जोन 4 को झेलने में सक्षम नहीं है ऐसे में बहुत गंभीर भूकम्प जोन 5 के झटकों को कैसे झेल पाएंगी हालात के मद्देनजर इन हल्के झटकों को नजरअंदाज करना खतरे से खाली नहीं है। हालांकि दिल्ली में अब चार बार ही 6 रिक्टर पैमाने के भूकम्प आए हैं यह कहना मुश्किल है कि यह हल्के झटके कब बड़ा रूप धारण कर लें उससे पहले हमारी सतर्कता बेहद जरूरी है।
गौरतलब है कि आज परिस्थितियां बिल्कुल विषम चल रही हैं एक तरफ कोरोना महामारी के चलते सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था जहाँ चरमाराई हुई है वहीं दूसरी तरफ प्राकृतिक प्रकोपों की बारम्बारता भी चरम पर है उड़ीसा व पश्चिम बंगाल के तट पर अम्फान तूफान, महाराष्ट्र व गुजरात के तट पर निसर्ग तूफान, बिना समय बारिश व ओलों का कहर झुठलाया नहीं जा सकता है कहीं यह भूकम्पीय झटके भी प्रकृति की तरफ से मानव जाति के लिए एक असंतुलन का संदेश तो नहीं। कहा जाता है कि जब बुरा वक्त आता है तो चारों तरफ़ से घेरकर आता है ऐसे में इन सभी घटनाओं के मद्देनजर हमें सतर्क रहने की जरूरत है इन घटनाओं को सिरे से खारिज कर देना घातक हो सकता है।
वहीं विशेषज्ञों की एक टीम ने अपने रिसर्च के बाद कहा है कि दिल्ली एनसीआर में इन हल्के भूकम्पों की बारम्बारता दिल्ली-हरिद्वार रिज में खिंचाव के कारण देखने को मिल रही हैं जिसकी आगे भी जारी रहने की संभावना है। इससे यह कहना मुश्किल नहीं होगा कि हिमालय श्रेणी में एक बड़े भूकम्प के आने के संकेत हैं जिससे आस-पास के इलाकें भी प्रभावित होंगी और दिल्ली उससे अछूता बिल्कुल नहीं रहेगा। इससे यह बात तो बिल्कुल साफ है कि मानव और प्रकृति के सम्बन्धों के बीच मैत्रीपूर्ण भाव का लोप हो चला है जिसने प्रकृति में असंतुलन की स्थिति को जन्म दिया है और यह कहा जाता है कि प्रकृति में जब-जब असंतुलन की स्थिति आती है प्रकृति उसे संतुलित करने को पूर्ण प्रतिबद्ध है । फिर वह यह नहीं देखती कि सामने इंसान है या सामान वह अपना कार्य करती ही करती है ऐसे में हमारी सतर्कता ही हमारी रक्षा कर सकती है। इस हल्के भूकम्पीय झटकों को प्रकृति का एक संदेश मानकर हमें जरूरत है तैयार होने की कहीं इसको नजरअंदाज करना हमें भारी न पड़ जाए।
मिथलेश सिंह ‘मिलिंद’