Thursday, May 16, 2024
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आयकर दिवस के उपलक्ष्य में आयकर विभाग के स्वर्णिम 160 वर्ष की यात्रा

भारत में आयकर का इतिहास वैदिक काल से ही चला आ रहा है। आयकर का विवरण हमारे प्राचीन ग्रंथो में भी मिलता है। मनुस्मृति के अनुसार राजा कर लगा सकता था। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी आयकर का उल्लेख किया गया है। इस अर्थशास्त्र के मुताबिक़ राजा राजकोष को मज़बूत करने और प्रजा के कल्याण के कार्यों के लिए कर वसूल कर सकता था। श्रीमद्भागवत में भी कर वसूलने का ज़िक्र किया गया है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में कर को वसूलने के लिए एक व्यवस्था का भी ज़िक्र किया गया है। वैदिक काल में राजा अपनी प्रजा से कर के रूप में लगान वसूल करते थे।
सन् 1857 की क्रान्ति के बाद जब ब्रिटिश राज्य ने भारत में अपना राज-पाठ संभाला था। फरवरी 1860 में पहला बजट जेम्स विल्सन द्वारा पेश किया गया था और तभी से आयकर का कानून भी लाया गया था। उस समय 200 रूपये से ज़्यादा की कमाई पर इन्कम टैक्स लगाया जाता था। इस टैक्स में पुलिस और सेना को टैक्स की छूट दी गई थी। 1860 में 200 से 500 रुपये पर 2% और 500 रुपये से ज़्यादा की कमाई पर 4% का क्र लगाया जाता था। ब्रिटिश सरकार ने सन् 1922 में नया इन्कम टैक्स कानून बनाया और इसके साथ ही आयकर विभाग भी बनाया गया। उसी वर्ष से आयकर विभाग की कहानी शुरू हुई और आयकर अधिकारियों की भर्ती भी शुरू की गई। सन् 1946 में पहली बार परीक्षा के माध्यम से आयकर अधिकारियों की भर्ती की गई थी जिसे भारत की आज़ादी के बाद सन् 1953 में भारतीय राजस्व सेवा यानि आई आर.एस. सेवा का नाम दिया गया। भारत में सन् 1963 तक आयकर विभाग के पास संपत्ति कर, सामान्य कर, प्रवर्तन निदेशालय के सभी प्रशासनिक कार्य थे लेकिन 1963 में राजस्व अधिनियम के तहत देश में वित्त मंत्रालय के आधीन केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड बनाया गया। भारत में वैसे तो सन् 1961 में आयकर एक्ट लागू किया गया जिसमे अबतक कई सुधार किए गए हैं। सन्  1970 में टैक्स वसूल करने की प्रक्रिया में बदलाव कर सन् 1972 में टैक्स वसूली के लिए नया सिस्टम लाया गया और आयकर विभाग में आयकर आयुक्त यानि कमिशनरों की नियुक्ति की गई।
सन् 1860 में इन्कम टैक्स के बाद से सरकार इस अधिनियम के तहत कर वसूल कर रही है। 1860 में 30 लाख रुपये टैक्स वसूल किया गया। सन् 1866-87 में यह 1.36 करोड़ रुपये जो सन् 1914-15 बढ़कर 3.05 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। सन् 1918-19 में यह में यह कर संग्रह लगभग 11 करोड़ रुपये था। सन् 1939-40 में कर में कर संग्रह 19.82 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। वर्ष 1939 में सरकार ने अय्यर कमिटी की सिफारिश पर विभाग में सहायक आयुक्तों को दो तरह की नियुक्ति की जिन्हे निरीक्षक सहायक आयुक्त और अपीलय सहायक आयुक्त कहा जाता था और यह पद सन् 1941 से सेवा में लाये गए थे। इसके उपरान्त सन् 1946 में पहली बार प्रशासकीय बदलाव के बाद आयकर विभाग में आयकर आयुक्त ग्रेड-1 में 5 पद, ग्रेड-2 में 6 पद सृजत किये गए तथा अपीलय सहायक आयुक्त के 19 और निरीक्षक सहायक आयुक्त के 27 पदों के साथ आयकर अधिकारी ग्रेड-1 में 144 और ग्रेड-2 में 131 पद, ग्रेड -3 में 277 के साथ-साथ आयकर निरिक्षक के 172 पद बनाये गए। सन् 1945-46 में कुल कर संग्रह 57.12 करोड़ रुपये रहा। भारत में आगे चलकर आयकर विभाग के लगातार संग्रह में वृद्धि होने से सरकार ने इस विभाग पर ध्यान देना शुरू किया और विभाग में अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाया गया। सन् 1959 में विभाग लगभग 20 हज़ार अधिकारी और कर्मचारियों की संख्या थी जो सन् 1950 में करीब 10 हज़ार थी। सन् 1960 के विभाग में लगभग 288 करोड़ रुपये का कर संग्रह करके भारत सरकार के ख़ज़ाने में जमा किये। सन् 1970 में विभाग में कई बदलाव किये गए थे। सन् 1973 में 29 नए कर आयुक्तों के पद सृजत किये गए जो सन् 1976 से सेवा में आ सके। वर्ष 2000 में विभाग के कैडर री-स्ट्रक्टरिंग की गई एवं पुनः वर्ष 2013-14 में विभाग का री-स्ट्रक्टरिंग और पुनर्गठन किया गया। काम के बढ़ते बोझ एवं कर संग्रह को बहदाने के लिए इसके बाद सरकार ने 20000 नए पद सृजित किये। अभी विभाग में आयकर अधिकारियों और कर्मचारियों की कुल स्वीकृत पदों की संख्या 76000 है।
वर्ष 2000 से विभाग कई सारे बदलाव किये गए जिसमे मुख्यता विभाग में कम्पूटरी करण करना शामिल था। विभाग ने अपनी एक वेबसाइट 2003 में चालू की। टीडीएस के लिए टेन नंबर जारी किया जिससे टीडीएस काटने के लिए यह नंबर लेना ज़रूरी कर दिया गया। विभाग में टैक्सनेट भी बनाया गया। ई-पेमेंट, ई-फाइलिंग ऑफ रिटर्न 2006-07 से चालू किया गया और सभी तरह के कर निर्धारण को कंप्यूटर के द्वारा किया जाने लगा। अब सब तरह की आयकर रिटर्न को ऑन लाइन सिस्टम से ही भरा जा सकता है।
विभाग में बेंगलुरु में एक सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) बनाया गया है जहां पूरे देश की आयकर रिटर्न की प्रोसेसिंग ऑन लाइन सिस्टम द्वारा की जाती है। इसी के साथ वैशाली, गाज़ियाबाद में टीडीएस का सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर चालू किया गया है जहां से सभी टीडीएस सम्बंधित कार्य किये जाते हैं। विभाग में करदाताओं को और सुविधा प्रदान करने व उनकी शिकायतों को कम करने के लिए भी कई सुधारपूर्ण कार्य किये गए। इसमें आयकर सेवा केंद्र की शुरुआत की गई जहां करदाताओं को अपनी सभी शिकायतों को दर्ज कराने की सुविधा दी गई है। आयकर विभाग ने जल्द आयकर रिफंड करदाताओं को देने के लिए रिफंड बैंकर स्कीम शुरू की जिसके तहत करदाताओं को उनका रिफंड सीधा उनके बैंक अकाउंट में दिया जाने लगा।
करदाताओं में विश्वास और कर चोरी को कम करने के लिए भी सरकार और आयकर प्रशासन ने लगातार कई कदम उठाये हैं। कर अधिनियमों को आसान और आयकर रिटर्न के कार्य इत्यादि को सरल बनाया गया है। टैक्स स्लैब अर्थात आयकर की दर को भी काफी कम किया गया है। आयकर विभाग में पारदर्शिता लाने के लिए भी बहुत सारे कदम उठाये गए हैं। देश में अभी जो कर संग्रह है वह हमारे बजट का लगभग 55% तक है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है।
आयकर विभाग के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी सरकार के दिए गए कर लक्ष्य को पूरा करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं। एक ओर जहां देश के जवान हमारी सरहदों की रक्षा के लिए दिन-रात पहरा देते हैं उसी प्रकार इस विभाग के अधिकारी और कर्मचारी दिन-रात काम करके देश की उन्नति और प्रगति के लिए कर संग्रह करते हैं। आज देश में बढ़ती कर चोरी से विभाग, कर चोरों को पकड़ने की कोशिश करता रहता है। देश में क्रिमिनल छवि के कई करदाताओं से कर इकट्ठा करना अपनी जान को जोखिम में डालने जैसा होता है।
वर्ष 2010 में आयकर विभाग को ‘प्राइम मिनिस्टर अवॉर्ड’ आईटीडीएमएस के तहत कुशल प्रशासन के लिए दिया गया था। उसी वर्ष ही सीपीसी बेंगलुरु को ‘गोल्ड अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन गवर्नमेंट प्रोसेस री-इंजीनियरिंग’ के लिए दिया गया। आयकर सेवा केंद्र पूणे और कोची को भी बीआईएस ने आईएस 15700 की मान्यता का प्रमाण पत्र जारी किया। देश की उन्नति के लिए आयकर विभाग का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है। तमाम देश की परियोजनाएं, रक्षा योजनाएं एवं कल्याणकारी योजनाओं को पूरा करने के लिए राजस्व संग्रह का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है।
आयकर दिवस के उपलक्ष्य में 
कामरेड अशोक कनोजिया (एडिटर-आयकर नामा एवं पूर्व अध्यक्ष-आयकर कर्मचारी महासंघ) एवं कामरेड शरद प्रकाश अग्रवाल (सक्रिय सदस्य-आयकर राजपत्रित अधिकारी संघ एवं संयोजक-सेंट्रल गवर्नमेंट आफीसर्स एंड इम्प्लॉइज वेलफेयर फेडेरेशन, उ0प्र0) के प्रेस बयान द्वारा आयकर विभाग के स्वर्णिम 160 वर्ष की यात्रा पर आयकर परिवार में वर्तमान में सेवारत और सेवानिवृत सभी लोगों को अपनी शुभकामनाएं प्रदान की गयी।