Thursday, July 4, 2024
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धन संचय की आदत

धन का हम सभी के जीवन में बहुत महत्त्व है। धनाभाव में किसी का जीवन सुचारू रूप से नहीं चल पाता और इसके बिना व्यक्ति को आज के समाज में पर्याप्त मान प्रतिष्ठा भी नहीं मिलता। यहां मैं यह भी ध्यान देने योग्य है कि किसी भी व्यक्ति को सामाजिक मान प्रतिष्ठा सिर्फ धन से ही नहीं मिलता अपितु इसके लिए श्रेष्ठ गुणों का होना भी आवश्यक होता है पर इन अच्छे गुणों के बावजूद व्यक्ति का धनी होना भी बहुत आवश्यक होता है।
किसी किसी को धन विरासत में मिला होता है पर सभी लोग पैदाइशी अमीर नहीं होते बल्कि उसके लिए धन का संचय करना पड़ता है। दुनिया में अधिकतर लोग धन संचय और मेहनत के अच्छी आदतों के कारण ही धनवान बने हैं। ये धन संचय की आदत नहीं व्यक्ति में अचानक विकसित नहीं हो सकता अपितु इसके लिए बहुत कोशिश करनी पड़ती है और बहुत सारे लोग तो चाह कर भी इस अच्छी आदत को अपनाने में असफल रहते हैं। ऐसे व्यक्ति मुश्किल वक्त में धन संचय ना करने और अपनी फिजूलखर्ची पर अफ़सोस करते रहते हैं।
धन संचय से यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि व्यक्ति आवश्यकता से अधिक कृपण बन जाए और जीवन के उत्साह और आंनद से अपने परिवार को वंचित रखे। धन संचय प्रति दिन के खर्चों से और कुछ फिजूलखर्ची से कटौती कर के भी किया जा सकता है। उदारणार्थ- जब तब ऑनलाइन अनावश्यक कपडे या सामान को ऑर्डर तथा घर के खाने के बजाए अधिकतर बाहर कुछ खाना और घर में बच्चों को अत्यधिक हाथ खर्च देने कैसे कार्यों पर थोड़ा बहुत रोक लगा कर फिजूलखर्ची से बचा जा सकता है। कुल मिला कर हमें धन संचय के लिए हमें अपने खर्चों पर ध्यान देने की जरूरत है।
सबसे अधिक धन संचय की आवश्यकता हमें अपने वृद्धावस्था के लिए है। चाहे हमारे बच्चे कितने भी आज्ञाकारी और नेक विचार के हों पर फिर भी भविष्य में वो किस वातावरण के अनुकूल कैसे स्वभाव को ग्रहण करे इसे कोई नहीं जानता।
अतः वृद्धावस्था में किसी के बच्चों का नेक स्वभाव यदि प्रवर्तित हो जाए और माता पिता उन्हें बोझ लगने लगें तो अपनी आवश्यकता के लिए अपने ही संतान के समक्ष लाचारी के भाव से हाथ पसारने से बचने के लिए तथा वर्तमान समय के लॉकडाउन जैसे अति मुश्किल वक़्त में खाने पहनने और इलाज के लिए भी धनाभाव जैसे समस्या से जूझना ना पड़े इसके लिए हम सब को धन संचय के अच्छी आदत को विकसित और स्वीकार करना होगा…..।