हमीरपुर, अंशुल साहू। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते कमजोर वर्ग के लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ी है। काम के अभाव के साथ-साथ इनके घरों में कुपोषण ने भी दस्तक दी। दुधमुंहे मासूम बच्चे इसकी चपेट में आए तो जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) ने फिर से इन फूल से चेहरों को चमकाने में जुट गए। अप्रैल से लेकर अगस्त माह तक एनआरसी ने 32 कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाकर उनके चेहरों पर मुस्कान लौटाने का कार्य सराहनीय कार्य किया है। कुरारा ब्लाक के शिवनी गांव के रामभजन की एक साल की पुत्री अनुष्का को 8 अगस्त को एनआरसी में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। अनुष्का का उस वक्त वजन 6.450 किग्रा और हीमोग्लोबिन 6.9 ग्राम था। 26 अगस्त को जब अनुष्का की छुट्टी हुई तो उसका वजन 6.900 किग्रा और हीमोग्लोबिन 9.02 ग्राम हो गया था। अस्पताल में उसे एक यूनिट ब्लड भी चढ़ाया गया था। सुमेरपुर निवासी राहुल के 13 माह के पुत्र अंकित को 30 जुलाई को एनआरसी में भर्ती किया गया था। थैलीसीमिया की बीमारी से ग्रसित अंकित के शरीर में भर्ती किए जाते वक्त हीमोग्लोबिन की मात्रा महज 4.5 ग्राम थी और वजन 7.400 किग्रा था। 10 अगस्त को वार्ड से छुट्टी के समय अंकित का वजन 7.750 किग्रा और हीमोग्लोबिन की मात्रा 8.5 ग्राम थी। सरीला तहसील के पुरैनी गांव के मंगल का एक वर्ष का पुत्र हिमांशु 7 अगस्त को एनआरसी वार्ड में भर्ती कराया गया था। हिमांशु का वजन महज 4.100 किग्रा और हीमोग्लोबिन 6.09 ग्राम था। लेकिन जब सत्रह दिन छुट्टी हुई तो वजन बढ़कर पांच किग्रा और हीमोग्लोबिन 8.09 ग्राम हो चुका था।