> वर्ष 2007 से वर्तमान तक बिन्दुबार मांगा जवाब
>धांधली व भ्रष्टाचार पर उठाया जाएगा कठोर कदम
वाराणसी/नई दिल्ली/कानपुर, पंकज कुमार सिंह। शिक्षा के मंदिरों में भ्रष्टाचार, शोषण, धांधली, भेदभाव के मामलों ने संस्थानों के हुक्मरानों की नैतिकता पर सवालिया निशान लगा दिया है। समाज के बीच सफेदपोश बने रहकर भ्रष्टाचार में लिप्त जिम्मेदार अब जांच की जद में आएंगे। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय(बीएचयू) के कुलपति को पत्र भेज जवाब तलब किया है। बीएचयू में असिस्टेंट प्रोफेसर पद हेतु चल रहे साक्षात्कार से सम्बन्धित शिकायतों को संज्ञान लेते हुए आयोग ने सात बिन्दुओं पर बीएचयू से रिपोर्ट मांगी है।
आयोग ने कहा है कि आयोग जानना चाहता है कि विज्ञप्ति में 4 आवेदन धर्मागम विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर पद हेतु विज्ञापन संख्या 01/2019-2020 के तहत विज्ञापित हुए थे। जिनको धर्मागम विभाग के फैकल्टी अफेयर्स कमेटी ने प्राप्त आवेदन पत्रों की शाॅर्ट लिस्टिंग विज्ञापित शैक्षिणिक योग्यता एवं विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित शैक्षणिक पदों हेतु शाॅर्ट लिस्टिंग दिशा निर्देशों के आधार पर पूरी की थी। जिसमें विभाग के फैकल्टी अफेयर्स कमैटी ने एक अभ्यर्थी को साक्षात्कार हेतु योग्य पाया। जिसका साक्षात्कार गत वर्ष 5 नवम्बर को चयन समितति के सम्मुख हुआ। चयन समिति ने साक्षात्कार के उपरान्त चयन हेतु किसी अभ्यर्थी को योग्य नहीं पाया। इसी के साथ चयन सम्बन्धी सात बिन्दुओं पर आयोग ने रिपोर्ट तलब की है।
इन बिन्दुओं पर जवाब देने में पहले भी विश्वविद्यालय ने किनारा किया है। जिसपर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कड़ा रूख अख्तियार करते हुए बीएचयू कुलपति को सात दिनों रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। आयोग ने कुलपति को हिदायत भी दी है कि निर्देश के अनुपालन की अवहेलना पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338’ख’ के तहत प्रदत्त न्यायिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए सुनवाई कर फैसला लेगा।
इन बिन्दुओं पर आयोग ने बीएचयू कुलपति को तलब किया।
1- धर्मागम विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर पद(पदकूट-30388) हेतु जो 4 आवेदन प्राप्त हुए थे उनकी शैक्षणिक योग्यता क्या थी?
2- शाॅर्ट लिस्टिंग हेतु मानक क्या थे। अतः किस नियमावली के आधार पर शाॅर्टलिस्टिंग की गई। उसके दिशा निर्देशों की सत्यापित काॅपी आयोग को उपलब्ध कराई जाए तथा साक्षात्कार में उपस्थित उम्मीदवार की मार्कशीट भी उपलब्ध कराई जाए।
3- ओबीसी के उम्मीदवारों की नियुक्ति के लिए कौन-कौन सी रियायतें/छूट प्रदान की जाती हैं?
4- शिकायतकर्ता श्री कृष्णानन्द सिंह द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि साक्षात्कार हेतु विषय विशेषज्ञ आए उनका धर्मागम विषय से कोई सरोकार नहीं था। अतः विषय साक्षात्कार कमेटी में शामिल सदस्यों की विषय विशेषज्ञता सम्बन्धित जानकारी आयोग को उपलब्ध कराई जाए।
5-धर्मागम विभाग में अस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर जारी की गई नियुक्ति को आयोग द्वारा इस प्रकरण में लिए जाने तक, तत्काल प्रभाव से रोका जाए व इसकी सूचना आयोग को दी जाए।
6- बीएचयू का 2007 से 2020 तक शैक्षणिक व अशैक्षणिक पदों का पक्षवार व वर्षवार रोस्टर ब्यौरा आयोग को उपलब्ध कराया जाए
7- 2007 से 2020 तक एनएफएस के कारण कितने पद रिक्त रहे उनकी पक्षवार व वर्षवार जानकारी आयोग को उपलब्ध कराई जाए।
ऐसे पनपा है भ्रष्टाचार, ऐसे होती धांधली –
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) वाराणसी देश का केन्द्रीय विश्वविद्यालय है यहाँ नियुक्ति प्रक्रिया में लम्बे अरसे से अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को सुनियोजित तरीके से इंटरव्यू में अयोग्य घोषित करके उन्हें उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। यहाँ के शिक्षकों ने इस षड्यंत्र का समय-समय पर विरोध करने के साथ ही न्याय की मांग करते रहे हैं लेकिन अभी तक जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कोई उचित कार्यवाही नहीं होने के कारण आज भी इस केन्द्रीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर योग्य अभ्यर्थियों की भरमार होने के बावजूद भी उन्हें इंटरव्यू में अयोग्य ठहराया जा रहा है।
वर्तमान कुलपति के कार्यकाल में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान, आयुर्वेद, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, दृश्य कला संकाय आदि के विभिन्न विभागों के साथ ही अर्थशास्त्र, कला इतिहास, हिन्दी, दर्शनशास्त्र, रसायन विज्ञान विभागों में बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़े वर्ग के योग्य अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में बुलाकर सुनियोजित तरीके से अयोग्य घोषित किया गया है।
यह सुनियोजित साजिश किस तरह से की जा रही है इसे हम दर्शनशास्त्र विभाग के उदाहरण से समझ सकते हैं। इस विभाग में शार्टलिस्टिंग में 42 उम्मीदवार योग्य पाये गये ( Eligible candidates) और इंटरव्यू के लिए 12 अभ्यर्थियों को बुलाया गया किन्तु दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से सभी को “चयन के लिये अनुपयुक्त” (NFS) घोषित कर दिया गया। इसी तरह से चिकित्सा विज्ञान संस्थान के एनेस्थीसिया विभाग में वंचित वर्गों के लिये आरक्षित सभी पाँच पदों के अभ्यर्थियों को अयोग्य ठहराया गया जबकि अभ्यर्थी बीएचयू के ही पासआउट थे। बीएचयू के अन्य विभागों में भी इसी तरह से किया गया। संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान में जिस अभ्यर्थी को चयन के अयोग्य ठहराया गया वह उसी संकाय का गोल्ड मेडलिस्ट है और वहां पर पाँच साल से उसी विभाग में शिक्षण कार्य कर रहा था। इससे साफ जाहिर होता है कि बीएचयू में अनुसूचित जाति, जनजाति अन्य पिछडे वर्ग के लोगों को सुनियोजित तरीके से चयन से रोका जा रहा है।
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