Tuesday, April 22, 2025
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राजनीति की चौसर पर सियासत की बिसात बने डाॅ. कफील

सैकड़ों जिन्दगियां बचाने वाले शख्स को जेल में कैद कर दिया जाता है। उसपर आरोप लगता है कि उससे देश को खतरा है, लिहाजा उसपर एनएसए यानि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत करार्यवाही की जाती है। कोरोना महामारी के बीच जब देश डाक्टर्स की कमी से जूझ रहा है, देश में तालाबन्दी रही। इस शख्स ने शासन से गुहार लगाई कि उसे लोगों की जान बचाने के लिए रिहा कर दो लेकिन उसकी एक न सुनी जाती है। आखिर यह मामला क्या था? यह मामला था राजनीति की चौसर पर सियासत की बिसात का। जिसमें मोहरा थे डाॅ. कफील खान, जी हाॅ! यही शख्स थे जिनसे देश को खतरा बताया गया। जन सामना के विशेष प्रतिनिधि पंकज कुमार सिंह नें डाॅ. कफील खान से की एक्सक्लूसिव वार्ता।
कानपुर/जयपुर। वर्ष 2017 यानि तीन साल पहले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में तकरीबन 70 बच्चों की ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत के बाद चर्चा में आए बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफ़ील ख़ान को पिछले साल दिसंबर में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिषर में कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोप में एसटीएफ़ ने मुंबई से गिरफ़्तार किया था। इस मामले में उन्हें ज़मानत मिल गई थी लेकिन इसी दौरान भाजपा शासित योगी सरकार ने उनके ख़िलाफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून यानी एनएसए की कार्यवाही कर दी और उन्हें जेल में ही रखा गया।राज्य सरकार कफ़ील ख़ान के ख़िलाफ़ एनएसए को दो बार बढ़ा चुकी है. तकरीबन आठ माह बाद 14 तारीखों के कोर्ट में सुनवाई और ज़िरह के बाद गत एक सितम्बर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कफ़ील ख़ान को ज़मानत देते हुए तत्काल रिहा करने का आदेश दिया और उनके ख़िलाफ़ एनएसए लगाने को अवैध क़रार दिया और प्रशासन इरादतन एनएसए का दोषी पाया गया। डाॅ.कफील खान जेल से रिहा हो गए हैं और वर्तमान में वह जयपुर में अपने परिवार के साथ हैं। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश-
सुरक्षा को लेकर चिंता
डाॅ. कफील सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं हालांकि वह बताते हैं कि उनके परिवारीजन बेहद चिंतित व डरे हुए हैं। इसलिए उन्हें कहीं जाने नहीं दे रहे। मां नुजहत परवीन, बच्चों सहित पत्नी डाॅ. शबीस्ता खान और बड़े भाई साथ में हैं। उनका कहना है कि इस महीने तक तो परिवार के साथ हैं फिर आगे आगे का प्लान तय करेंगे। फिल्हाल घर पर ही रहकर कामकाज की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।
न राजनैतिक मदद और न किसी दल से सम्बन्ध
डाॅक्टर कफील अपने किसी भी राजनैतिक दल से सम्बन्ध की बात से इंकार करते हैं। वह कहते हैं कि न उन्होंने कोई राजनैतिक स्तर पर मदद ली न ही उनके किसी दल से सम्बन्ध है। वह बताते हैं कि मानवता के नाते कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने जयपुर में रहने को स्थान दिलाया है। जेल से रिहाई के बाद जयपुर पास था इसलिए रिश्तेदार के साथ यहीं कुछ दिन ठहरने की योजना बनाई।
यूपी सरकार करे बहाल तो दूं सरकारी चिकित्सा सेवा
सरकार से अपेक्षा के सवाल पर डाॅक्टर कफील कहते हैं कि वह राजनीति से दूर ही रहे हैं। पिता इंजीनियर शकील खान यूपी सिंचाई विभाग में इंजीनियर थे। देश सेवा और गरीब मजलूमों के हित का पाठ उन्होंने पढाया था। वह कहते है कि लोगों में फैलाया जा रहा है कि में यूपी छोड़कर भाग गया. मै यूपी का बेटा हूँ और यह देश मेरी मातृ भूमि है. सरकार से अनुरोध है कि मुझे सरकारी सेवा में बहाल करे जिससे मै फिर से बीआरडी मेडिकल कॉलेज में लोगों को सरकारी चिकित्सा सेवा देकर गरीब मजलूंमों के स्वास्थ्य की रक्षा कर उनकी मदद कर सकूं।
बाढ़ पीड़ितों और गरीबों के इलाज को चलाएंगे कैंपेन
आगे की अपनी भावी योजनाओं के सवाल के जवाब में डाॅक्टर कफील कहते हैं कि अभी घर पर ही हूं। बिहार में मुजफ्फरपुर के डीएम, एसएसपी से अनुरोध किया है कि वहां हम बाढ़ पीड़ितों को अपनी चिकित्सा सेवाएं देना चाहते हैं। अभी जवाब नहीं आया है। अनुमति मिलते ही चिकित्सा सेवा में लग जाऊंगा। आसाम, उड़ीसा, केरल, सहित कई राज्यों का प्लान है। राज्यों के सीएम से भी अनुमति मांगी है।
राजनैतिक द्वेषवश फर्जी आरोपों के तहत फंसाया
मुकदमें और गिरफ्तारी बाद में एनएसए की कार्यवाही के पीछे की वजह के सवाल पर डाॅक्टर कफील कहते हैं कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में तीन साल पहले ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के बाद मैं तीन बार जेल जा चुका हूं लेकिन इस बार की जेल यात्रा काफ़ी दर्दभरी थी. डाॅ. कफ़ील कहते हैं, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों के मौत की घटना से एक दिन पहले मुख्यमंत्री योगी जी गोरखपुर आए थे। वहां बच्चों के आईसीयू वॉर्ड को उन्होंने देखा तो बहुत ख़ुश हुए। सीएम को गुमराह किया गया है। मेरे बारे में शायद यह ग़लतफ़हमी फैलाई गई कि मैं किसी राजनीतिक दल से जुड़ा हूं। यही कारण है की राजनैतिक द्वेष के तहत मुझे फंसाया गया।
भ्रष्ट अफसरों पर कोई कार्यवाही नहीं
डाॅक्टर कफील तकरीबन आठ महीने जेल में रहे। कोरोना काल में जब हज़ारों ज़िन्दिगियां अदृश्य दुश्मन के खिलाफ लड़ रहीं तब एक योद्धा को जेल में कैद कर राजनैतिक रोटियां सेंकने वाले जनता के नौकर आईएएस और आईपीएस अफसर मज़े की जिंदगी जी रहे थे। डॉ कफील को अलीगढ के डीएम आईएएस चन्द्रभूषण सिंह व आईपीएस आकाश कुलहरि ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गलत और इरादतन निरूद्ध किया था। डाॅक्टर कफील खान के मामले में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रशासन को कफ़ील ख़ान के ख़िलाफ़ इरादतन एनएसए लगाने का दोषी पाया। और हाईकोर्ट ने कहा कि डाॅक्टर कफील का भाषण देश को तोड़ने वाला नहीं अपितु देश को जोड़ने वाला था। इन दोनों अफसरों ने डाॅक्टर कफील खान को और आरोप लगाया था कि डाॅक्टर कफील देश को तोड़ने और देश की सुरक्षा को लेकर खतरा हैं। लेकिन नेताओं की राजनैतिक संरक्षणवश बेगुनाह को जेल भेजने वाले इन अफसरों पर कौन गाज़ गिरायेगा? यह यक्ष प्रश्न है