हमीरपुर, अंशुल साहू। कोरोना संकट के बीच 28 सितंबर से राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान की शुरुआत होगी। स्कूल-कॉलेज और आंगनबाड़ी केंद्रों की बंदी की वजह से इस बार आशा बहू और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर एक से लेकर 19 साल तक के किशोर-किशोरियों को पेट के कीड़े दूर करने की दवा एल्बेंडाजॉल अपनी निगरानी में खिलाएंगी। दो साल तक के बच्चों को आधी गोली और उसके ऊपर के बच्चों को पूरी एक गोली खिलाई जाएगी। दवा चबाकर खानी होगी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.आरके सचान बताते हैं कि पेट के कीड़े बच्चों के शारीरिक विकास को प्रभावित करते हैं। समय से उपचार न होने की स्थिति में कीड़ों की वजह से बच्चे कुपोषण का भी शिकार हो जाते हैं। इसी समस्या के निदान को लेकर प्रतिवर्ष कृमि मुक्ति अभियान चलाया जाता है। एक सप्ताह तक चलने वाले इस अभियान के दौरान अभी तक स्कूल-कॉलेज और आंगनबाड़ी केंद्रों में टीमों द्वारा बच्चों को दवा खिलाई जाती रही हैं, लेकिन इस साल कोरोना की वजह से स्कूल-कॉलेजों और आंगनबाड़ी केंद्रों की बंदी चल रही हैं। लिहाजा इस अभियान को सफल बनाने की जिम्मेदारी आशा बहू और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को सौंपी गई है, जो घर-घर जाकर एक से लेकर 19 साल तक के किशोर-किशोरियों को एल्बेंडाजॉल की दवा अपनी निगरानी में खिलाएंगी। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ.रामअवतार ने बताया कि 28 सितंबर से 7 अक्टूबर तक बच्चों को घर-घर जाकर पेट के कीडे दूर करने की दवा दी जाएगी। एक से दो साल तक के बच्चों को आधी गोली पीसकर और उससे ऊपर के सभी बच्चों को एक गोली दी जाएगी। गोली चबाकर खाई जाएगी। आशा बहू और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को दवा अपनी निगरानी में खिलानी होगी। पांच मिनट तक रुकना भी होगा। डीसीपीएम मंजरी गुप्ता ने बताया कि अभियान के दौरान आशा बहू और आंगनबाड़ी को कोविड-19 प्रोटोकॉल का भी पालन करना होगा। सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर अभियान चलाया जाएगा।