Monday, November 18, 2024
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एकात्म मानववाद, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रणेता थे पंडित दीनदयाल

सुमेरपुर/हमीरपुर, जन सामना। मौलिक चिंतक, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, एकात्म मानववाद और अंत्योदय ऐसे अनेक नवीन विचारों के प्रणेता भारतीय जनता पार्टी की पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ के संस्थापक महामंत्री, स्वर्गीय दीनदयाल उपाध्याय की जयंती कस्बा सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा की ओर आस्था पूर्वक मनायी गयी। कस्बे के गौर मार्केट में नवल शुक्ला पूर्व चेयरमैंन, दृगपाल सिंह चंदेल, भाजपा के जिला मंत्री संतराम गुप्ता, राजेश सहारा सभासद, अनीस सभासद, प्रेम यादव, रोहित शिवहरे, सुनीता शिवहरे, हेमू गुप्ता की उपस्थिति में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा सुविधाओं में पलकर कोई भी सफलता पा सकता है पर अभावों के बीच रहकर शिखरों को छूना बहुत कठिन है। 25 सितम्बर, 1916 को जयपुर से अजमेर मार्ग पर स्थित ग्राम धनकिया में अपने नाना पण्डित चुन्नीलाल शुक्ल के घर जन्मे दीनदयाल उपाध्याय ऐसी ही विभूति थे। दीनदयाल जी के पिता भगवती प्रसाद ग्राम नगला चन्द्रभान, जिला मथुरा, उत्तर प्रदेश के निवासी थे। तीन वर्ष की अवस्था में ही उनके पिताजी का तथा आठ वर्ष की अवस्था में माताजी का देहान्त हो गया। अतः दीनदयाल का पालन रेलवे में कार्यरत उनके मामा ने किया। ये सदा प्रथम श्रेणी में ही उत्तीर्ण होते थे। कक्षा आठ में उन्होंने अलवर बोर्ड, मैट्रिक में अजमेर बोर्ड तथा इण्टर में पिलानी में सर्वाधिक अंक पाये थे। 14 वर्ष की आयु में इनके छोटे भाई शिवदयाल का देहान्त हो गया। 1939 में उन्होंने सनातन धर्म कालिज, कानपुर से प्रथम श्रेणी में बी.ए. पास किया। यहीं उनका सम्पर्क संघ के उत्तर प्रदेश के प्रचारक श्री भाऊराव देवरस से हुआ। इसके बाद वे संघ की ओर खिंचते चले गये। एम.ए. करने के लिए वे आगरा आयेय पर घरेलू परिस्थितियों के कारण एम.ए. पूरा नहीं कर पाये। प्रयाग से इन्होंने एल.टी. की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। संघ के तृतीय वर्ष की बौद्धिक परीक्षा में उन्हें पूरे देश में प्रथम स्थान मिला था।