वाराणसी/कानपुर, पंकज कुमार सिंह। बीएचयू में प्रोफेसर्स के पदों में गड़बड़झाले को लेकर एक बड़ा खुलासा सामने आया है। नागपुर के सामाजिक कार्यकर्ता संजय थूल को हाल ही में बीएचयू द्वारा आरटीआई से प्राप्त जानकारी से यह खुलासा हुआ है कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र एवं राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य कौशलेन्द्र सिंह पटेल के गृह नगर वाराणसी में स्थित देश के प्रतिष्ठित केन्द्रीय विश्वविद्यालय बीएचयू (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) में ओबीसी के लिए आरक्षित कुल 568 शिक्षण पदों में से प्रोफेसर के 36, एसोसिएट प्रोफेसर के 93 और असिस्टेंट प्रोफेसर के 74 पद गायब कर दिये गये हैं। इस तरह तीनों कैडर को मिलाकर ओबीसी के लिए स्वीकृत कुल 203 पदों को गायब कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि बीएचयू द्वारा दी गयी सूचना में ओबीसी के लिए तीनों कैडर में कुल 568 पद स्वीकृत बताये गये हैं लेकिन विभिन्न संवर्गों में अब तक भरे गये पद और रिक्तियों को जोड़ा जाये तो ओबीसी कोटे में केवल 365 पद (भरे हुए एवं रिक्तियों को मिलाकर) ही आते हैं अर्थात कुल स्वीकृत/आरक्षित 568 पदों के सापेक्ष 203 पद कम हैं। आरटीआई से एक और गंभीर बात का खुलासा हुआ है कि अनुसूचित जनजाति (ST) एवं अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित प्रोफेसर के पद पर एक भी भर्ती बीएचयू में अभी तक नहीं की गई है। यह सारा खेल प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र व राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य के गृह नगर में हो रहा है। आखिर पिछड़ों का हितैषी बननेवाली भाजपा सरकार और स्वयं पिछड़ा होने का दंभ भरनेवाले पीएम मोदी के नाक के नीचे यह खेल हुआ है। मामले पर जानकारी के लिए कुलसचिव से सम्पर्क नहीं हों सका।