हमीरपुर, अंशुल साहू। कृषि विज्ञान केंद्र हमीरपुर के उद्यान वैज्ञानिक डॉ प्रशांत कुमार के सहयोग व निर्देश पर बुन्देलखण्ड में हल्दी जैसे महत्वपूर्ण फसल के क्षेत्र उत्पादन में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। बीते साल एकीकृत बागवानी विकास मिशन परियोजना के तहत हल्दी के बीज उत्पादन की शुरुआत की गई थी। जिसमें चित्रकूट व बहराइच के किसानों को भी शामिल किया गया था। इस परियोजना के प्रधान प्रभारी डॉ0 भानु प्रकाश मिश्रा सह प्राध्यापक कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्व विद्यालय बांदा के अनुसार इस परियोजना के माध्यम से बुन्देलखण्ड के किसानों के लिए मसाला वर्गीय फसलों के उन्नत प्रजाति के बीज का उत्पादन करना है। ताकि मसाला के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके। कृषि विज्ञान केंद्र कुरारा में पिछले साल हल्दी की फसल को देखकर किसान उत्साहित हुए। राठ, गोहांड, सरीला, सुमेरपुर, मुस्करा, मौदहा और कुरारा के किसानों ने उत्साह के साथ हल्दी की फसल बोयी। राठ के कौशल किशोर औडेरा ने एक एकड़ क्षेत्रफल के अमरूद के बाग में हल्दी की फसल बोयी है। इसके प्रति अन्य किसानों को जागरूक कर रहे है। किसान कौशल किशोर ने बताया कि वे अमरूद के बाग में किसी अन्य फसल का आज तक उत्पादन नही लिए है। डॉ प्रशांत के समपरक में आने के बाद अमरूद के बाग में हल्दी, अरबी, अदरख की फसल ली जा रही है। उत्साहित होकर अगले साल अधिक क्षेत्रफल में हल्दी की खेती करेंगे। डॉ प्रशांत के अनुसार हल्दी की फसल के लिए बलुआ दोमट मिट्टी अधिक उपयोगी है। इसकी खेती के लिए 15 कुंतल प्रकन्द प्रति हेक्टेयर की जरूरत पड़ती है। इसकी बुआई जून के महीने में की जाती है। बुआई के बाद खेत मे तुरंत पलवार लगा दी जाती है। फसल को मार्च में काट लिया जाता है। जिसमे प्रति हेक्टेयर 180 से 220 कुंतल प्रकन्द्र निकलता है। इसकी खेती खुले क्षेत्र की तुलना में बागों में अच्छे ढंग से की जाती है क्योंकि यह छाया पसंद पौधा है। नींबू, अमरूद, मुसम्मी, आम, पपीता की फसल के साथ अदरख, हल्दी, अरबी की अच्छी फसल ली जा सकती है। बलराम दादी, मोतीलाल, सुरेंद्र पाल सिंह, चंद्रपाल, नंदराम, कारेलाल प्रमुख किसान जो हल्दी की खेती कर रहे हैं।