मौदहा/हमीरपुर, जन सामना। राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा त्रिस्तरीय ग्रामीण पंचायतों के चुनाव की डुगडुगी बजी, जिसके चलते जल्द ही चुनाव कराये जाने के ऐलान के बाद अब गांव की चैपालों मे रौनक बढ़ने लगी है। हांलाकि गांव में अभी फिलहाल खेती किसानी का काम युद्व स्तर पर शुरू है। फिर भी समय निकालकर लोग जातीय समीकरणों के साथ छोटे किसानों व मजदूरों पर तरह तरह प्रलोभन देकर अपने वोट पक्का करने की जुगत में लग गये है। खाद, बीज, पानी की सहायता भी शुरू करते हुये इन्होने अपनी वाणी को संयमित भी कर लिया है व कक्का, बाबा, खाला, मौसी, बुआ, दीदी, फूफा के उच्चारण वह लोग भी करने लगे है जो राम-राम य दुआ-सलाम भी आपस मे नहीं करते थे। वही गांव के खुस्की गुण्डे जो अक्सर टल्ली होकर बदजुबानी से लेकर समाज में गन्दी नजर बनाये रखते है। अब चूंकि वह भी वोटर भगवान बन गये है और पिछली ग्राम पंचायत चुनाव का अपना पुराना नारा जो बुलन्द किया करते थे। दारू मुर्गा कच्चा वोट, सुरा सुन्दरी पक्का वोट के सहारे चुनाव की तारीखो के इन्तजार में है। जबकि गांव के सीधे साधे सम्पन्न लोग जो गरीबों की मदद भी करते रहते थे। उनका सम्मान अचानक प्रधान जी की नजर में बढता जा रहा है। वहीं चाटूकार कथित बिरादरी के ठेकेदारो की आवभगत भी बढ़ गयी है और इस तरह ग्राम पचायतों में चुनावी बयार धीरे धीरे बहने लगी है। ग्राम पंचायतो का चुनाव बडा कठिन होता है। प्रत्याशी की नजर एक-एक वोट पर रहती है। फिर भी सब कुछ खर्च करने के बाद कही कही लोग धोखा भी दे देते है। जबकि कुछ उत्साही प्रत्याशी तो अपनी जमीन जायदाद तक प्रधान जी बनने के चक्कर मे फूंक देते है। उधर पूर्व प्रधानो से खुन्नस खाये और कुछ ऊंच निवास नीच करतूत, देख न सके, पराव प्रभूति, की तर्ज पर फर्जी हरिजन एक्ट व छेड़खानी जैसे मुकदमे दर्ज कराने के लिये पीछे से फाईनेन्स कर दुबारा प्रधान न बनने पाये, की विचारधारा से पीडित दिखाई देते है। जैसा कि मौदहा ब्लाक के ग्राम सिजवाही सहित अन्य कई गांव मे भी देखने को मिला है। इसके बावजूद गांव की पंचायतो मे रौनक सहित भावी प्रत्याशियो के जबान नर्म व मतदाता की आवभगत बढ गयी है।