प्रयागराज, जन सामना। उप कृषि निदेशक विनोद कुमार ने बताया है कि इस समय जनपद में कहीं-कहीं पर अरहर की फसल में पत्ती लपेटक कीटों का प्रकोप दिखायी दे रहा है। जिनमें दो प्रमुख कीट ग्रेफोलीटा क्रिटिका, लेग्यूमिनीवोरा टाइकोरा है। जो हल्के भूरे रंग का होता है। यह कीट दो पत्तियों या कलियों को जोड़कर जाले बना देता है और उनके मध्य में अण्डे देता है। जो बाद में लार्वा का रूप धारण करता है। इसका लार्वा क्रीमीण्पीले रंग का होता है और पत्तियों का क्लोरोफिल चूसता रहता है। यह कीट फसल की प्रारम्भिक अवस्था से लेकर फलियों के निर्माण तक की अवस्था में पाया जाता है। इससे फसल को नुकसान होता है। और उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पत्तियों के अन्दर होने के कारण इस पर सम्पर्क कीटनाशकों का प्रभाव कम होता है। इस कीट के नियंत्रण हेतु खेत की निगरानी कर इसके प्राकृतिक शत्रुओं परभक्षी का फसल वातावरण में संरक्षण करें। रासायनिक नियंत्रण हेतु क्वीनालफाॅस 25 ई0सी0 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर अथवा डाईक्लोरवास 76 ई0सी0 300 एम0एल0 प्रति हेक्टेयर की दर से 600 लीटर पानी में मिलाकर छि़ड़काव करें।कृषक भाई किसी भी कीट/रोग व खरपतवार की समस्या के निवारण हेतु निकटतम विकासखण्ड स्तर पर प्रभारी, राजकीय कृषि रक्षा इकाई/कृषि विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारी से सम्पर्क करें।
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