हमीरपुर, अंशुल साहू। कोरोना की मार झेल रहा अन्नदाता अब नयी मुसीबत का सामना कर रहा है। आमतौर से अन्ना पशु किसानों की सबसे बड़ी समस्या होती है। लेकिन अन्ना पशुओं की समस्या के बाद नीलगाय की समस्या पैदा हो रही थी। अभी किसान इन दो समस्याओं से उबर भी नहीं पाया था कि क्षेत्र में हिरन नयी समस्या बनकर किसानों के सामने खडे हो गए हैं। जिसके चलते किसान अपनी फसल बोने से कतरा रहे हैं। मौदहा विकास खण्ड के ग्राम कम्हरियाए सायर और मसगवां के बीच हजारों एकड का बंधा है। जिसमें इन तीन गावों के किसानों के अतिरिक्त अन्य गांवों के किसानों की भी खेती भूमि है। बारिश के सीजन में यह बांध सागर का रूप धारण कर लेता है और सितंबर महीने के आखिरी सप्ताह में इस बांध के फाटक खोल कर इसे खाली किया जाता है। इस लिए हजारों एकड के इस बांध मे एक फसल ही पैदा होती है। जिससे इस क्षेत्र के किसानों की जीविका चलती है। लेकिन अगर यह फसल भी खराब हो जाये तो किसानों की जीविका प्रभावित होना स्वाभाविक है। अभी तक इस क्षेत्र के किसान अन्ना पशुओं की समस्या से जूझ रहे थे। हालांकि अन्ना पशुओं की समस्या तो लगभग पूरे प्रदेश में एक समान है। जिससे निजात मिलना मुश्किल हो रहा है। लेकिन अन्ना पशुओं के बाद इस क्षेत्र में नीलगाय भी आतंक फैलाए रहती है। जिसके कारण इस क्षेत्र के किसान रात दिन खेतों की रखवाली करने के लिए मजबूर होना पडता है। लेकिन अब इस क्षेत्र के किसानो के लिए कहर बनकर संरक्षित पशु हिरन सामने आ गए हैं। जंगल से से भटक कर इस सपाट भूमि बंधा मे सैकड़ों की तादाद में हिरनों के झुंड ने किसानों की समस्या बढा दी है। जिसके चलते किसान अब अपनी फसल बोने से भी कतरा रहे हैं। बंधा के अंदर खेती करने वाले किसान गुलाम अहमद उर्फ बिल्लू बाबा ने बताया कि हिरनों का झुंड फसलों को चर जाता है। हम दिनभर रखवाली करते हैं लेकिन जरा सी चूक हुई तो फसल चैपट हो जाती है। इस लिए इस साल तो फसल बचाना मुश्किल है। जबकि कम्हरिया निवासी शहाबुद्दीन महतों ने बताया कि वह बडे किसान हैं और सैकड़ों बीधा खेती करते हैं लेकिन जरा सी चूक फसलें बर्बाद कर देती है इस लिए हम दिनरात खेतों की रखवाली कर रहे हैं। और यह हिरण फसल उगने के साथ ही चरना शुरू कर देते हैं। जबकि ग्राम सायर निवासी किसान नीरज शर्मा ने बताया कि खेती करना अब बहुत बडी समस्या है। पहले तो खाद बीज की समस्या से जूझना पड़ता है। अगर यह समस्या का हल हो भी गया तो अन्ना पशु फसल खराब कर देते हैं। और अब हिरण तो सबसे बड़ी समस्या बन गई है।क्योंकि अगर खदेड़ने मे कोई हिरन गिरकर घायल हो गया तो भी प्रशासन का डर है। क्योंकि हिरन संरक्षित प्रजाति का पशु है। इस लिए यह बडी समस्या है। जबकि उक्त मामले में वन क्षेत्राधिकारी इफ्तेखार अहमद ने बताया कि यह इस क्षेत्र के लिए नयी समस्या नहीं है। कुनेहटा के जंगलों से काले और सफेद संरक्षित प्रजाति के हिरन पाये जाते हैं।जो कभी कभी पानी की तलाश में इस ओर आ जाते हैं। क्योंकि क्षेत्र में कहीं भी इन्हें संरक्षित करने के लिए बाउंड्री नहीं है। बाकी किसान भी इन्हें और अपनी फसल का ध्यान रखें और वन विभाग भी इस बारे मे प्रयास कर रहा है कि इन्हें सुरक्षित रखा जाये।बाकी इन्हें मारना दण्डनीय अपराध है।
Home » मुख्य समाचार » संरक्षित प्रजाति के काले हिरण ने किसानों के लिए पैदा की मुश्किलें, फसल बोने से डर रहे हैं किसान