काशी हिन्दू विवि प्रशासन ने पीएचडी प्रवेश में “टेस्ट बी” को खत्म करने और RET (Research Entrance Test) पर संकाय अध्यक्षों को भेजा पत्र
वाराणसी। बीएचयू में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में मौखिक परीक्षा के नाम पर अभ्यर्थियों के साथ खुलेआम पक्षपात और भेदभाव होता रहा है। इसके विरुद्ध बीएचयू के बहुजन छात्रों की ओर से लगातार संघर्ष किया जा रहा था। छात्रों ने प्रवेश परीक्षा के साक्षात्कार बोर्ड में पिछड़े वर्ग का एक शिक्षक प्रतिनिधि रखने, मौखिकी परीक्षा को खत्म करके केवल लिखित परीक्षा, शोध प्रस्ताव और अकादमिक मेरिट के अंकों के आधार पर पारदर्शी तरीके से पीएचडी में एडमिशन की मांग की थी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने “टेस्ट बी” के अंतर्गत साक्षात्कार बोर्ड में ओबीसी संवर्ग का प्रतिनिधि रखने की मांग तो मान ली है लेकिन बाकी मांगो पर अभी रायशुमारी कर रहा है। इस संदर्भ में उपकुलसचिव (शिक्षण) पुष्यमित्र द्विवेदी ने सभी संकाय प्रमुखों को पत्र भेजा है। पत्र में पीएचडी प्रवेश में साक्षात्कार खत्म करने और विश्व विद्यालय स्तर पर संयुक्त “शोध प्रवेश परीक्षा (RET)” कराने पर विभिन्न विभागों से राय मांगी गयी है ताकि निर्णय लिया जा सके। बीएचयू के प्रोफेसर महेश प्रसाद ने इस पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि बीएचयू प्रशासन द्वारा शोध प्रवेश प्रक्रिया में ओबीसी वर्ग का शिक्षक प्रतिनिधि रखे जाने का फैसला स्वागत योग्य है। लेकिन इससे अच्छा होता अगर प्रवेश प्रक्रिया से साक्षात्कार को पूरी तरह खत्म दिया जाता और प्रवेश का आधार केवल लिखित परीक्षा और अकादमिक मेरिट को माना जाता। उन्होंने कहा कि साक्षात्कार ही पक्षपात, जातीय भेदभाव, भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार की जड़ है। इसे खत्म करने का निर्णय विश्वविद्यालय प्रशासन को अपने स्तर पर लेना चाहिए लेकिन उपकुलसचिव शिक्षण के इस पत्र में निर्णय की जिम्मेदारी उन्हीं लोगों पर डाल दी गई है जो विभागीय स्तर पर भाई भतीजावाद, भेदभाव और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। पारदर्शी और निष्पक्षता के लिए जरूरी है कि पीएचडी का एडमिशन केवल लिखित परीक्षा और छात्रों की अकादमिक मेरिट के आधार किए जाएं।
Home » मुख्य समाचार » बीएचयू में शोध प्रवेश प्रक्रिया के साक्षात्कार बोर्ड में अब ओबीसी का शिक्षक प्रतिनिधि भी होगा शामिल