Tuesday, April 29, 2025
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वृन्दावन भूमि की पावन धूलि केअभिषेक से दूर होते हैं जीवन के समस्त पाप- आचार्या  पूजा गोस्वामी 

सासनी/हाथरस,जन सामना। न्यू बिजलीघर कालोनी में आचार्या पूजा गोस्वामी पीतांबरा द्वारा सत्संग सभा का आयोजन किया गया। जिसमें आचार्या ने भगवान कृष्ण के जन्मस्थली की पावन रज को एक बार मस्तक पर रखने से जन्म-जन्मांतर के पाप कट जाते हैं विषय पर अपने प्रवचन में भगवान कृष्ण तथा प्रयागराज की भक्ति का गुणगान किया। शुक्रवार को आचार्या ने अपने प्रवचन में कहा कि एक बार प्रयाग राज का कुम्भ योग था। चारों ओर से लोग प्रयाग-तीर्थ जाने के लिये उत्सुक हो रहे थे। नन्द महाराज तथा उनके गोष्ठ के भाई-बन्धु भी परस्पर परामर्श करने लगे कि हम भी चलकर प्रयाग-राज में स्नान-दान-पुण्य कर आवें । किन्तु कन्हैया को यह कब मंजूर था। प्रातः काल का समय था, नन्द बाबा वृद्ध गोपों के साथ अपनी बैठक के बाहर बैठे थे कि तभी सामने से एक भयानक काले रंग का घोड़ा सरपट भागता हुआ आया। भयभीत हो उठे सब कि कंस का भेजा हुआ कोई असुर आ रहा है । वह घोड़ा ज्ञान-गुदड़ी वाले स्थल की कोमल-कोमल रज में लोटने और खेलने लगा सबके देखते-देखते उसका रंग बदल गया, काले से गोरा, अति मनोहर रूपवान हो गया वह। नन्दबाबा सब आश्चर्यचकित हो उठे। वह घोड़ा सबके सामने मस्तक झुका कर प्रणाम करने लगा । नन्दमहाराज ने पूछा- तुम हो और कहां से आए हो काले से एकदम गोरे कैसे हो गये। तब घोड़ा एक सुन्दर रूपवान विभूषित महापुरुष रूप में प्रकट हो हाथ जोड़ कर बोला- हे ब्रजराज! मैं प्रयागराज हूँ। विश्व के अच्छे बुरे सब लोग आकर मुझमें स्नान करते हैं और अपने पापों को मुझमें त्याग कर जाते हैं, जिससे मेरा रंग काला पड़ जाता है। अतः मैं हर कुम्भ से पहले यहाँ वृन्दावन आकर इस परम पावन स्थल की धूलि में अभिषेक प्राप्त करता हूँ। मेरे समस्त पाप दूर हो जाते हैं। निर्मल-शुद्ध होकर मैं यहाँ से आप ब्रजवासियों को प्रणाम कर चला जाता हूँ। अब मेरा प्रणाम स्वीकार करें । इतना कहते ही वहाँ न घोड़ा था न सुन्दर पुरुष। कृष्ण बोले- बाबा! क्या विचार कर रहे हो? प्रयाग चलने का किस दिन मुहूर्त है ? नन्दबाबा और सब व्रजवासी एक स्वर में बोल उठे- अब कौन जायेगा प्रयागराज? प्रयागराज हमारे ब्रज की रज में स्नान कर पवित्र होता है, फिर हमारे लिये वहाँ क्या धरा है। सबने अपनी यात्रा स्थगित कर दी । ऐसी महिमा है ब्रज रज व धाम वृन्दावन की।, सत्संग प्रवचन के बाद प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान दर्जनों भक्त सत्संग में मौजूद थे।