ऐसे कई त्यौहार है जिसे पूरा देश एक साथ मनाता है इन्हीं पर्वों में से एक पर्व का नाम मकर संक्रांति है। विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाना जाता है। खुशी, उल्लास और उमंग से भरा यह त्यौहार उत्तर प्रदेश में खिचड़ी, पंजाब में लोहड़ी, गुजरात उत्तरायण और तमिलनाडु में पोंगल के रूप में अपनी सभ्यता और संस्कृति के आधार पर मनाया जाता है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है। धीरे-धीरे सूर्य का प्रभाव बढ़ने लगता है और ग्रीष्म ऋतु का आगमन होने लगता है संक्रांति के दिन स्नान और दान का बहुत महत्व है
पंजाब में मकर संक्रांति
पंजाब में मकर संक्रांति को लोहड़ी के नाम से जाना जाता है। इस दिन मकर संक्रांति की पूर्वसंध्या पर लोग खुले स्थान में आग जलाते हैं और परिवार व आस−पड़ोस के लोग अग्नि की परिक्रमा करते हुए रेवड़ी व मक्की के भुने दानों को उसमें भेंट करते हैं और साथ ही आग के चारों ओर भांगड़ा करते हैं।
उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति
उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रान्ति को खिचड़ी के नाम से पुकारा जाता है। उत्तरप्रदेश में मकर संक्रांति के दिन को दान के पर्व के रूप में देखा जाता है। खिचड़ी को मुख्य रूप से शामिल किया जाता है।
महाराष्ट्र में मकर−सक्रांति
महाराष्ट्र में भी मकर−संक्रांति के दिन दान अवश्य किया जाता है। खासतौर से, विवाहित महिलाएं अपनी पहली मकर संक्रांति पर कपास, तेल, नमक, गुड़, तिल, रोली आदि चीजें अन्य सुहागिन महिलाओं को दान करती हैं।
राजस्थान में मकर संक्रांति
राजस्थान में मकर संक्रांति का पर्व सुहागन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन सभी सुहागन महिलाएं अपनी सास को वायना देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। साथ ही इस दिन महिलाओं द्वारा किसी भी सौभाग्यसूचक वस्तु का चौदह की संख्या में पूजन व संकल्प कर चौदह ब्राह्मणों को दान देने की भी प्रथा है।
पश्चिम बंगाल में मकर−सक्रांति
पश्चिम बंगाल में इस दिन गंगासागर मेले के नाम से धार्मिक मेला लगता है और सभी लोग इस संगम में स्नान अवश्य करते हैं। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे−पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं और इसलिए मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन अगर इस संगम में डुबकी लगाई जाए तो इससे सारे पाप धुल जाते हैं। पश्चिम बंगाल में स्नान के साथ−साथ दान को भी महत्व दिया जाता है। इस दिन लोग तिल का दान अवश्य करते हैं।
गुजरात में मकर−सक्रांति
गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण कहकर पुकारा जाता है। गुजरात में इस दिन पतंगबाजी का बहुत महत्व है। तिल गुड़ की मिठाई के साथ साथ ऊंधियो पूरी का भी विशेष महत्व है।
कर्नाटक में मकर−सक्रांति
कर्नाटक में इसे एक फसल के त्योहार के रूप में देखा जाता है। वहां पर लोग मकर संक्रांति के दिन बैलों और गायों को सजा−धजाकर शोभा यात्रा निकालते है। साथ ही खुद भी नए कपड़े पहनकर एक−दूसरे को ईख, सूखा नारियल और भुने चने का आदान−प्रदान करते हैं। इतना ही नहीं, गुजरात की ही तरह कर्नाटक में भी इस दिन पतंगबाजी का महत्व है।
उत्तराखंड में मकर−सक्रांति
उत्तराखंड में इस दिन जगह−जगह पर मेले लगाए जाते हैं। साथ ही लोग गंगा स्नान करके, तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान करते हैं।
तमिलनाडु में मकर−सक्रांति
तमिलनाडु में लोग इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं। यह एक चार दिवसीय अवसर है। पोंगल मनाने के लिए सबसे पहले स्नान करके खुले आंगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनाई जाती है, जिसे पोंगल कहा जाता है। इसके बाद सूर्य देव की पूजा की जाती है और अंत में उसी खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। -प्रियंका माहेश्वरी