नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की ह्यूस्टन में हुई रैली मैं 50000 हिंदुस्तानियों का सैलाब मौजूद था उसे देख कर लग रहा था मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती इस बार चुनाव में रंग लाएगी और ऐसा लगने लगा था की भारतीय मूल के अमेरिका निवासी हिंदुस्तानियों का झुकाव डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से हटकर रिपब्लिकन पार्टी की तरफ हो गया पर कमला हैरिस की जीत के साथ ही भारतीय मूल के 20 अमेरिकी सदस्यों घोषणा कर या तो उन्हें नियुक्त किया गया यह उनकी उन को चयनित किया गया पर यह बात तो तय है कि अमेरिका में रह रहे प्रवासी हिंदुस्तानियों ने मूल रूप से डेमोक्रेटिक दल को अपना स्पष्ट अभिमत तथा बहुमत देकर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो वार्डन को अपना समर्थन दिया और कमला हैरिस के उपराष्ट्रपति बनते ही अमेरिकी भारत नीतियों में ज्यादा बदलाव होने के संकेत स्पष्ट रूप से दिए गए इस बार चुनाव में भारतीय मूल के अमेरिकी निवासी तथा वोटरों ने डेमोक्रेटिक पार्टी का साथ पूरी तरह निभा कर अपनी प्रतिबद्धता उनकी तरफ समर्पित की है, इसका बड़ा कारण कमला हैरिस का उप राष्ट्रपति बनना भी है कमला हैरिस मूलतः हिंदुस्तान में तमिलनाडु की माता तथा जमैका के निवासी पिता की संतान है| राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति की इस टीम में प्रशासन के लिए संचालन हेतु भारतीय भारतीय मूल के पदाधिकारियों का चयन किया गया उसमें से प्रमुखता से 13 महिलाएं भी हैं और इसमें डॉक्टरों की संख्या बहुतायत से है उल्लेखनीय है कि इसमें कई ओबामा प्रशासन में भी काम करने का खासा अनुभव रखते हैं,सरकार के अनुभव के साथ साथ यह काफी उदारवादी नीति को समर्थन भी दिखाई देते हैं| भारतीय मूल के इतनी बड़ी तादाद में अमेरिका में प्रशासन में होने से भारत सरकार को आगामी वर्षों में नीतियों में परिवर्तन में झुकाव के आसार कम ही दिखते हैं, वैसे भी डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका से बड़े ही शर्मनाक ढंग से अपनी गद्दी से हटे हैं| मध्य पूर्व उन्होंने अपने प्रशासन के आखिरी दो-तीन हफ्तों में पर फैसले किए हैं वह या तो विवादित है या अमेरिकी वैश्विक निंदा की परिधि में भी है, उन्होंने इराकी सैन्य अधिकारी तथा कई सैन्य संगठनों को पाबंदियां लगा कर आतंकवादी घोषित कर दिया है इसी तरह दिसंबर माह में मोरक्को को संप्रभुता के साथ मान्यता प्रदान की है मोरक्को और जार्डन को लेकर फैसले मैं डोनाल्ड ट्रंप की यु.एन.ओ. के पदाधिकारियों द्वारा काफी आलोचना की गई विदेश नीति में डोनाल्ड ट्रंप कई जगह विवादित भी रहे ऐसे में वर्तमान अमेरिकी प्रशासन बिना विश्लेषण किए नए फैसले लेने में थोड़ा धैर्य रखना चाहेगा| ऐसे में मध्यवर्गीय प्रशासनिक सहयोगी भारतीय मूल के लोग उनकी सहायता करने के लिए तत्पर रहेंगे और ऐसा लगता है की अमरीकी विदेशी मामले की सलाहकार भारतीय मूल की कमला हैरिस ही रहेंगी ऐसे में चीन पाकिस्तान और अन्य भारत विरोधी राज्य के माथे पर चिंता की लकीरें आना सफाई की होगी और डोनाल्ड ट्रम द्वारा दिए गए कुछ उटपटांग फैसले नई अमेरिकी सरकार के लिए सिरदर्द साबित भी हो सकते है| –संजीव ठाकुर