नशा कोई भी हो यदि अच्छी बातों या चीजों का है तो फायदेमंद ही है और नशा बुरी बातों या चीजों का है तो स्त्री या पुरुष सबके लिए यह नुकसानदायक ही होता है। जहां तक बात है कि स्त्रियों का नशा करना कहां तक उचित है तो मैं कहना चाहूंगी कि अपने परिवार की केंद्र होती है एक स्त्री ही अपने पति और बच्चों को बुराइयों व नशा से बचाने में सक्षम होती है यदि किसी परिवार की स्त्री ही नशा से पीड़ित हो शराब या सिगरेट की आदत हो उसे तो वह अपने पति और बच्चों को नशे से बचाने में कैसे सक्षम होगी? यद्यपि आज की आधुनिक समाज में शराब या सिगरेट पीना फैशन और अपने आधुनिक होने के प्रमाण के रूप में भी देखा जा रहा है किंतु शराब या सिगरेट पीने की आदत स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने के साथ ही जीवन को सुचारू रूप से चलाने में भी कठिनाइयां उत्पन्न करता है फिर भी अक्सर लोग अपने किसी व्यथा या भुलाने के लिए नशा को सहारा बनाते हैं किंतु एक व्यथा या मानसिक दंश को भूलने के लिए लिए गए इस सहारे के परिणाम स्वरूप अपने जीवन में लोग न जाने कितनी और परेशानियों को न्योता दे बैठते हैं। ठीक इसी प्रकार से यदि कोई स्त्री शराब और सिगरेट की आदतों से पीड़ित होगी तो वह अपने पति और बच्चों को एक सफल अथवा सुखी नागरिक बनाने में असक्षम ही हो जाएगी। अतः शराब या सिगरेट पीना सब के लिए हानिकारक है किंतु एक स्त्री का शराब या सिगरेट पीना अत्यंत दुखदाई और विनाश कारक है क्योंकि एक स्त्री घर और समाज दोनों में ही एक अहम भूमिका निभाती है और सबसे महत्वपूर्ण भूमिका वह एक मां के रूप में निभाती है और एक मां यदि शराब और सिगरेट पीने जैसे आदतों की शिकार होगी तो उसके बच्चों को सामान्य जीवन जीना कितना दुर्लभ होता होगा।जहां तक हम बात करते हैं पाश्चात्य सभ्यता की तो वहां के नागरिक शराब को सिर्फ नशे के तौर पर नहीं देखते बल्कि उनमें से अधिकांश लोग शराब की निहायत कम मात्रा या यूं कहें कि दवा के रूप में भी लेते हैं वह भी वहां के लोग शराब का सेवन वहां के अत्यंत ठंड के कारण भी लेते हैं लेकिन वर्तमान भारतीय समाज में शराब और सिगरेट पीना आधुनिकता का पर्याय बन चुका है जोकि अत्यंत दुखद है।
बीना राय, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश