Sunday, June 8, 2025
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नजीराबाद में दर्ज दो मुकदमे की जांच करने कानपुर पहुंची, मानवाधिकार आयोग की टीम

सैफई के सुघर सिंह पत्रकार ने नजीराबाद पुलिस पर फर्जी फँसाये जाने का लगाया था आरोप

कानपुर नगर,जन सामना। सैफई के वरिष्ठ पत्रकार सुघर सिंह को थाना नजीराबाद कानपुर नगर पुलिस द्वारा दो मुकदमे लगाकर जेल भेजे जाने की जांच करने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम दिल्ली से कानपुर आ चुकी है। सुघर सिंह पत्रकार ने आईजी मोहित अग्रवाल, डीआईजी अनन्तदेव, सीओ गीतांजलि, एसओ मनोज रघुवंशी, पर फर्जी मुकदमा लगाकर जेल भेजने का आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मेरे द्वारा कानपुर के थाना फजलगंज, थाना पीजीआई लखनऊ, थाना पीपरपुर अमेठी, थाना सैफई जिला इटावा, थाना करहल जिला मैनपुरी में जो मुकदमे दर्ज कराए गए थे। उनमें दो में चार्जसीट जा चुकी है, उनमें समझौता करने का दबाब बनाने के लिए उक्त फर्जी मुकदमे दर्ज कराए गए है। सुघर सिंह पत्रकार ने इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को कई पत्र भेजे गए पत्रों का अध्ययन करने के पश्चात राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जांच करने का निर्णय लिया। और जांच टीम 8 फरवरी की इटावा पहुंची और इटावा व सैफई पुलिस के अधिकारियों के ब्यान लिए। सैफई थाने भी गयी व सुघर सिंह पत्रकार के ब्यान दर्ज करके कानपुर सुबह 11 बजे बजे कानपुर आ गयी है। जहां सभी आरोपी अधिकारियों के ब्यान दर्ज करेगी। मनोज रघुवंशी आईजी मोहित अग्रवाल के इशारे पर काम करता था। उसकी कई शिकायते हुई थी, जिनमें हर बार बचाव करने और मीडिया को ब्यान देने के लिए मोहित अग्रवाल को आगे आना पड़ता था। मोहित अग्रवाल में कई बार शिकायतों पर मनोज रघुवंशी पर कार्यवाही की बात कही थी। लेकिन उसके विरुद्ध कभी कोई कार्यवाही नही हुई। उसने इसी का फायदा उठाकर सुघर सिंह को जेल भेज दिया। सुघर सिंह पत्रकार ने फोन करके बताया डीजीपी के बुलाबे पर लखनऊ मिलने गया था। बापस आते समय मनोज रघुवंशी ने सीओ गीतांजली से मिलने के लिए काल करके बुलाया और बुलाकर दो फर्जी मुकदमे लगाकर जेल भेज दिया। पुलिस ने फर्जी दरोगा का कार्ड भी लगा दिया। कार्ड पर जो फ़ोटो लगी थी वो मेरे द्वारा लिखाये गए थाना सैफई में मुकदमे के अभियुक्तो व उनके साथियों द्वारा एडिट करके बनाई गई थी। जिसकी लगभग 100 शिकायत वर्ष 2016 से वर्ष 2020 तक प्रदेश के सभी उच्चाधिकारियों को पंजीकृत डाक द्वारा, ईमेल, व आईजीआरएस द्वारा की जा चुकी थी जिसके सभी साक्ष्य मौजूद है। अभियुक्तो ने उसी फ़ोटो का फर्जी कार्ड तैयार किया उस फ़ोटो में सिर्फ गर्दन मेरी है, बाकी वर्दी पहने धड़ किसी अन्य का है, उसी फर्जी फ़ोटो से आई कार्ड बनाकर पुलिस को दे दिया। उन्होंने बताया कि गिरफ्तारी के दौरान सभी अभियुक्त थाने में मौजूद थे। पुलिस की मोटी रकम भी दी गयी थाने में उन्हें थर्ड डिग्री दी गयी। एसओ द्वारा यह कहने का दबाब बनाया गया कि में दरोगा बनाकर अवैध बसूली करता हूँ। और दबिश देने कानपुर आया था। मुझे फंसाने के लिए 4 लाख के नकली नोट भी मंगाए गए। मुझे नकली नोट का सप्लायर का मुकदमा भी लगाया जा रहा था, बाद में आईजी ने व डीआईजी ने दो मुकदमे लगवा दिए।अभियुक्तो ने भी मारपीट की। मारपीट में कपड़े भी फाड़ दिए गये। फर्जी एनकाउंटर दिखाने के लिए रिवाल्वर व तमंचे से फायर भी किये गए। मुझसे बरामद 82500 रुपये नगदी व मेरी सोने की चेन अंगूठी भी पुलिस ने गायब कर दी। गाड़ी में 9 मुकदमे के फाइल सीडी पैनड्राइव, स्पीकर, स्टपनी, कपड़े बैटरी व अन्य सामान गायब कर दिया। कानपुर के तीन बड़े अखबारों में भी फर्जी खबरे प्रकशित कराई है जिनके सम्बन्ध में इटावा न्यायालय में वाद दायर किया गया है। जेल से आने के बाद जब फर्जी मुकदमे की जांच के लिए और रिवाल्वर की फायर की बेलस्टिक जांच के लिए उच्चाधिकारियों व शासन को पत्र लिखे तो आईजी मोहितअग्रवाल, डीआईजी प्रीतिंदर सिंह, एसओ साउथ दीपक भूकर, सीओ गीतांजली, प्रभारी निरीक्षक ज्ञान सिंह ने जिलाधिकारी को संस्तुति करके रिवाल्वर निरस्त करा दी। संस्तुति पर प्रभारी निरीक्षक ज्ञान सिंह के हस्ताक्षर फर्जी किये गए थे। उन्होंने बताया कि अब उन्हें न्याय की उम्मीद जगी है, उन्हें फर्जी दो मुकदमे में 6 महीने जेल में रहना पड़ा। आयोग ने सभी आरोपी अधिकारियों को अपना पक्ष रखने के लिए तलब किया है। जांच टीम की दस्तक से कानपुर नगर पुलिस में हड़कप मचा हुआ है।