Monday, November 18, 2024
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उत्तर प्रदेश में पराली की समस्या पर प्लान, बायोगैस बनाने की तैयारी में सरकार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में गठित समिति की बैठक में कम्प्रेस्ड बायोगैस { सी0बी0जी0} प्लांट की स्थापना को प्रोत्साहन दिये जाने के सम्बन्ध में विस्तृत विचार विमर्श किया गया।बैठक में समिति को अवगत कराया गया कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इंगित बिन्दुओं पर अतिरिक्त ऊर्जा स्त्रोत विभाग द्वारा प्रस्तावित उ0प्र0 राज्य जैव ऊर्जा नीति.2020 के ड्राफ्ट में प्राविधान किया गया है। सचिव, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश में कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लान्ट्स की स्थापना हेतु प्रदेश सरकार से बायोगैस के संग्रहण, परिवहन, {सी0बी0जी0} प्लान्ट्स के बेसमेन्ट एरिया के चिन्हांकन, बायोमास के संग्रह हेतु भूमि की उपलब्धता, प्रेस मड की उपलब्धता, नगरीय ठोस अपशिष्ट आधारित संयंत्रों की स्थापना आदि के सम्बन्ध में प्रदेश सरकार से विभिन्न कार्यवाहियों की अपेक्षा की गयी है।उल्लेखनीय है कि वर्तमान परिदृश्य में कृषि अपशिष्ट को खेतों में ही जला दिये जाने के फलस्वरूप उत्पन्न पर्यावरणीय संकट तथा भूमि की उत्पादकता में क्षति की समस्या के समाधान हेतु अपशिष्ट आधारित जैव ऊर्जा उद्यमों को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश जैव ऊर्जा नीति ड्राफ्ट तैयार किया गया है | जिसमें अपशिष्ट आधारित विद्युत ऊर्जा, बायो सीएनजी तथा बायोकोल आदि के उत्पादन को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से सुविधाएं राज्य सरकार के स्तर से प्रस्तावित की गयी है। प्रस्तावित नीति में 100 मेगावाट क्षमता के पैडी स्ट्रा पराली आधारित विद्युत उत्पादन इकाईयों की स्थापना, बायो सीएनजी आधारित संयंत्रों की स्थापना तथा बायोकोल के उत्पादन हेतु अनुदान इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में छूट आदि अनेक सुविधाएं प्रस्तावित की गयी हैं। मुख्य सचिव द्वारा निर्देश दिये गये हैं कि सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर नीति पर विभिन्न विभागों के अभिमत प्राप्त कर सक्षम स्तर से अनुमोदन प्राप्त किया जाये। बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा, औद्योगिक विकास आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव वाणिज्य कर संजीव मित्तल, अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी सहित अन्य सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।