प्रधानमंत्री के आह्वान पर “लोकल फॉर वोकल” को दृष्टिगत रखते हुए स्थानीय व्यवसायों को प्रोत्साहित करके “आत्मनिर्भर भारत” की संकल्पना को चरितार्थ करता है- मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश राज्य के इतिहास में पहली बार है कि इतनी बड़ी मात्रा में ऋण किसी वित्तीय वर्ष में एमएसएमई सेक्टर को दिया गया है। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 50 लाख रोजगार के अवसर निजी क्षेत्र में पैदा हुए है। सरकार द्वारा एमएसएमई साथी ऐप पर बैंकों से संबंधित ऋण के मामलों के निस्तारण के लिए आवश्यक कदम भी उठाए गए हैं यह बातें इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स ऑर्गनाइजिंग एमएसएमई असिस्टेंट प्रोग्राम के तहत फाइनेंस एंड लॉजिस्टिक्स विषय पर वर्चुअल संवाद आईसीओसीओ एमएसएमई के सीनियर असिस्टेंट डायरेक्टर राहुल चक्रवर्ती से उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता एवं एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कही।
श्री सिंह ने कहा उत्तर प्रदेश में लगभग 90 लाख एमएसएमई इकाइयाँ हैं जिनका की देश की कुल हिस्सेदारी में 14.2% हिस्सा है। पिछले एक वर्षों में लगभग 40 लाख नई एमएसएमई इकाइयाँ स्थापित की गयी है जिससे अतिरिक्त 50 लाख लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हुआ है।राज्य के निर्यात में एमएसएमई का योगदान लगभग 80% है जिसने 38% की वृद्धि देखी गयी है जो 2017-18 में 88,967 करोड़ से 1,20,356 करोड़ रूपए हो गया। एमएसएमई के विकास के लिए वित्त की पहुंच अक्सर एक महत्वपूर्ण अवरोधक के रूप में पहचानी जाती है। एमएसएमई इकाईओं को महामारी प्रेरित लॉकडाउन से उबारने के लिए केंद्र सरकार ने 3 लाख करोड़ रुपये की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) की घोषणा की. उत्तर प्रदेश में वैश्विक कोरोना महामारी के दौर में लगभग 13 लाख एमएसएमई इकाइयों को वित्तीय सहायता के रूप में 42,700 करोड़ रुपये के ऋण वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि गंगा के उपजाऊ मैदानों के किनारे स्थित होने के फलस्वरूप राज्य को असीमित अवसरों का आशीर्वाद प्राप्त है, साथ में प्रदेश को भारत में एक मजबूत कृषि और खाद्य प्रसंस्करण आधारभूत ढांचा उपलब्ध है, उत्तर प्रदेश भारत में शीर्ष 5 विनिर्माण राज्यों में से एक है।कोविंड 19 के बाद, राज्य सरकार ने नए उद्योगों और सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए अपना ध्यान इन्फ्रास्ट्रक्चर, एयरोस्पेस एंड डिफेंस, लॉजिस्टिक्स, डिफेंस, इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग, आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इत्यादि क्षेत्रों में केंद्रित किया है, जिससे इन क्षेत्रो का विकास तीव्र गति से चल रहा है। राज्य सरकार नए बाजार के रुझानों को जल्दी से स्वीकार कर इस विपदा को नए अवसरों में प्रवर्तित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। श्री सिंह वर्चुअल संवाद में कहा उत्तर प्रदेश सरकार बुनियादी ढांचे को मजबूत कर वर्ल्ड क्लास विभिन्न एक्सप्रेस वे के माध्यम से विश्व स्तर के आगामी एशिया के सबसे बड़े ग्रीनफ़ील्ड हवाई अड्डे जेवर में और 100 एकड़ से अधिक फ्रेट विलेज वाराणसी में प्रतिस्थापित कर रही है। राज्य ने लगभग 1 लाख एकड़ के भूमि बैंक की पहचान की है और पहले से ही लगभग 28,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है, जिसमें से 8,500 एकड़ से अधिक भूमि आवंटित करने की तैयारी में है। सरकार 20 से अधिक क्षेत्रीय नीतियों के माध्यम से नीति संचालित विकास का नेतृत्व कर रही है। राज्य में पारंपरिक उद्योगों का बढ़ावा देने के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार ने एक जनपद एक उत्पाद (ODOP) योजना शुरू की है। ODOP का उद्देश्य पूरे प्रदेश में प्रत्येक जिले मे फैले स्थानीय कला, शिल्प और पारंपरिक कौशल को संरक्षित करना, विकसित करना और बढ़ावा देना है ।ओडीओपी योजना जिला स्तर पर रोजगार सृजन के माध्यम से प्रगति की एक नई गति की शुरुआत करके राज्य में एमएसएमई को आगे बढ़ाने में एक प्रमुख भूमिका निभा रही है। इसमें रोजगार और कौशल विकास के लिए एक प्रमुख गुणक प्रभाव उत्पन्न करने की वृहद क्षमता है, तथा राज्य सरकार के विकास को अपने केंद्रीय विषय के रूप में विकसित करने के प्रयासों को बढ़ावा देने की है।
श्री सिंह ने बताया कि यह योजना प्रधानमंत्री के आह्वान पर “लोकल फॉर वोकल” को दृष्टिगत रखते हुए स्थानीय व्यवसायों को प्रोत्साहित करके “आत्मनिर्भर भारत” की संकल्पना को चरितार्थ करता है।रणनीतिक रूप से पूर्व, पश्चिम और मध्य भारत, तक पहुंच के लिए उत्तर भारत का ग्रेटर नोएडा सबसे बड़े उपरिकेंद्र के रूप में लॉजिस्टिक हब के रूप में उभर रहा है।अमृतसर कोलकाता औद्योगिक गलियारे (AKIC) और दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे (DMIC) ग्रेटर नोएडा (दादरी) से गुजरता है। हाल ही में एक वैश्विक रिटेल दिग्गज ने आगरा में अपना नया वृद्धि ई-इंस्टीट्यूट शुरू किया है, जिसमें राज्य में छोटे-छोटे व्यवसायों के कौशल और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क तक पहुंच उपलब्ध कराए जा सके।
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