Saturday, July 6, 2024
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सकारात्मक पहल…

यह सही है कि इस महामारी के दौर में भयानक रूप से संक्रमित हो रहे लोग और उससे भी भयानक मृत्यु के आंकड़ों ने सभी को भयभीत कर रखा है। ऐसे समय में सरकारी व्यवस्थाएं नाकाम साबित हो रही है। लोग बाग बेड, ऑक्सीजन और दवाइयों के लिए परेशान हो रहे हैं। जहां लोग आपदा में अवसर तलाश कर भ्रष्टाचार और कालाबाजारी को बढ़ावा दे रहे हैं, जो मानवता को दरकिनार कर संवेदनहीन होकर सिर्फ अपना लाभ अर्जित कर रहे हैं उन्हें इंसान होने का दर्जा कतई नहीं दिया जा सकता है। उन्हें मानव समाज कभी माफ नहीं करेगा। मगर ऐसे विपत्ति के समय में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो मरीजों की सेवा में जी जान से जुटे हुए हैं। इन लोगों के सेवा भाव के कारण इंसानियत पर भरोसा टिका हुआ है।
इस बार कोरोना का जहर इतनी तेजी से फैल रहा है कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है। ऑक्सीजन की कमी एक बड़ी समस्या के रूप में सामने खड़ी है। आक्सीजन और बेड न मिलने की वजह से लोगों ने अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ रहे हैं। ऐसे समय में सरकारी और निजी कंपनियों ने आक्सीजन सप्लाई की मदद की पहल की है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लि.
भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लि.
इफको (भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लि.)
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया
आर्सेलर मित्तल निप्पान स्टील इंडिया
ऐसी नामचीन कंपनियां है जिन्होंने आक्सीजन सप्लाई में मदद की। लेकिन सिर्फ इन कंपनियों के हवाले से ही जरूरतें पूरी नहीं हो गई है बल्कि कुछ सामाजिक संस्थाएं हैं और कुछ जमीनी स्तर से जुड़े हुई लोग भी हैं जिन्होंने ऑक्सीजन सप्लाई करने में या और किसी भी तरह की मदद देने में कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी है।
हेल्पिंग केयर वेलफेयर फाउंडेशन के नाम से संस्था हैं। ऑक्सीजन की सुविधा बेड और जरूरत की चीज मुहैया करवा रही है। इसी तरह कुछ ने अपनी गाड़ी को कोरोना मरीजों के लिए एंबुलेंस बना दिया है। गाजियाबाद में गुरप्रीत सिंह ऑक्सीजन देने की जिम्मेदारी संभाल रखी है। छोटी से छोटी सामाजिक संस्था जिन्दगी बचाने का भरपूर प्रयास कर रही है और इनके अथक प्रयासों का परिणाम है कि इस नाकाम साबित हो रही व्यवस्था के बावजूद इन लोगों के प्रयास से मानवता और उम्मीदें अभी भी जिन्दा है।
अगर हम सेवा की बात करें तो सेना के योगदान को कभी नकार नहीं सकते। हर आपदा में सैनिक बल हमेशा मदद के लिए तैयार खड़ी दिखी है। इस महामारी के समय में सेना अपने योगदान से पीछे नहीं हटी है। सेना का मेडिकल स्टाफ और रिटायर्ड हुए सभी चिकित्सा कर्मियों को वापस बुला लिया गया है और पास के कोविड सेंटर पर तैनात किया गया है। आपात हेल्पलाइन के जरिए मदद भी प्रदान की जा रही है। एक ऐसा दौर जो आपसी सहयोग और संबल के जरिये ही जीत पाना संभव है।
प्रियंका वरमा माहेश्वरी, गुजरात