Wednesday, June 26, 2024
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टीकाकरण की धीमी प्रक्रिया कोरोना को फैलने की दावत दे रही है

लाॅकडाउन ज़्यादा से ज़्यादा कितने समय तक लगाते रहोगे ? जब लाॅकडाउन हटेगा तब वापस लोग इकट्ठा होंगे, काम काज हेतु घर से बाहर निकलेंगे तो कुछ संपर्क से और कुछ बेदरकारी से वापस कोरोना फैलेगा ही, और कोरोना की लहरें आती ही रहेंगी जब तक टीकाकरण की कारवाही संपूर्णत: पूरी नहीं होती।
वायरस के फैलने की गति से कितना प्रतिशत धीमी गति से टीकाकरण हो रहा है। कुछ सीनियर सिटीजन लोग एक डोज़ लेने के बाद दूसरे डोज़ को तरस रहे है। पहले उनसे कहा गया दूसरा डोज़ 6 सप्ताह के बाद लेना है, ऐसे में 18 प्लस की घोषणा कर दी उनको भी नहीं पहुँच पा रहे। उतने में तीसरी लहर बच्चों को भी चपेट में ले रही है। पहला डोज़ लेने वाले 6 सप्ताह बाद दूसरे डोज़ के लिए जाते तो अब कहा जाता है सरकार ने अब 12 सप्ताह के बाद दूसरा डोज़ लेने की गाइडलाइन जारी की है।
यह स्थिति तब है जब भारत के पास अपना टीका है। एक तरफ़ सीरम इंस्टिट्यूट कह रही है कि टीके का समय से इस्तेमाल नहीं हुआ तो एक्सपायर हो जाएगा। घर के बच्चे घंटी चाटे पडोसीयों को आटा बांटे वाली उक्ति लागू हो गई। दिल्ली हाई कोर्ट ने कड़े शब्दों में कहा कि देश में कोरोना बढ़ रहा है और आप दूसरे देशों को खैरात दे रहे हो।
विश्व के अन्य देशों इजरायल, ग्रेट ब्रिटेन अमेरिका, इटली एवं संयुक्त अरब अमीरात के उदाहरण यह स्पष्ट करते हैं कि, इन देशों ने व्यापक पैमाने पर वैक्सीनेशन के द्वारा संक्रमण को रोकने में सफलता प्राप्त की है और सामान्य जनजीवन की स्थिति को प्राप्त करने में भी जल्दी सफलता प्राप्त की है।
गत वर्ष यह महामारी प्रारंभ होते ही स्पष्ट हो गया था कि इस महामारी के संक्रमण से देश की जनता को वैक्सीनेशन ही बचाएगी।
कुछ भी कह लो इस मामले में सरकार की लापरवाही तो रही है।
माना ये वायरस नया है, पर कम से कम WHO वालों को रिसर्च करके वायरस की दवाई और टीकाकरण के नियमों के बारे में जनता को सही जानकारी देनी चाहिए कि टीकाकरण के दो खुराक के बीच कितने समय की अवधि होनी चाहिए ओर किसको वैक्सीन लेनी है किसको नहीं और कब लेनी है। सारे लोग पढ़े लिखे समझदार नहीं होते, मोबाइल पर एप नहीं पढ़ते ऐसे लोगों तक सही जानकारी कैसे पहुँचे।
एक और विडंबना खास कर गर्भवती महिलाओं की हालत बुरी है सरकार और डाक्टर्स तय ही नहीं कर पा रहे है की गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगानी चाहिए या नहीं। ना दो डोज़ के बीच का सही अंतर तय कर पा रहे है। ज़्यादातर गर्भवती महिलाओं को ज्ञान नहीं की वैक्सीन लेनी है की नहीं इस चक्कर में कई महिलाओं ने दम तोड़ दिया।
सरकार को वैक्सीन आयात करने की और अपने देश में वैक्सीन बनाने की क्रिया को गतिशील बनाना होगा, वैक्सीनेशन की प्रक्रिया का धीमा होना, इसमें त्रुटियां और राज्यों और निर्धारित केंद्रों में इनकी अनुपलब्धता अत्यंत भीषण स्थिति निर्मित करने के संकेत दे रही है।
(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)