Saturday, June 29, 2024
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हरियाणा में सरकारी भर्ती परीक्षा में 5-10-20 नम्बर देना सीधा अत्याचार

( सभी रिजर्वेशन के बाद मेरिट ही एकमात्र आधार होना चाहिए चयन का लेकिन जब ओपन केटेगरी में भी 5-10-20 अंक सोसिवेकनोमिक के आ जाएं तो मेरिट कहाँ जाए? पति नौकरी पर है तो क्या पत्नी की प्रतिभा को नोच लिया जाये अगर वो गरीब घर से पढ़- लिखकर आई हो और नौकरी वाले आदमी  से शादी कर ली तो उसको कोई  हक नहीं  कि वो भी अपनी  मेहनत से नौकरी लगे.  आपका भाई नौकरी पर है तो क्या आप उसकी सैलरी पर क्लेम करके अपना खर्चा पानी ले सकते हो कोर्ट में? आपका उत्तर नहीं होगा। अगर नहीं तो वो भाई पहले से अलग है या नौकरी के बाद अलग हो गया क्या वो आपके बच्चो का पालन पोषण कर देगा? अगर नहीं तो फिर बाकी को क्यू नुकसान हो रहा है?)
हमारे सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मेरिट का उल्लघन कर सरकारी नौकरी देना संविधान का सीधा उल्लघन है और नाजायज है लेकिन दिल्ली से लगे हरियाणा में तो यह हर पल हो रहा है (आर्थिक)आधार पर रिजर्वेशन होने के बावजूद, सामाजिक व एजुकेशनल आधार पर रिजर्वेशन होने के बावजूद यहाँ डबल रिजर्वेशन – #सोसिवेकनोमिक (सामाजिक व आर्थिक ) के रूप में दी जाती है वो भी मेरिट को ताक पर रखके सीधे 5-10-20 अंक दे दिए जाते हैं|

जिन्हे डिस्प्ले तक नहीं किया जाता बिना कोर्ट के ऑर्डर्स के तो (कि कितने अंक किसको दिए) हालांकि समझ आता है जब ये अंक निहायत ज़रूरतमंद जैसे कि अनाथ, विधवा आदि को दिए जाएं वह भी एक या दो.. लेकिन भाई के सरकारी नौकरी में होने पर या माता या पिता के कभी सरकारी नौकरी में होने पर सज़ा मिलना, ये तो अलग लेवल का शोषण है. मतलब आपके बच्चों को जॉब नही मिलनी चाहिए ??? जिसका बाप या भाई जॉब लग गया तो वो पढ़ना छोड़ दे क्या ?? मतलब इसमें ग्रपु डी वाले परिवार को 5 नंबर नहीं मिलेंगे लेकिन अंबानी परिवार को मिल जाएंगे। क्युकी अंबानी परिवार में कोई ग्रुप डी में नहीं लगा है|
सब रिजर्वेशन के बाद मेरिट ही एकमात्र आधार होना चाहिए चयन का.. लेकिन जब ओपन केटेगरी में भी 5-10 अंक सोसिवेकनोमिक के आ जाएं तो मेरिट कहाँ जाए? पति नौकरी पर है तो क्या पत्नी की प्रतिभा को नोच लिया जाये अगर वो गरीब घर से पढ़- लिखकर आई हो और नौकरी वाले आदमी  से शादी कर ली तो उसको कोई  हक नहीं  कि वो भी अपनी  मेहनत से नौकरी लगे.  आपका भाई नौकरी पर है तो क्या आप उसकी सैलरी पर क्लेम करके अपना खर्चा पानी ले सकते हो कोर्ट में? आपका उत्तर नहीं होगा।अगर नहीं तो वो भाई पहले से अलग है या नौकरी के बाद अलग हो गया क्या वो आपके बच्चो का पालन पोषण कर देगा? अगर नहीं तो फिर बाकी को क्यू नुकसान हो रहा है?
क्या सरकारी नोकरी लगते ही आदमी अरबपति हो जाता है जिससे वो अपने सभी भाई बहनों के सारे खर्चे उठा लेगा इस एंटी मेरिट  क्राइटेरिया में संशोधन किया जाए – केवल ज़रूरतमंद जैसे कि विधवा, अनाथ, पिताविहीन को ही ये अंक मिलें व मैक्सिमम 2 अंक ही जो अन्य रिजर्वेशन के अंतर्गत कवर्ड हैं उन्हें ना मिलें -यह डबल/ट्रिप्पल रिजर्वेशन हो जाता है एक रिजर्वेशन मिले या तो SC ही मिले या सेक् या तो BC मिले या सेक्या  तो EWS मिले या Sec   दो -दो नहीं
इन सबके अतिरिक्त जिनको भी यह अंक मिल रहे हैं उन्हें डिस्प्ले किया जाए कमीशन की वेबसाइट पर पारदर्शिता कहने भर से नहीं आती सरकार से इसके लिए ठोस कदम उठाने की उम्मीद भी हो  जिन्हे एक बार ये अंक लेकर उन्होंने सरकारी नौकरी ज्वाइन कर ली .तो उन्हें यह अंक अगली भर्तियों में दोबारा नहीं मिलने चाहिए l ऐसे अभ्यर्थियों की छंटनी करना कमीशन का काम है, पूरी पारदर्शिता से यह हो
जिन्होंने फ़र्ज़ी तरीके से माता, पिता के जीवित होने के बावजूद या घर में सरकारी नौकरी होने के बावजूद यह अंक लिए हैं उन्हें सज़ा मिले व नौकरी से निलंबित करके आगे दो साल कोई फॉर्म भरने ना दिया जाए  इन अंकों की पूरी सख्ती से व निष्पक्ष टीम द्वारा वेरिफिकेशन करवाई जाए इससे बड़ा मुद्दा और कोई नहीं है बेरोजगारों के लिए संघर्षरत युविका श्वेता ढुल्ल के अनुसार आज की डेट में हरियाणा की भर्तियों में  इन अंकों के साथ जमकर धांधली हो रही है. किसी के भी लगा के अंदर, किसी के भी हटाकर बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है सरे आम.मैं ये सब अपने पूरे होश हवास में लिख रही हूँ क्यूंकि यही हो रहा है पिछली भर्तियों में भी कितनों के नहीं लगे.और ना जाने कितनों के फ़र्ज़ी लगाकर अंदर कर दिए होंगे  काटते रहो चककर फिर हाई कोर्ट के.. जोइनिंग तो हो गयी,पाप छुप गए पर सत्य की भी विजय तो होगी ही.
\ऐसा तो है नहीं कि जो गुस्सा इन एंटी मेरिट अंकों ने भर दिया है हरियाणा के युवाओं के भीतर वो थमा रहेगा, नासूर मत बनाइये  किसी बच्चे के सरकारी नौकरी के सपने को मत तोड़िये. ज़रूरतमंदो को दीजिये पर योग्य का हक़ मत छीनिये ! आखिर कब तक हम इस दोहरे आरक्षण की मार को झेलते रहेंगे एक तो रिजर्व कैटेगिरी बनादी और ऊपर से ये सोसिओ इकनोमिक, ये नंबर मिलने चहिए तो उसके लिए दो नम्बर भी बहुत है बाकी 5-10-20 नम्बर देना सीधा अत्याचार है क्योंकि आपको भी पता है आधे नंबर पे कितना कॉम्पटीशन होता है|
 –प्रियंका सौरभ 
रिसर्च स्कॉलर, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार