Sunday, November 17, 2024
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भारतीय अध्यक्षता में 13 वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2021

ब्रिक्स में दूसरी बार भारतीय अध्यक्षता से प्रभावकारी आगाज़ – काउंटर टेररिज्म एक्शन प्लान से अफ़ग़ान मुद्दे पर विस्तारवादी देश पर दबाव पड़ेगा – एड किशन भावनानी
भारतीय पीएम की अध्यक्षता में गुरुवार दिनांक 9 सितंबर 2020 को 13 वां वर्चुअल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2021 संपन्न हुआ, जिसमें भारत, रूस चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका जो दुनिया के 5 सबसे बड़े विकासशील देश हैं के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए और शिखर सम्मेलन के हाईलाइटस हमने टीवी चैनलों के माध्यम से देखें जिसको पांचों देशों के नेताओं ने संबोधन किया जो आम जनता ने भी सुने और अगले साल 2022 में ब्रिक्स के अध्यक्ष के रूप में विसतारवादी देश कार्यभार संभालेगा और 2022 में ब्लॉक के 14 वें शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा…साथियों बात अगर हम ऐन वक्त पर जब तालिबान की सत्ता अफ़ग़ान में काबिज़ हो चुकी है ऐसे समय में भारत की अध्यक्षता में इस ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की करें तो, बहुत महत्वपूर्ण स्थिति है क्योंकि आज इन ब्रिक्स देशों में 3 सबसे बड़े देश भारत, विस्तारवादी देश और रूस की नजरें अफ़ग़ान पर लगी हुई है…साथियों बात अगर हम भारत की करें तो पड़ोसी मुल्क का अफ़ग़ान से इतने गहरे संबंध,सरकार गठन में भारत आरोपित पक्षों का शामिल होना, भारत का बड़ी मात्रा में अफ़ग़ानी आधारभूत ढांचे में विनिवेश, पड़ोसी मुल्क और विस्तारवादी देश का अदृश्य छिपा हुआ गठबंधन, पड़ोसी मुल्क और अफ़ग़ानी वक्ताओं द्वारा कश्मीर मुद्दे पर बयान इत्यादि सभी बातों को रेखांकित किया गया है और एक दिन पहले ही इस मुद्दे पर पीएम, रक्षा, गृह इत्यादि मंत्रियों की बैठक भी हुई और भारत ने अनेक देशों से इस संबंध में बैठक कर अपनी रणनीति बनानी शुरू की है…साथियों बात अगर हम विस्तारवादी देश की करें तो उसकी भी पैनी नज़र अफ़ग़ान पर लगी हुई है। कई टीवी चैनलों से मिली जानकारी के अनुसार विस्तारवादी देश बड़े पैमाने पर आधारभूत ढांचे व अर्थव्यवस्था खड़ी करने में अफ़ग़ान की भारी मदद को तैयार है, क्योंकि उनकी नज़र वहां प्राकृतिक संसाधनों, ख़जाने पर है जिसका उपयोग विस्तारवादी देश अपने देश में करेगा और भारत को अंदेशा है कि पड़ोसी और विस्तार वादी देश मिलकर भारत और खासकर कश्मीर में कोई बड़ा खेला कर सकते हैं… साथियों बात अगर हम रूस की करें तो अमेरिका के अफ़ग़ान से हटने के कारण रूस की भी पैनी नज़र अफ़ग़ान पर आई है। परंतु खास बात इस ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में यह देखने को मिली कि सभी सदस्य देश, आतंकवाद को अफ़ग़ान में अभरण्य स्थल के रूप में उपयोग करने के खिलाफ़ बयान दिए हैं… साथियों बात अगर हम शिखर सम्मेलन में आपसी संवाद की करें तो नेताओं ने आतंकवाद से लड़नेकी प्राथमिकता को रेखांकित किया, जिसमें आतंकवादी संगठनों द्वारा अफ़ग़ान क्षेत्र को आतंकवादी अभयारण्य के रूप में उपयोग करने और अन्य देशों के खिलाफ़ हमले करने के प्रयासों को रोकना शामिल है। उन्होंने मानवीय स्थितिको संबोधित करने और महिलाओं, बच्चों व अल्पसंख्यकों सहित मानवाधिकारों को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। पीएम ने कहा कि यह भी पहली बार हुआ कि ब्रिक्स ने मल्टीलिटरल सिस्टम्स की मजबूती और सुधार पर एक साझा पोजिशन ली। हमने ब्रिक्स काउंटर टेरिरज्म एक्शन प्लान भी अडॉप्ट किया है, इस दौरान अपने संबोधन में पीएम ने कहा,पिछले डेढ़ दशक में ब्रिक्स ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। आज हम विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक प्रभावकारी आवाज़ है। विकासशील देशों की प्राथमिकताओं पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए भी यह मंच उपयोगी रहा है। अफ़ग़ान संकट के समय आयोजित इस अहम बैठक में नई दिल्ली घोषणापत्र के जरिए नेताओं ने देश में स्थिरता, नागरिक शांति, कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एक समावेशी अंतर-अफगान वार्ता के माध्यम से अफ़ग़ान में हिंसा से बचने और शांतिपूर्ण तरीके से स्थिति को निपटाने का आह्वान किया।इस बीच सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने अफ़ग़ानिस्तान का मुद्दा उठाया तो सम्मेलन के समापन पर, ब्रिक्स नेताओं ने ‘नई दिल्ली घोषणा’ के तहत अफ़ग़ानिस्तान संकट को शांतिपूर्ण तरीके से निपटने का आह्नान किया। ब्रिक्स सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका के जाने से नया संकट पैदा हो गया है। दुनिया के सामने सुरक्षा की चुनौतियां हैं। आतंक और नशे के कारोबार पर नियंत्रण ज़रुरी हो गया है। आतंकवाद पर नियंत्रण जरुरी है। उन्होंने कहा किअफ़ग़ान को आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी का स्रोत के रूप में अपने पड़ोसी देशों के लिए ख़तरा नहीं बनना चाहिए।वहीं विस्तारवादी देश के राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में हमारे 5 देशों ने खुलेपन, समावेशिता और समानता की भावना में रणनीतिक संचार औरराजनीतिक विश्वास बढ़ाया, एक-दूसरे की सामाजिक व्यवस्था का सम्मान किया, राष्ट्रों के लिए एक-दूसरे के साथ बातचीत करने के लिए विकास और मार्ग खोजे। 13वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हमने व्यावहारिकता, नवाचार और समान सहयोग की भावना से सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में ठोस प्रगति की है। हमने बहुपक्षवाद का समर्थन किया है और समानता, न्याय और पारस्परिक सहायता की भावना से वैश्विक शासन में भाग लिया है। इस वर्ष की शुरुआत के बाद से हमारे 5 देशों ने ब्रिक्स सहयोग की गति को बनाए रखा है और कई क्षेत्रों में नई प्रगति हासिल की है। जब तक हम अपने दिमाग और प्रयासों को एक साथ रखते हैं, हम ब्रिक्स सहयोग में सहज, ठोस प्रगति कर सकते हैं, चाहे कुछ भी हो जाए। इस मौके पर पीएम ने कहा कि ब्रिक्स की अध्यक्षता के दौरान भारत को सभी सदस्यों से पूरा सहयोग मिला है। मैं इसके लिए सभी सदस्यों को धन्यवाद देता हूं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि ब्रिक्स अगले 15 वर्षों में और परिणामदायी हो। भारत ने अपनी अध्यक्षता के लिए जो थीम चुनी है, वह यही प्राथमिकता दर्शाती है-ब्रिक्स15: इंट्रा-ब्रिक्स कोऑपरेशन फॉर कंटीन्यूटी, कॉन्सॉलिडेशन एंड कंसेन्सस। ये 4 सी हमारी ब्रिक्स साझेदारी के बुनियादी, इस दौरान अपने संबोधन में पीएम ने कहा,पिछले डेढ़ दशक में ब्रिक्स ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। आज हम विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक प्रभावकारी आवाज़ है विकासशील देशों की प्राथमिकताओं पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए भी यह मंच उपयोगी रहा है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतीय अध्यक्षता में 13 वा शिखर सम्मेलन 2021 भारत के लिए एक आतंकवाद से लड़ने की प्राथमिकता में एक सकारात्मक पहलू हुआ और ब्रिक्स में दूसरी बार भारतीय अध्यक्षता से प्रभावकारी आगाज़ हुआ तथा अफ़ग़ान मुद्दे पर विस्तारवादी देश पर दबाव पड़ना तय है।
-संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र