Tuesday, June 18, 2024
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चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक दलों में मचा भारी उठापटकः वीरेंद्र कुमार जाटव

10 जनवरी की बिछी बिसात क्या बीजेपी पर पड़ेगी भारी

नई दिल्ली। योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा देकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में भारी हलचल पैदा कर दी है, इस्तीफा देने के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पत्रकारों के साथ वार्ता करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार में और संगठन में दलितों पिछड़ों की उपेक्षा अन्याय और अपमान बर्दाश्त के बाहर था। इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के बैठकों में नीतिगत फैसला लेते समय दलित और पिछड़ों की भावनाओं को ध्यान नहीं रखा जाता था और न ही उनके प्रतिनिधियों को शामिल किया जाता था। इतना ही नहीं उन्होंने योगी सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाए है।भाजपा की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए सरकार की विफलताओं का उल्लेख करते हुए थानों में लूट की का जिक्र किया। सरकार के क्रियाकलापों में और प्रतिनिधित्व के संदर्भ में जातिगत भेदभाव का आरोप भी लगाया है। स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ही भाजपा विधायक बिल्लौर से भगवती प्रसाद, तिलहर से बृजेश प्रजापति, बांदा के रोशन लाल इस्तीफा दे दिया है। इनके अलावा मंत्री धर्म सिंह सैनी, विधायक विनय शाक्य जैसे कुल मिलाकर 11 विधायकों के बीजेपी छोड़ने की चर्चा जोरों पर। चुनावी माहौल में दलित और पिछड़े के विधायकों के इस्तीफे के बड़े मायने है, यह घटनाक्रम उत्तर प्रदेश की राजनीति को।बड़े पैमाने प्रभावित करेंगे। पिछड़े वर्ग की नाराजगी से बीजेपी को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा किसान आंदोलन के कारण किसानी करने वाली जातियां विशेषकर जाट बीजेपी से पहले ही नाराज चल रहा है। बीजेपी इस बात को अच्छी तरह जानती है, की पिछड़ों की नाराजगी से उत्तर प्रदेश में भाजपा विरोधी माहौल बनेगा। इसलिए योगी सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने उनको मनाने की बात कही है और एक खबर के अनुसार केंद्र ने इस को गंभीरता से लेते हुए स्वतंत्र देव यादव और सुनील बंसल जैसे बड़े नेताओं को डैमेज कंट्रोलमेंट पर लगा दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़ों में बेहद लोकप्रिय हैं। उनकी बातों को सुना जाता है, इसलिए बीजेपी को यह भारी झटका है। बीजेपी के बारे में चर्चा है कि बीजेपी अपने सेटिंग विधायकों के करीब 120 टिकट काटे जा रहे है, ताकि बिजपी को इनकंबेंसी फैक्टर का नुकसान ना हो। लेकिन यही प्रक्रिया संभवत बीजेपी को भारी पड़ने वाली है आज के घटनाक्रम से तो यही प्रतीत होता है।

विरेंद्र कुमार जाटव
राजनीतिक विश्लेषक