एनएचआई के अधिकारी ही बताएंगे, आवागमन के मार्ग में अवरोधक पत्थर रखना कितना जायज – जीएम असद
इटौरा बुजुर्ग टोल प्लाजा पर मार्ग में मनमाने तरीके से रखे गए अवरोधक पत्थर
रायबरेली, पवन कुमार गुप्ता। देखा जाए तो नियमतः कहीं भी स्पीड ब्रेकर बनाने का या फिर मार्ग में अवरोधक पत्थर रखने का नियम नहीं है। बेहद जरूरी होने पर पहले यह मामला जिला यातायात सुरक्षा समिति के पास जाता है और उसके बाद ही निश्चित मापदंड के अनुरूप ब्रेकर बनवाए जाते हैं। वर्तमान में जहां भी सड़कें बनती हैं, वहां दबावपूर्वक कुछ लोग स्पीड ब्रेकर बनवा लेते हैं जो कि जानलेवा साबित होता हैं। इसके साथ ही यदि एनएचआई भी यदि कहीं पर ब्रेकर या अवरोधक पत्थर रखता है तो उसके लिए भी निश्चित मापदंड और नक्शा पास होता है मनमाने तरीके से कहीं भी अवरोध उत्पन्न करना ठीक नहीं है।
बताते चलें कि इस समय प्रयागराज से लखनऊ राजमार्ग पर स्पीड ब्रेकर की भरमार है। यही नहीं राष्ट्रीय राजमार्ग में स्पीड ब्रेकर बनाने का नियम नहीं है, परंतु हाल ही में इसी राजमार्ग पर जनपद रायबरेली से ऊंचाहार की तरफ राजमार्ग में इटौरा बुजुर्ग के नजदीक बने टोल प्लाजा पर साइड की दोनों लेन पर बड़े भारी अवरोधक पत्थर लेन के बीचो बीच रखे गए हैं उसमें भी मानकों का ख्याल नहीं रखा गया है। अधिकांश रखे अवरोधक पत्थर में सफेद या पीला पेंट भी नहीं किया गया है, जिससे बाइक सवार या वाहन चालकों को दिन में और खासकर जब इस समय कोहरे का मौसम है, तब दूर की बात छोड़िए नजदीक से भी ब्रेकर दिखाई नहीं देते हैं। इससे अक्सर दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। और यही हुआ आज जब एक स्थानीय वाहन राजमार्ग से कहीं जा रहा था तब टोल प्लाजा पर साइड में रखें बैरिकेट पर खड़े सुरक्षाकर्मी को आवश्यक कार्य बताते हुए निकलने का प्रयास किया तो उसने बैरीकेट खोल दिया लेकिन बैरिकेड के पीछे ही रखा लेन के बीचो-बीच अवरोधक पत्थर कोहरानुमा मौसम होने की वजह से नहीं दिखा और सुरक्षाकर्मी द्वारा बैरिकेड हटाते ही उसके बीच में रखें गति अवरोधक भारी पत्थर से गाड़ी टकरा गई। जिससे कि वाहन क्षतिग्रस्त हो गया और वाहन में काफी नुकसान हुआ हालांकि कुछ देर बाद गाड़ी चालू हो सकी है। वाहन चला रहे व्यक्ति ने बताया कि टोल प्लाजा पर खड़े सुरक्षाकर्मी द्वारा यह नहीं बताया गया कि बैरीकेट के पीछे ही गति अवरोधक पत्थर भी रखा हुआ है और उसने बैरिकेट हटा लिया और कोहरानुमा मौसम होने की वजह से चालक जब तक अवरोधक पत्थर को देख पाता उससे पहले ही बैरिकेट के पीछे रखे अवरोधक पत्थर से गाड़ी टकरा गई। वाहन चालक ने कहा कि लेन में प्रवेश करने से पहले कहीं भी यह नहीं दर्शाया/चिन्हित किया गया है कि सामने अवरोधक पत्थर लगा हुआ है यदि यह मार्ग बंद भी है तो उसे नहीं खोलना चाहिए था जिससे कि कोई दुर्घटना घटित हो सके। वाहन स्वामी/चालक ने इटौरा बुजुर्ग टोल प्लाजा को संचालित कर रही कंपनी के प्रबंधक और व्यवस्थापक पर मार्ग को मनमाने तरीके से अवरोधक करने के लिए जिम्मेदार ठहराया है साथ ही उसने टोल प्लाजा को चला रही कंपनी से वाहन क्षतिग्रस्त हो जाने से उसके नुकसान की भरपाई की मांग की है।
जबकि स्पीड ब्रेकर या लेन में रखें मार्ग अवरोधक पत्थर के पहले चेतावनी चिह्न लगे होने चाहिए। साथ ही उसमें सफेद या पीला पेंट एवं रेडियम भी होना चाहिए। जिससे दिन एवं रात में दूर से ही वाहन चालकों को नजर आ जाए।
वहीं जब टोल प्लाजा के मैनेजर से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने बताया कि यह अवरोधक पत्थर संचालित कंपनी के जीएम असद के आदेश पर रखा गया है जब उनसे लेन के बीच में रखे गए इन अवरोधक पत्थरों के बारे में विभाग द्वारा लिखित आदेश की कॉपी मांगी गई तो उन्होंने देने से इंकार कर दिया और कहा कि यह हम आपको उपलब्ध नहीं करा सकते हैं।
इसके पश्चात जब टोल प्लाजा संचालित कर रही कंपनी के जीएम असद से बात करके, उन्हें उपरोक्त घटनाक्रम से अवगत कराते हुए, मार्ग में यह अवरोधक पत्थर रखना कितना जायज है, पूछा गया तो उन्होंने भी इस पर अपनी कोई टिप्पणी नहीं की और उन्होंने बताया कि इसके बारे में एनएचआई ही आपको बता पाएगी और एनएचआई के अधिकारियों के आदेश पर ही बीते दिन यह अवरोधक पत्थर रखवाए गए थे लेकिन जब उनसे भी लिखित आदेश की कॉपी मांगी गई तो उन्होंने भी कॉपी देने से इनकार कर दिया है।