सिकंदराराऊ। विमल साहित्य संवर्धक संस्था के तत्वावधान में भारत रत्न एवं स्वर कोकिला लता मंगेशकर की पावन स्मृति में “एक शाम लता के नाम” काव्यगोष्ठी का आयोजन दि ग्लोबल इंडिया एजूकेशन सोसायटी के कार्यालय पर किया गया। जिसमें लता मंगेशकर की याद में कवियों ने कविताएँ पढ़ीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी हरपाल सिंह यादव और संचालन पंकज पण्डा ने किया। काव्यगोष्ठी की शुरूआत लता मंगेशकर के छविचित्र पर श्रद्धांजलि में पुष्पार्पित करते हुए हुई। समाजसेवी हरपाल सिंह यादव ने कहा कि लता जी का जाना देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। जब भी उनके गाये गीत सुनेंगे, उनकी याद आएगी। अवनीश यादव ने सरस्वती वंदना के साफ काव्य गोष्ठी की शुरुआत की।
तत्पश्चात पंकज पंडा ने पढ़ा-
याद कर रहा राष्ट्र समूचा, आप स्वयं थी स्वर गंगा।
सुनकर गीत आपके गाये, हो जाता है मन चंगा।।
अवनीश यादव ‘अलंकार’ ने पंक्तियाँ पढ़ीं –
शोकमग्न हैं हम सब, देवी आप रुलाकर चली गईं।
भूल नहीं पायेंगे ऐसे गीत सुनाकर चली गईं।।
हास्यकवि देवेंद्र दीक्षित शूल ने लता मंगेशकर के जीवन संघर्ष को याद करते हुए पढ़ा-
संघर्ष की देवी लता जी, आप को शत-शत नमन।
जादू भरी आवाज वाली ,बहन जी तुम को नमन।
अवशेष विमल ने पढ़ा-
नाम लता मंगेशकर, सदा रहेगा याद।
गीत आपके बन गये, जग के लिये प्रसाद।
युवाकवि रंजीत सिंह पौरुष ने पढ़ा-
ये अचानक से क्या हो गया। कोकिला स्वर कहाँ खो गया।
शोक में देश डूबा हुआ, गीत का कारवां रो गया।
शायर जमीरउद्दीन जमीर ने पढ़ा-
जाना था हमसे दूर बहाने बना लिये।
अब तुमने कितनी दूर ठिकाने बना लिये।
इनके अलावा नरेंद्र अकबर, प्रमोद विषधर, राजीव अंबर, कन्हैया पलतानी आदि ने भी काव्यपाठ किया।
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