Wednesday, November 27, 2024
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Jan Saamna Office

बाइक सवार रेलवे कर्मचारी को जनरथ बस ने मारी टक्कर

कौशाम्बी, शिव कुमार मौर्य। उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिला के सैनी कोतवाली क्षेत्र के कमसिन चौराहे पर बाइक सवार रेलवे कर्मचारी को जनरथ बस ने मारी टक्कर हादसे में बाइक सवार दोनों रेलवे कर्मचारी गम्भीररूप से जख्मी स्थानीय लोगों ने घायलो को सीएचसी सिराथू कराया भर्ती।
प्राप्त जानकारी के अनुसार फूलपुर निवासी मोहनलाल के पुत्र अजीत कुमार 26 वर्ष फतेहपुर जनपद के कटोहन में रेलवे कर्मचारी के पद पर तैनात हैं वही फूलपुर निवासी श्रवण पाल 28 वर्ष फतेहपुर जनपद के सतनरैनी में रेलवे में कर्मचारी है। अजीत अपने साथी श्रवण पाल के साथ शुक्रवार की सुबह बाइक में सवार होकर प्रयागराज की ओर जा रहा था जैसे ही बाइक सवार सैनी कोतवाली क्षेत्र के कमासिन चौराहे के नज़दीक पहुचे तभी प्रयागराज की ओर से कानपुर की ओर जा रहे तेज रफ्तार जनरथ बस ने बाइक सवार को टक्कर मार दी हादसे में बाइक सवार गंभीर घायल हो गए और वहा से सिराथू अस्पताल में भर्ती कराया गया वह हालात गंभीर देखकर जिला अस्पताल रिफर कर दिया गया है।

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आखिर हमलावरों पर क्यो नहीं हो रही कार्यवाही

प्राण घातक हमले में गम्भीर रूप से घायल रामू को नहीं मिल रहा इंसाफ
अझुवा/कौशाम्बी, राहुल चौधरी। सैनी थाना क्षेत्र के नगर पंचायत अझुवा वार्ड नं 7 मौलाना आजाद नगर बहुवा में बीते दिनों 5 जुलाई को गांव के कुछ दबंगो ने रामू पुत्र रामआसरे पर धारदार हथियार से हमला कर दिया था जिसमे रामू गम्भीर रूप से घायल हो गया था। जिसकी सूचना रामू के भाई ने अझुवा चौकी में लिखित दी थी।
रामू के परिजनों के मुताबिक जो तहरीर दिया गया उसे चौकी के एक सिपाही द्वारा फाड़ कर दूसरी तहरीर लिखवाया गया। जिसमें एफआईआर में मामूली धारा लिख कर पुलिस ने इतिश्री कर दी जबकी रामू की हालत अब भी गम्भीर है। परिजनों और गांव के लोगों का कहना है कि हमले वाले दिन से आज तक पुलिस एक भी बार मौके पर नहीं आई है। जिससे दबंगों के हौसले बड़े हुये है। किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होने से नाराज परिजन ने अपनी शिकायत पुलिस अधीक्षक से करने को कहा।

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प्रधानमंत्री ने रीवा की मेगा सौर ऊर्जा परियोजना राष्ट्र को समर्पित की

सौर ऊर्जा 21वीं सदी की ऊर्जा जरूरतों का माध्यम बनेगी क्योंकि यह पूरी तरह से स्वच्छ और सुरक्षित है: प्रधानमंत्री
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्‍यम से मध्‍य प्रदेश के रीवा में अत्‍याधुनिक मेगा सौर ऊर्जा परियोजना राष्‍ट्र को समर्पित की। यह एशिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना है।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि मौजूदा दशक में रीवा परियोजना पूरे क्षेत्र को स्‍वच्‍छ और सुरक्षित ऊर्जा के बड़े केन्‍द्र के रूप में बदल देगी। उन्‍होंने कहा कि इस परियोजना से दिल्‍ली मेट्रो सहित रीवा और उसके आस-पास के समूचे क्षेत्र को बिजली की आपूर्ति की जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत जल्द मध्य प्रदेश भारत में सौर ऊर्जा का मुख्य केंद्र होगा, क्योंकि नीमच, शाजापुर, छतरपुर और ओंकारेश्वर में ऐसी कई प्रमुख परियोजनाओं पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के गरीबों, मध्यम वर्ग के लोगों, आदिवासियों और किसानों को इसका सबसे ज्‍यादा मिलेगा। उन्‍होंने कहा कि सौर ऊर्जा21 वीं सदी में आकांक्षी भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का एक प्रमुख माध्यम होगा।

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घरेलू कामगारों की अहमियत कब समझेंगे हम?

इनकी असुरक्षा और हीनता की भावनाएँ किसी के लिए मानवीय दृष्टिकोण वाली क्यों नहीं है -प्रियंका सौरभ
घरेलू कामगारों की बात करते ही मन विचलित हो उठता है और सीने में दर्द भर जाता है कि वो बेचारे कैसे और तरह-तरह के के निम्न स्तर के काम पेट की आग बुझाने के लिए करते है। हर समय गाली-गलौज सहकर भी कम पैसों में ज्यादा कार्य करते रहते है। हमारे देश में घरेलू कामगारों की संख्या करोड़ों में है। एक सर्वे के अनुसार ‘भारत में 4.75 मिलियन घरेलू कामगार हैं, जिनमें से शहरी क्षेत्रों में तीन मिलियन महिलाएँ हैं। भारत में लगभग पाँच करोड़ से अधिक घरेलू कामगार हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएँ हैं। बड़े-बड़े और कस्बों में प्रायः हर पाँचवें घर में कामवाली ‘बाई’ बहुत ही सस्ते दरों में आपको काम करते हुए दिख जाएँगी।
हमारे रोज़मर्रे के जीवन में आस-पास एक ऐसी महिला ज़रूर होती है जो अदृश्य होती है जो हमारे घरों में सुबह-सुबह अचानक से आती हैं, झांड़ू-पोछा करती हैं, कपड़े धोती हैं, खाना बनाती हैं और दिन भर बच्चे-बूढ़ों को भी देखती हैं। मगर वो इतना सब करने के बावजूद हमारे जीवन में रोजमर्रा के कार्यों में होते हुए भी इस तरह से गायब रहती है कि हम उनके बारे में कुछ जानते ही नहीं। या हम उसको कोई खास स्थान नहीं देते? हम नहीं जानते कि वे शहरों में कहां से आई हैं, कहां रहती हैं, वे और कितने घरों में काम करती हैं, कितना कमाती हैं और कैसा जीवन जीती हैं?

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रेलवे का निजीकरण रक्त शिराओं को बेचने जैसा होगा

छोटे से फायदे के लिए हम आधी से ज्यादा आबादी का रोजमर्रा का नुकसान नहीं कर सकते -डॉo सत्यवान सौरभ
हादसों की वजह से चर्चा में रहने वाली भारतीय रेल अब कोरोना से उपजे वित्तीय संकट की जद में है। दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेल नेटवर्क को पटरी पर लाने के लिए सरकार उसके स्वरूप में बदलाव की तैयारी कर रही है। इसके तहत हजारों पदों में कटौती करने के अलावा नई नियुक्तियों पर रोक लगाने और देश के कई रूट पर ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।
देश की ज्यादातर आबादी के लिए भारतीय रेल जीवनरेखा की भूमिका निभाती रही है। निजी हाथों में जाने के बाद सुविधाओं की तुलना में किराए में असामान्य बढ़ोतरी तय मानी जा रही है। रेल देश में सबसे ज्यादा लोगों को नौकरी देने वाला संस्थान है। फिलहाल, इसमें 12 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
देश की अर्थव्यवस्था से लेकर आम जन-जीवन को यह कैसे प्रभावित करेगा यह समझना ज़रूरी है। देश के लिए यह निजीकरण कितना अच्छा है या कितना बुरा है इसपर विचार करना आवश्यक है। भारत की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस के संचालन के बाद अब भारतीय रेलवे ने 151 नई ट्रेनों के माध्यम से निजी कंपनियों को अपने नेटवर्क पर यात्री ट्रेनों के संचालन की अनुमति देने की प्रक्रिया शुरू की है। यह सभी यात्री ट्रेनें संपूर्ण रेलवे नेटवर्क का एक छोटा हिस्सा हैं, सरकार द्वारा प्रारंभ की गई निजीकरण की प्रक्रिया यात्री ट्रेन संचालन में निजी क्षेत्र की भागीदारी की शुरुआत का प्रतीक है।

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असली चेहरा तो नक़ाब में ही रह गया, सांप भी मर गया, लाठी भी नहीं टूटी

सोची समझी योजना सफल, भ्रष्ट राजनेता और पुलिस वाले बने नायक -प्रियंका सौरभ
अंततः विकास दुबे कानपुर वाला कानपुर में पुलिस के हाथों मारा गया। वैसे भी हर अपराधी को उसके अपराध का उचित दण्ड अवश्य मिलना चाहिए। लेकिन ये दंड देश में संविधान द्वारा स्थापित कानून व्यवस्था के तहत ही मिलना चाहिए। यदि वर्तमान कानून व्यवस्था में कोई त्रुटियां हैं तो उनमें सुधार करना चाहिए, कानून को हाथ में लेने का अधिकार किसी को भी नहीं है।
आज विकास दुबे के विवादास्पद एनकाउंटर पर ये हज़ारों प्रश्न उठ खड़े हुए है, किसकी नाकामी है ये? अगर ऐसा ही चलता रहा और ऐसे एनकाउंटर्स को ठीक समझा जाने लगा तो, कहीं ऐसा ना हो कि लोग अपना-अपना न्याय अपने ही हाथों से सड़कों पर ना करनें लग जाएं।
गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी और उसके कुछ साथियों के एनकाउंटर पुलिस की कामयाबी नहीं है। बल्कि पुलिस और राजनीति का बहुत बड़ा गठजोड़ है, जिसको समझने लायक छोड़ा नहीं गया मगर ये पब्लिक है जनाब सब समझ लेती है। अपराधी पकड़े जाते हैं और छूट भी जाते हैं।

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विश्व जनसंख्या समस्या पर वैश्विक चेतना 2020

साल दर साल विश्व जनसंख्या विस्फोट की स्थिति में हो रही वृद्धि के मद्देनजर, इस स्थिति से अनभिज्ञ हो चुकी समस्त मानव जाति को एक मंच पर लाकर उन्हें बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रति सचेत करने की एक पहल विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) के रूप में आयोजित की जाती है। जिसमें दुनिया के लगभग सभी देश मिलकर जनसंख्या विस्फोट से उत्पन्न हो रही समस्त समस्याओं पर आपसी विचार-विमर्श करते हुए इन समस्याओं से निजात पाने हेतु कई वैश्विक सुझावों पर सहमति जाहिर करते हैं। हालांकि इस वर्ष जनसंख्या दिवस का विषय ‘ परिवार योजना एक मानव अधिकार है’ के अंतर्गत स्वस्थ व सुदृढ़ परिवार की स्थापना में समस्त मानव जाति की भागीदारी को सुनिश्चित करना, मगर फिर भी हर वर्ष जनसंख्या दिवस की भाँति इस बार भी बढ़ती जनसंख्या को केंद्र में रखकर, समस्त मानव जाति को जनसंख्या के महत्व को समझाया जाएगा।

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एनकाउंटर में मारा गया गैंगस्टर विकास दुबे

पचास हजार से पाॅच लाख का इनामी बना 8 पुलिस कर्मियों का हत्यारा पुलिस मुठभेड में ढ़ेर
गाड़ी पलटने के दौरान हुआ हादसा, बचाव के लिये पुलिस की पिस्टल छीन कर भागने पर हुई मुठभेड
रोकने पर नही रूका विकास, पुलिस कर्मी भी हुये घायल
अगर रहता जिन्दा तो उतरती परत दर परत, विकास के सहकर्मियों ने ली राहत की साॅस
वसूली कर की गयी काली कमाई की वसूली अब कौन करेगा
कानपुर नगर, अर्पण कश्यप। उज्जैन के महाकालेश्वर मन्दिर में पकडा गया हत्यारोपी विकास दुबे को उज्जैन कोर्ट में पेश करने के बाद यूपी पुलिस को सौंप दिया गया। जिसके बाद कानपुर पुलिस व एसटीएफ टीम विकास को लेकर बाईरोड कानपुर आ रहे थे। तेज बारिश के चलते हाईवे पर वो गाड़ी पलट गयी। जिसमे विकास सहित अन्य पुलिस कर्मी भी घायल हो गये। इसी दौरान विकास ने मौके का फायदा उठाकर पुलिस कर्मी की पिस्टल छीन कर भागने का प्रयास करने लगा वही पुलिस द्वारा रोकने पर विकास ने पुलिस पर भी गोली चला दी। जिसके बाद पुलिस ने जावाबी कार्यवाही में गोली मारी जिससे विकास गंभीर रूप् से घायल हो गया। जिसे सीएचसी ले जाया गया। जहाॅ मुठभेड़ मे विकास के मारे जाने की जानकारी होते ही खबर सोशल मीडिया पर तेजी से फैलने लगी।

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विकास दूबे मामले में मानवाधिकार आयोग को शिकायत

लखनऊ, जन सामना ब्यूरो। एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से विकास दूबे मामले में पुलिस द्वारा की गयी तमाम गैरकानूनी कार्यों की जाँच की मांग की है।
अपनी शिकायत में नूतन ने कहा है कि विकास दूबे का कृत्य अत्यंत जघन्य था किन्तु जिस प्रकार से पुलिस ने इसके बाद तमाम गैरकानूनी कार्य किये हैं, वह भी अत्यंत निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि आरोप हैं कि विकास के मामा प्रेम प्रकाश पाण्डेय तथा अतुल दूबे को गाँव में मारा गया। जबकि वे कथित रूप से घटना में शरीक नहीं होने के कारण गाँव में मौजूद थे। इसी प्रकार उसके सहयोगी प्रभात मिश्रा तथा प्रवीण दूबे एवं अब स्वयं विकास को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में मारे जाने की घटना से कई सारे प्रश्न खड़े हो रहे हैं तथा पुलिस की कहानी में कई जाहिरा खामियां हैं। ऐसे ही जैसे विकास का घर बिना आदेश के गिराया गया। अथवा उसकी पत्नी व बच्चे से बर्ताव किया गया, वह अवैधानिक व अनुचित था। नूतन ने इन आरोपों की जाँच की मांग की है।

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ऑनलाइन स्कूटी खरीदारी में ठगी के हुए शिकार

कानपुर नगर, अर्पण कश्यप। कानपुर के बर्रा थाना क्षेत्र के अंतर्गत जे सेक्टर निवासी विकास सविता हुए ऑनलाइन ठगी के शिकार एक्टिवा स्कूटी की खरीदारी करने में ठगे गये।
सबसे बड़ी बात ये रही की पीड़ित ने ठगो के झांसे में आकर प्रोडेक्ट की कीमत से ज्यादा रकम दे डाली। पीड़ित के कहे अनुसार ओलेक्स पर एक्टिवा स्कूटी जिसकी कीमत ₹ 21000 हजार रूपये थी। बेचने वाले ने खुद को आर्मी मैन बताया साथ ही अपना आई कार्ड भी दिखाया और ये भी कहा की उसका कानपुर कैन्ट से आगरा ट्रांसफर हो गया है। जिसकी वजह से उसे अपनी स्कूटी बेचनी पड़ रही हैं। शातिर की बातों में विकास इस तरह फसा की अपनी जीवन भर की कमाई दे डाली।

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