Tuesday, December 3, 2024
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महिला जगत

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने लगाये स्टॉल

कानपुर देहात। शासन द्वारा संचालित उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन योजनान्तर्गत विकास भवन परिसर माती में मुख्य सौम्या पांडे के निर्देशन में विकास भवन में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा होली पर्व पर स्वयं के द्वारा तैयार किये गये सामग्री के स्टाल का मुख्य विकास अधिकारी ने शुभारम्भ किया।
इस मौके पर विकासखंड अकबरपुर के वन्दना व लक्ष्मी समूह, दुर्गा महिला स्वयं सहायता समूह ब्लॉक अमरौधा, तुलसी महिला स्वयं सहायता समूह सरवन खेड़ा, ग्राम सखी समूह मलासा, नारायण हरि, कमल महिला एवं वैष्णवी महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा स्टॉल लगाए गए। इस अवसर पर जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी द्वारा प्रत्येक स्टॉल का अवलोकन किया गया, अवलोकन के दौरान समूह की सदस्यों द्वारा लगाई गई स्टॉल की महिलाओं से उनके उत्पादों के बारे में जानकारी ली व मुख्य विकास अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों ने गुलाल, बेसन, पापड आदि को भी खरीदा तथा उनका उत्साहवर्धन किया।

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वाकई लड़कियों ने क्या तरक्की की है ??

जैसे ऊब चुका संसार एक समय की लाज शर्म के गहनों से लदी और दहलीज़ के भीतर सलीके से रहती लड़कियों के रहन सहन से, वैसे वापस कब नफ़रत करेगा संसार दिन ब दिन कपड़े कम करके वसुधा पर सरे-आम नग्नता का नंगा नाच दिखा रही लड़कियों से।
एक ज़माना था कि हाथ और चेहरे के सिवाय औरतों का कोई और अंग पर पुरुष देख ले तो औरत शर्म से पानी-पानी हो जाती थी। दूसरी बार भूले से उस पुरुष के सामने आने से कतराती थी। पर आजकल की लड़कियाँ दावत देती है मर्दों को कि आओ मेरे तन की भूगोल का कोना-कोना पढ़ लो, फिर पढ़ कर अपनी वासना को जगाओ और वासनापूर्ति के लिए जहाँ भी किसी लड़की को अकेला पाओ मसल ड़ालो।
उर्फ़ी जावेद से लेकर वेब सीरिज़ों में काम करने वाली लड़कियों ने समाज का बेड़ा गर्द करके रख दिया है।
कहने का मतलब ये हरगिज़ नहीं की लड़कियाँ बुर्के में रहो, सर से पाँव तक कपड़ों से ढकी रहो। कहने का मतलब इतना ही है कि खुद ही अपनी इज्जत सरेआम अपने ही हाथों से उतारा न करो, तुम्हारी ऐसी हरकतों का खामियाजा मासूम बच्चियों को चुकाना पड़ता है। कभी ये सोचा है? सड़क पर नाम मात्र के कपड़े पहनकर तस्वीरें खिंचवा तुम रही हो, पर तुम्हारे तन से लालायित होकर दरिंदे भूखे भेड़िये बनकर बलात्कारी बन जाते है। इस बात में बिलकुल भी अतिशयोक्ति नहीं कि 50 प्रतिशत बलात्कार ऐसी घटिया लड़कियों की बदौलत ही होते हैं।

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क्या यही प्यार है ???

आजकल राखी सावंत और आदिल का रिश्ता सोशल मीडिया पर जमकर सुर्खियां बटोर रहा है। उनके रिश्ते को साल भर भी पूरा नहीं हुआ और दोनों कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे है। अभी कुछ महीनों पहले एक दूसरे को जान से ज्यादा अज़ीज मानने वाले राखी और आदिल, आज एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन बैठे है। कहाँ गया वो प्यार, वो शिद्दत, वो चाहत? क्या सच्चा प्यार इतनी जल्दी दम तोड़ देता है? स्वार्थ की नींव पर बँधे रिश्तों का अंजाम यही होता है। ऐसे छिछोरे लोगों ने आजकल रिश्तों की गरिमा का कत्ले-आम कर दिया है और शादी जैसे पवित्र बंधन को मजाक बना कर रख दिया है।
कोई मेल नहीं था दोनों का, फिर क्यूँ जुड़े एक दूसरे के साथ। हो सकता है शायद राखी की पोप्युलारिटी को ज़रिया बनाकर आदिल आगे बढ़ना चाहता हो, और अपने से छोटे हेंडशम दिखने वाले आदिल से राखी आकर्षित हुई हो। कारण जो भी हो पर सस्ती पब्लिसिटी के चक्कर में लड़कियाँ खुद को बर्बाद कर लेती है, राखी उस बात का जीता जागता उदाहरण है।
राखी सावंत जो इन दिनों अपने निजी रिश्तों की वजह से खबरों में छाई हुई है, उन्होंने बीते दिनों अपने ही पति आदिल को जेल भिजवा दिया और उनके खिलाफ़ कोर्ट में केस भी लड़ रही है। हर दिन राखी सावंत मीडिया में आकर केस का अपडेट सुनाती है। राखी को लोग ड्रामा क्वीन के नाम से भी जानते है। माना कि वो भी दूध की धुली नहीं, हर कुछ दिन बाद पब्लिसिटी स्टंट करती रहती है। आज उसे अपनी ही बेवकूफ़ी भारी पड़ रही है। किसीको बिना जाने पहचाने अपनी सारी प्रॉपर्टी दे देना अक्कलमंदी हरगिज़ नहीं।

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मिस्टर, मिस, मिसेज एंड किड्स पार्टी में बॉलीवुड अदाकारा का किया सम्मान

कानपुर: स्वप्निल तिवारी। गैंजेस क्लब में मिस्टर, मिस, मिसेज एंड किड्स पार्टी का आयोजन किया गया जिसमें मॉडलिंग क्षेत्र में करियर बना रहे युवक-युवतियों ने हिस्सा लिया। चीफ गेस्ट के रूप में बॉलीवुड सेलिब्रिटी मुग्धा गोडसे रही। वही चीफ गेस्ट विजय कपूर रहे ने बॉलीवुड अदाकारा का सम्मान किया। इस दौरान एंकर एव मॉडल एकता सिंह चैहान मॉडलिंग क्षेत्र में कैरियर बना रही अपनी पसंदीदा अदाकारा से मिलकर काफी खुश हुई। उन्होंने मीडिया से बातचीत भी की। इवेंट में आयुषी सविता ने जीत की खुशी जाहिर करते हुए बताया कि यह मेरा पहला मॉडलिंग इवेंट है। मम्मी पापा और बहन सभी का पूरा सहयोग मिला। वही कार्यक्रम का हिस्सा बने नकुल भारद्वाज की पत्नी वर्षा सोनी ने बताया कि मिस यूपी विनर रही हैं।

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बालिकाओं के सुदृढ़ीकरण से परिवार, समाज और राष्ट्र बनेंगे मजबूत: पोस्टमास्टर जनरल

वाराणसी। हमारे देश में बालिकाओं का स्थान महत्वपूर्ण है। बालिकाएं आने वाले कल का भविष्य हैं। ऐसे में बालिकाओं के उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें आर्थिक व सामाजिक रूप से सुदृढ़ करने की जरूरत है। इसमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत आरंभ ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि वाराणसी परिक्षेत्र के डाकघरों में अब तक 2.72 लाख बालिकाओं के सुकन्या समृद्धि खाते खोले जा चुके हैं। यही नहीं, वहीं 804 गाँवों को सम्पूर्ण सुकन्या समृद्धि ग्राम बनाया जा चुका है। इन गाँवों में 10 साल तक की सभी योग्य बालिकाओं के सुकन्या खाते खोले जा चुके हैं। आज भी इन गाँवों में किसी के घर बेटियों के जन्म की किलकारी गूंजती है तो डाकिया बाबू बधाई के साथ नवजात बालिका का सुकन्या खाता खुलवाना नहीं भूलते।

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कानपुर की बेटी निधि ने नाम किया रोशन

कानपुर। अन्तरराष्ट्रीय काव्य संग्रह के विश्व रिकार्ड में कवयित्री निधि विश्वकर्मा ने भागीदारी कर नाम रोशन किया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जर्मनी निवासी इंदु नंदल की पहल पर 72 रचनाकारों की देशभक्ति से परिपूर्ण 154 कविताओं का संकलन अन्तर राष्ट्रीय काव्य संग्रह ‘वंदे मातरम्’ विगत दिवस प्रकाशित किया गया है। जिससे इन्टरनेशनल बुक ऑफ रिकार्ड ने इसे प्रकाशन का विश्व रिकार्ड दर्ज किया है।
बताते चलें कि शहर के नौबस्ता निवासी राधे श्याम विश्वकर्मा की बेटी निधि विश्वकर्मा की रचना भी इसमें प्रकाशित की गई है और निधि को इसका प्रमाणपत्र मिला है। निधि को अनेक लोगों ने बधाई देते हुए उत्तरोत्तर उन्नति व स्वर्णिम भविष्य की कामना की है।

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लेट नाइट पार्टियाँ कितनी सुरक्षित ?

माना कि ज़िंदगी जश्न है, एक-एक पल को मस्ती से जीना चाहिए। पर मस्ती कहीं ज़िंदगी के उपर भारी न पड़ जाए इसलिए एक दायरा तय करते हर कदम बढ़ाना चाहिए। बिंदास जीवन का मतलब छिछोरापन हरगिज़ नहीं।
आजकल युवा लड़के-लड़कियां ज़िंदगी के मजे लेने के मूड़ में होते है। और अब तो बड़े शहरों के साथ छोटे शहरों के लड़के-लड़कियां भी पीछे नहीं। ऐसे में लेट नाइट पार्टी का क्रेज़ बहुत देखने को मिल रहा है। पर ऐसी पार्टियां कितनी सेफ़ है ये सोचे बगैर लड़कियां अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ निकल पड़ती है, जिसका परिणाम कभी-कभी ज़िंदगी बर्बाद कर देता है। ऐसी कई पार्टियों में शराब, सिगरेट, चरस, गांजा भी सरेआम परोसा जाता है। और हम सुनते भी हैं पढ़ते भी हैं कि ऐसी पार्टियों में लड़कियों के साथ जबरदस्ती भी होती है। लड़कियों को किसी भी अनजान लड़के पर भरोसा करके उसके हाथ से कोई भी खाने पीने की चीज़ का सेवन नहीं करना चाहिए।
लेटनाइट पार्टियों में युवाओं को एकदूसरे से खुल कर मिलने का मौका मिलता है। ऐसे में कई बार युवाओं के बहकने का खतरा भी होता है। यह उन पर भारी भी पड़ सकता है। जवानी का शुरुर ही ऐसा नशीला होता है। खासकर लड़कियों के लिए ऐसी पार्टियां खतरे से खाली नहीं होतीं। छेड़छाड़, बलात्कार और किडनैपिंग की संभावना भी नकारी नहीं जाती।
इसलिए जरूरत इस बात की है कि लेटनाइट पार्टी में लड़कियां ब्वॉयफ्रेंड के साथ समझदारी के साथ मौजमस्ती करें। पार्टी में मौजमस्ती बुरी नहीं होती पर मौजमस्ती किसी समस्या का कारण न बन जाए इस बात का ख़याल रखना जरूरी होता है और माँ-बाप का भी फ़र्ज़ बनता है कि अगर आपकी बेटी लेट नाइट पार्टी में जा रही है तो वहाँ के माहौल की जाँच पड़ताल कर लें, जगह कौन सी है, वहाँ का स्टाफ़ कैसा है और किसके साथ जा रही है। पब्स, होटल्स या कहीं भी हो शहर से बाहर ना हो इस बात का भी ध्यान रखें।

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अलविदा 2022 के उपलक्ष्य में पार्टी का भव्य आयोजन किया

कानपुरः स्वप्निल तिवारी। ड्रीमगर्ल्स ने द याच क्लब में शानदार मास्करैड थीम पार्टी के साथ साल को अलविदा कहते हुए पार्टी का आयोजन धूमधाम से मनाया गया। संस्था के सदस्यों ने ट्रेजर हंट के साथ डिस्को पार्टी का भी आनंद उठाया। संचालक डिंपल अग्रवाल, सुखविंदर कौर और रश्मि जैन ने साल भर अदबुध सहयोग के लिए सदस्य एकता ओमर, लवीना आहुजा, निधि सिंह,सारिका चावला, माया अग्रवाल, वैदेही बाजपाई, शर्मिष्ठा राठौर, स्मृति टंडन, रंजना मेहरोत्रा, अंशु ओमर को सम्मानित किया गया। अध्यक्ष आंचल सिंह ने आगामी वर्ष में होने वाले नए कार्यक्रमों के बारे में मेंबर्स को सूचित करा मेंबर्स ने हाउसी, गेम और लजीज व्यंजनों का लुफ्त उठाया।कार्यकरिणी सदस्यों प्रिया गर्ग शिल्पी शर्मा और वंदना सिंह को उनके सहयोग के लिए प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

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विरोध पाखंड का हो न कि रंगों का

आजकल पठान फ़िल्म सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है। खासकर दीपिका के भगवा रंग के आउटफ़ीट को लेकर बवाल मचा हुआ है। सनातन हिन्दू धर्म में भगवा रंग को पवित्र माना जाता है, जो मंदिरों की ध्वजा से लेकर साधु संतों के द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों का रंग होता है। इसका मतलब ये तो नहीं की केसरी रंग और कोई पहन ही नहीं सकता या किसी और चीज़ों के लिए उपयोग में नहीं लिया जाना चाहिए।
मुद्दा यहाँ दीपिका ने भगवा रंग पहनकर डांस किया उसका नहीं, मुद्दा ये है कि क्या हर भगवे रंग के भीतर बैठा इंसान पवित्र है? निर्माेही है? साफ़ दिल और असल में साधू संतों वाला जीवन जी रहा होता है?
हमने पुराणों में एक कथा सुनी है कि, सीता जी जब बारह साल की बालिका थे तब शिवजी का धनुष आराम से उठाकर खेला करते थे। वही धनुष बलशाली रावण रत्ती भर हिला भी नहीं पाया था और सीता जी को वनवास के दौरान वही रावण फूल की तरह कँधे पर उठाकर ले गया था। रावण भी भगवा धारण करके साधु के भेष में आया था न? तो कहाँ उस रंग का सम्मान हुआ? इस मुद्दे पर तो आज तक कोई बहस कहीं नहीं सुनी।
हमारे यहाँ सदियों से भगवा के सामने झुकने की परंपरा चली आ रही है। जिस परंपरा को निभाने से सीता जी भी नहीं चुके और रावण की फैलाई जाल का शिकार हो गए। कहने का मतलब ये है की भगवा रंगधारी हर चीज़ हर इंसान की नीयत साफ़ नहीं होती। न हर भगवाधारी गलत या राक्षस होता है।
हमारे देश में कई भगवाधारीओं के कांड आए दिन अखबारों की सुर्खियां बनते रहते है, रंग मायने नहीं रखता इंसान की नीयत और पवित्रता पूज्य होती है। बहुत सारे संत भगवा धारण करके असल में साधु सा जीवन जीते भी है।

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उफ़्फ ये स्त्रियाँ भी ना

क्या स्त्रियों के उपर हुए शारीरिक अत्याचार ही घरेलू हिंसा कहलाता है? मानसिक प्रताड़ना का क्या? जो एक होनहार महिला को अवसाद का भोग बना देता है। लगता है कुछ स्त्रियाँ प्रताड़ना सहने के लिए ही पैदा हुई होती है। ऐसी स्त्रियों को पता भी नहीं होता घरेलू हिंसा और प्रताड़ना के बहुत सारे प्रकार होते है।
शारीरिक अत्याचार को ही हिंसा समझने वाली स्त्रियों को मौखिक अत्याचार, लैंगिक अत्याचार और आर्थिक अत्याचारों के बारे में जानकारी ही नहीं होती। नां हि स्त्रियों के हक में कायदे कानून के बारे में पता होता है। कोई-कोई स्त्रीयाँ तो स्वीकार कर लेती है आधिपत्य भाव! कि पति है तो उसका हक बनता है हमारे साथ अत्याचार करने का।
साथ ही जरूरी नहीं की शादी के बाद पति जो अत्याचार करे उसे ही घरेलू हिंसा मानी जाए। पिता या बड़े भाई द्वारा लड़की को पढ़ने से रोकना, पहनावे पर रोकटोक करना, बाहर आने जाने पर रोक लगाना या उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ शादी करवा देना भी प्रताड़ना का ही हिस्सा कहलाता है। लड़की ज़ात सहने का भाव लेकर ही पैदा होती है।
पत्नी को बात-बात पर कम अक्कल कहना, ताने मारना, दोस्तों-रिश्तेदारों के सामने ज़लिल करना और बेइज़्जती के साथ लात, थप्पड़ या घूसा मारना हिंसा ही है और धमकी देना या घर से निकाल देना अत्याचार ही है।

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