Wednesday, January 22, 2025
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लेख/विचार

बंद मुट्ठी लाख़ की खुल गई तो ख़ाक की

पारिवारिक, सामाजिक, व्यवसायिक, राजनीतिक सहित अनेक क्षेत्रों के संबंध में बंद मुट्ठी लाख़ की खुल गई तो ख़ाक की कहावत सटीक

भारतीय संस्कृति में बड़े बुजुर्गों की कहावतों की व्यवहारिक सटीकता, हमारे दैनिक जीवन में प्रमाणित होती है – एड किशन भावनानी

गोंदिया – वैश्विक सृष्टि की रचना जब अलौकिक शक्तियों से अलंकृत शक्ति ने की होगी तो, उसके अंश भारत पर विशेष कृपा, रहमत बरसाई होगी!! और अद्भुत संस्कारों, सभ्यता, मान सम्मान से ऐसी कौशलताओं की महक कर कृपादृष्टि बरसाई होगी कि भारत माता की मिट्टी में अद्भुत गुण समाहित हो गए और यहां जन्म लेने वाले हर जीव की देह में समाहित होकर बौद्धिक कौशलता से उपयुक्त गुणों की ज्योति पीढ़ी दर पीढ़ी जगाते रहते हैं जो, पीढ़ियों से हमारे बड़े बुजुर्गों को मिली और उसी वैचारिकता का हम लाभ उठा रहे हैं।

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ग्रामीण और छोटे बिजली उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति क्यों नहीं 

केंद्रीय विद्युत मंत्रालय देश में बिजली उपभोक्ताओं के अधिकारों को निर्धारित करने वाले नियम जारी करता हैं। इन नियमों में उपभोक्ताओं को विश्वसनीय सेवाएं और गुणवत्तापूर्ण बिजली सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान है। बिजली एक समवर्ती सूची (सातवीं अनुसूची) का विषय है और केंद्र सरकार के पास इस पर कानून बनाने का अधिकार और शक्ति है। ये नियम उपभोक्ताओं को उन अधिकारों के साथ “सशक्त” बनाने का काम करते हैं जो उन्हें गुणवत्ता, विश्वसनीय बिजली की निरंतर आपूर्ति तक पहुंचने की अनुमति देते हैं।सशक्त उपभोक्ता के लिए चुनौती और मुद्दे देखे तो कई राज्य विशेष रूप से ग्रामीण और छोटे बिजली उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं। चौबीसों घंटे आपूर्ति की गारंटी और प्रावधान केवल दांवों में है। सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों को लगभग 20 घंटे और शहरी क्षेत्र में 24 घंटे ग्रामीण और शहरी आपूर्ति के बीच भेदभाव है। बिजली मीटर से संबंधित नियम कहते हैं कि अलग-अलग राज्यों में शिकायत मिलने के 30 दिनों के भीतर खराब मीटरों की जांच की जानी चाहिए। उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम नियम कहते हैं कि मौजूदा कानूनों और विनियमों के अनुसार बिजली कंपनियों के खिलाफ शिकायतों के समाधान के लिए गठित फोरम का नेतृत्व कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा किया जाना चाहिए। लेकिन यह अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है।

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मजदूर भी इंसान है

क्या एक दिन पर्याप्त होगा किसीकी मेहनत और पसीने की कीमत चुकाने के लिए? नहीं पर साल में एक दिन सम्मानित करने से मजदूरों को हिम्मत और हौसला जरूर मिलता है। लगता है की हाँ हम भी इंसान है हमारे काम को भी सराहना मिल रही है।
1 मई को मनाए जाने वाले मजदूर दिवस की शुरुआत तब हुई जब पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में लोगों ने काम की अवधि को अधिकतम 8 घंटे प्रति दिन निर्धारित करने के लिए हड़ताल शुरू की थी। जिसके बाद 4 मई को शिकागो के हैमार्केट स्क्वायर में एक बम विस्फोट हुआ, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।।अखिल राष्ट्रीय संगठन ने इस घटना में मरने वालों की स्मृति में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस मनाने और पूरे विश्व में श्रम कल्याण को बढ़ावा देने के लिए की थी।
दुन्यवी हर शै में मजदूर के पसीने की उर्जा बसी है, मजदूर के लोखंडी जिस्म की तनतोड़ मेहनत से रचा बसा है हमारा संसार। सोचो मजदूर नहीं होते तो हम कितने बेबस होते। घर के निर्माण से लेकर घरकाम तक हम निर्भर होते है। पर क्या हमने कभी सोचा है मजदूर की निज़ी ज़िंदगी के बारे में मेहनत के बदले में कितनी कम मजदूरी मिलती है, मुश्किल से परिवार निर्वाह चलता है। बड़े लोगों को साहिब क्यूँ फ़र्क पडेगा आज कौन सी तारीख़ है, मज़दूर तलबगार होते है पहली तारीख़ के। मनाते है बड़े लोग जब मन चाहे जश्न लूटाकर लाखों रुपये मजदूर की पहली तारीख को मनती है होली, दीवाली।
कब सुबह करवट बदलकर ढ़ल जाती है रात में मज़दूर को कहाँ फुर्सत अपनी पूजा काम से, तन-मन से वो वफ़ादार है अपने मालिक भगवान से।

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मज़बूत स्वस्थ्य और समृद्ध भारत मिशन

गतिहीन और तनावपूर्ण जीवनशैली के साथ अस्वस्थ्यकर भोजन की आदतें गैर संक्रमणकारी रोगों की संख्या में बढ़ोतरी कर रहे हैं

वर्तमान परिस्थितियों में शारीरिक फिटनेस और मानसिक सतर्कता बनाए रखने के लिए योग, व्यायाम, पौष्टिक भोजन प्रथा अपनाना स्वस्थ जीवन की कुंजी – एड किशन भावनानी

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर वर्तमान परिपेक्ष में अभी तीसरा वर्ष शुरू है, परंतु कोरोना महामारी पूरी तरह से काबू में नहीं आ पाई है। बल्कि उनके अनेक वेरिएंट्स समय-समय पर आ रहे हैं और मनीषियों को नुकसान पहुंचाकर डर का माहौल पैदा करने में कामयाब हो रहे हैं,जिसमें स्वास्थ्य और आर्थिक दोनों स्तरपर हमें व्यक्तिगत और राष्ट्रीय स्तरपर नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसलिए अब समय आ गया है कि हम वर्तमान परिस्थितियों में अपने शारीरिक फिटनेस और मानसिक सतर्कता उच्च स्तरपर बनाए रखने के लिए योग, व्यायाम, पौष्टिक भोजन प्रथा को गंभीरता से अपनाना शुरू करें जो स्वस्थ्य जीवन की अनमोल कुंजी है। साथियों क्योंकि वर्तमान समय में हमारी गतिहीन और तनावपूर्ण जीवन शैली के साथ अस्वस्थ्यकर भोजन भी हमारी आदतें गैर संक्रमणकारी रोगों और उपयुक्त कोविड व्यवहार को नजरंदाज करने की हमारी आदत से संक्रमण फैलने में भी बढ़ोतरी हो रही है जो अभी हाल ही के कुछ दिनों से हम टीवी चैनलों प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से देख रहे हैं कि कुछ राज्यों में अभी मरीजों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है जिसे अभी तथाकथित चौथी लहर का नाम दिया जा रहा है।

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बच्चों को कच्ची उम्र में दीक्षा देना कितना उचित

सदियों से चला आ रहा सनातन सत्य है की धर्मं और भगवान के नाम पर डरा कर इंसान से आप कुछ भी करवा सकते हो, इसमें कोई दो राय नहीं। पर धर्मं के मार्ग पर चलना, अध्यात्म को समझना और मोक्ष पाने के लिए सदाचार से जीना क्या संसार मे रहकर संभव नहीं? बिलकुल संभव है आप तन, मन धन से किसीका बुरा न चाहो, किसीके साथ गलत न करों और छल कपट से दूर रहो तो एक सन्यासी धर्म का पालन ही कहलाएगा, इसके लिए संसार त्याग कर कष्टदायक राह पर चल निकलना जरूरी तो नहीं। खासकर कुछ संप्रदायों में बच्चों को उस राह पर चलने के लिए छोड़ दिया जाता है, जिनके बारे में बच्चों को कोई ज्ञान ही नहीं।

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राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस जमीनी स्तर से राजनीतिक शक्ति के विकेंद्रीकरण के इतिहास की गाथा है:किशन भावनानी

भारत के किसी हिस्से में पहली बार कार्बन न्यूट्रल पंचायत होगी, सारे रिकॉर्ड डिजिटल होंगे! पीएम द्वारा एक क्लिक के जरिये देश की अच्छी पंचायतों को अवॉर्ड मनी भी वितरित की जाएगी

गोंदिया – भारत विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्र और 135 करोड़ जनसंख्यकीय शक्ति का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा देश है। बड़े बुजुर्गों की कहावत है कि एक और एक ग्यारह बस!! इन चार शब्दों में, एक छोटे से कस्बे से लेकर वैश्विक स्तर पर किसी भी क्षेत्र में काम करने की सफ़लता की कुंजी समाई हुई है, जिसने समझकर इसे क्रियान्वित किया समझो आधुनिक प्रौद्योगिकी युग में सफलता के झंडे गाड़े!! जिसे आज के युग में विकेंद्रीकरण की संज्ञा दी गई है। यूं तो हर स्तरपर हर क्षेत्र में यह हो सकता है परंतु चूंकि 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस है इसलिए हम आज राजनीतिक शक्ति के विकेंद्रीकरण की बात करेंगे।साथियों बात अगर हम इस उत्सव को मनाने की करें तो, हर साल 24 अप्रैल को पूरे देश में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। ये दिन भारतीय संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 के पारित होने का प्रतीक है, जो 24 अप्रैल 1993 से लागू हुआ था। इस दिन को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत साल 2010 से हुई थी। पूरे देश को चलाने में सिर्फ केंद्र सरकार या सिर्फ राज्य सरकार सक्षम नहीं हो सकती है। ऐसे में स्थानीय स्तरपर भी प्रशासनिक व्यवस्था ज़रूरी है।

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वास्तु अनुसार भवन में पेड़ पौधों की संयोजना

हरियाली को देखकर सबका मन प्रसन्न होता है यह सबके मन को भाती है, सकारात्मक ऊर्जा देती है और शुद्ध ऑक्सीजन देकर पर्यावरण को भी शुद्ध और संतुलित रखती है। इतना ही नहीं वास्तुदोष निवारण, बीमारियों को ठीक करने में एवं उत्तम स्वास्थ्य संरक्षण में वृक्ष-वनस्पतियों का योगदान सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए वृक्षारोपण हमारी नैतिक जिम्मेदारी है, इन्हें लगाना हमारे लिए हर हाल में लाभकारी है।वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पेड़-पौधे लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वहीं, वास्तु शास्त्र में विभिन्न पेड़-पौधों का अपना एक अलग ही महत्व माना जाता है। वास्तु के मुताबिक पेड़-पौधे अगर सही दिशा में लगाए जाएं तो घर के वास्तु दोष दूर होते हैं। वहीं, गलत दिशा में लगे पेड़-पौधे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जो शारीरिक, आर्थिक एवं मानसिक समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं। जिसका गृहवासियों की सुख-समृद्धि पर बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही साथ धन की हानि भी होती है।
मनीप्लांट, बांस एवं क्रिसमस ट्री वास्तु की दृष्टि में समृद्धि देने वाले माने जाते हैं। अशोक एवं बांस के पेड़ लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसे लगाने से आपकी तरक्की होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर नीम का वृक्ष दूषित वायुमंडल को शुद्ध कर स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करता है। बीमारियों को दूर रखने वाले नीम के पेड़ को वायव्य कोण में लगाना सुखद परिणाम देगा।

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भाजपा के 42 साल

भारतीय जनता पार्टी ने बीते 6 अप्रैल को अपना 42वां स्थापना दिवस मनाया| 11 करोड़ सदस्य संख्या के आधार पर विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त कर चुकी भाजपा ने अपनी आयु के 42 वर्ष पूरे कर लिए हैं| न केवल सदस्य संख्या बल्कि राजनीति के अन्य कई प्रतिमानों के आधार पर भी भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी होने का गौरव प्राप्त है| देश की विभिन्न विधानसभाओं, लोकसभा तथा राज्यसभा में भी सदस्य संख्या के आधार पर बीजेपी अपना वर्चस्व स्थापित करने में सफल हुई है| राज्यसभा में 101 सदस्य संख्या हासिल करके भाजपा 1988 के बाद पहली बड़ी पार्टी बन गयी है| वहीँ लोकसभा में इसके 303 सांसद हैं| जो कि पार्टी गठन के बाद अब तक की सबसे बड़ी संख्या है| उत्तर प्रदेश सहित देश के 12 राज्यों में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है| जबकि बिहार सहित चार राज्यों की सरकार भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से चल रही है|

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कहानी प्यार की

सीमा और विमल के प्यार के चर्चे उनके पूरे ग्रुप में खूब थे।दो दिल एक जान थे दोनों,कभी भी कुछ भी असहमति वाली बात उन लोगों के बीच होती ही नहीं थी। उनकी जोड़ी एक आदर्श जोड़ी थी।ऊंचा लंबा गोरा चीट्टा विमल कमदेव का रूप था तो गोरी चंपा वर्णी,हिरनी सी आंखो वाली,गुलाब की पंखुड़ी से होंठ और खुश मिजाज सीमा कोई भी अभिनेत्री से कम नहीं थी।सीमा का कुछ सूचन आया वही विमल को मंजूर था और विमल की कही कोई भी बात सीमा के लिए ब्रह्म वाक्य थी इतना प्यार कि शायद सच्चा नहीं लगे।दफ्तर में भी विमल जैसे काम से फुरसत पाता तो उसके खयाल में सीमा आके बैठ जाती।उसकी सुंदर आंखों में खो जाना विमल को बहुत पसंद था।दोनों जब बातें करते थे तो एक दूसरे में खो से जाते थे।दुनियां जहान को भूल जाते थे,रह जाते थे तो वे दोनों कामदेव और रती सी जोड़ी थी उनकी।इतने प्यार की कल्पना कोई भी कर नहीं सकता था उनके मित्रमंडल में।

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अब क्या कानून व्यवस्था बुलडोज़र के दम पर चलेगी

देश के अहम मुद्दों से भटक रही सरकार धर्म और जात-पात के मसलों में अटकी पड़ी है। माना कि देश की शांति हनन करने वालों को सबक सीखाना चाहिए, जो कानूनी तौर पर सीखाया जा सकता है। बुलडोज़र चलाना किसी मसले का हल नहीं, सरकार की इस नीति से विद्रोही उत्पन्न हो रहे है, जो पत्थरबाज़ी और आगजनी से और दंगे फैला रहे है।बुलडोजर नाम सुनते अब बस एक ही बात जेहन में आती है, कहां चला? किस एरिया में चला, किसके घर पर चला? ऐसा इसलिए क्योंकि देश के कुछेक राज्यों में वहां की सरकार के आदेश पर आए दिन लोगों के घर बुलडोजर से तोड़ दिए जा रहे हैं, खासकर उत्तर प्रदेश में। वहां तो आलम ये है कि बुलडोजर को राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार की कानून व्यवस्था का प्रतीक बना दिया गया है. सीएम योगी को ‘बुलडोजर बाबा’ कहा जाने लगा है।

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