⇒भारतीय वायुसेना के 90वें स्थापना दिवस (8 अक्तूबर) पर विशेष
8 अक्तूबर को भारतीय वायुसेना अपना 90वां स्थापना दिवस मना रही है। प्रतिवर्ष इस विशेष अवसर पर हिंडन एयरबेस में एक भव्य एयर-शो का प्रदर्शन किया जाता है लेकिन इस बार वायुसेना दिवस समारोह दिल्ली एनसीआर के बाहर चंडीगढ़ में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें होने वाले एयर शो में कुल 83 एयरक्राफ्ट शामिल हो रहे हैं। एयर शो के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेना प्रमुखों के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी। इस बार वायुसेना के 90वें स्थापना दिवस पर चंडीगढ़ में सुखना झील परिसर में वायुसेना दिवस ‘फ्लाई-पास्ट’ के लिए तैनात किए जाने वाले विमानों और हेलीकॉप्टरों में नए लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं और वायुसेना के बेड़े में हाल ही में शामिल हुआ भारत का पहला स्वदेशी हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ भी एयर शो के दौरान अपनी हवाई शक्ति का प्रदर्शन करेगा। आसमान में देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह भारतीय वायुसेना के ही हाथों में होती है, इसलिए दुश्मन देशों की चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए वायुसेना को लगातार मजबूती प्रदान करना बेहद जरूरी है।
भारत के लिए गर्व की बात है कि भारतीय वायुसेना को अब दुनिया की चौथी बड़ी सैन्यशक्ति वाली वायुसेना माना जाता है। वायुसेना का ध्येय वाक्य है ‘नभः स्पृशं दीप्तम’ अर्थात् आकाश को स्पर्श करने वाले दैदीप्यमान। भारतीय वायुसेना देश की करीब 24 हजार किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी मुस्तैदी के साथ निभाती है। राफेल सहित कुछ और शक्तिशाली लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों तथा अत्याधुनिक मिसाइलों के वायुसेना की विभिन्न स्क्वाड्रनों में शामिल होने से हमारी वायुसेना कई गुना शक्तिशाली हो चुकी है। वायुसेना की युद्धक क्षमताएं बढ़ने से हम हवा में पहले से बहुत ज्यादा मजबूत हुए हैं तथा दुश्मन की किसी भी तरह की हरकत का पहले से अधिक तेजी और ताकत के साथ जवाब देने में सक्षम हुए हैं। पड़ोसी देशों की फितरत को देखते हुए अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित एयरक्राफ्ट तथा लड़ाकू विमान वायुसेना में शामिल किए जाने की प्रक्रिया लगातार जारी है। हमारी वायुसेना आज इतनी ताकतवर हो चुकी है कि इसमें फाइटर एयरक्राफ्ट, मल्टीरोल एयरक्राफ्ट, हमलावर एयरक्राफ्ट तथा हेलीकॉप्टरों सहित 2200 से अधिक एयरक्राफ्ट तथा करीब 900 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट शामिल हो चुके हैं।भारतीय वायुसेना की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल में 8 अक्तूबर 1932 को हुई थी और तब इसका नाम था ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’। 1945 के द्वितीय विश्वयुद्ध में रॉयल इंडियन एयरफोर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय वायुसेना पर आर्मी का ही नियंत्रण होता था। इसे एक स्वतंत्र इकाई का दर्जा दिलाया था इंडियन एयरफोर्स के पहले कमांडर-इन-चीफ सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट ने, जो हमारी वायुसेना के पहले चीफ एयर मार्शल बने थे। ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ की स्थापना के समय इसमें केवल चार एयरक्राफ्ट थे और इन्हें संभालने के लिए कुल 6 अधिकारी और 19 जवान थे। आज वायुसेना में डेढ़ लाख से भी अधिक जवान और हजारों एयरक्राफ्ट्स हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् वायुसेना को अलग पहचान मिली और 1950 में ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ का नाम बदलकर ‘इंडियन एयरफोर्स’ कर दिया गया। एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी इंडियन एयरफोर्स के पहले भारतीय प्रमुख थे। उनसे पहले तीन ब्रिटिश ही वायुसेना प्रमुख रहे। इंडियन एयरफोर्स का पहला विमान ब्रिटिश कम्पनी ‘वेस्टलैंड’ द्वारा निर्मित ‘वापिती-2ए’ था।
भारतीय वायुसेना चीन के साथ एक तथा पाकिस्तान के साथ चार युद्धों में अपना पराक्रम दिखा चुकी है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् 1947 में भारत-पाक युद्ध, कांगो संकट, ऑपरेशन विजय, 1962 में भारत-चीन तथा 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन पूमलाई, ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन कैक्टस, 1999 में कारगिल युद्ध इत्यादि में अपनी वीरता का असीम परिचय देते हुए वायुसेना ने हर तरह की विकट परिस्थितियों में भारत की आन-बान की रक्षा की। इस समय राफेल, सी-17 ग्लोबमास्टर, सी-130जे सुपर हरक्युलिस, मिराज, जगुआर, सुखोई, मिग-21 बायसन, मिग-29, चिनूक, अपाचे तथा कई अन्य अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और मिसाइलें भारतीय वायुसेना की बेमिसाल ताकत बने हैं और आगामी वर्षों में तेजस, कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, ट्रेनर एयरक्राफ्ट सहित कई और ताकतवर हथियार वायुसेना की अभेद्य ताकत बनेंगे। राफेल तथा एलसीए मार्क-1 स्क्वाड्रन भी पूरी ताकत के साथ शुरू हो जाएंगी।
तत्कालीन वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया के मुताबिक देश के समक्ष उभर रही चुनौतियों ने हमें भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए अधिकृत किया है और हमारी क्षमताओं ने विरोधियों को चौंकाया है। दरअसल भारतीय वायुसेना ने समय के साथ बहुत तेजी से बदलाव किए हैं और काफी हद तक कमियों को दूर भी किया गया है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार भारत किसी भी खतरे से निपटने और दोनों मोर्चों पर युद्ध करने के लिए पूरी तरह तैयार है तथा वायुसेना उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं के साथ दोतरफा युद्ध से निपटने के लिए भी तत्पर है। बहरहाल, डीआरडीओ तथा एचएएल के स्वदेशी उत्पादन वायुसेना की ताकत को निरन्तर बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। आने वाले समय में 83 हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस (मार्क-1ए), 114 एमआरएफए विमानों की खरीद प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद तो वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा सामरिक मामलों के विश्लेषक हैं)