वाराणसीः जन सामना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विरासत और विकास की पटरी पर आज भारत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। संतों के सान्निध्य में काशी के लोगों ने मिलकर विकास और नवनिर्माण के कितने ही नए कीर्तिमान गढ़े हैं। सरकार, समाज और संतगण सब साथ मिलकर काशी के कायाकल्प के लिए कार्य कर रहे हैं। हर बार की तरह इस बार का भी काशी प्रवास सुखद रहा। काशी में स्वर्वेद मन्दिर के लोकार्पण में शामिल होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। इस पावन अवसर पर यहां 25 हजार कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ का आयोजन हो रहा है। मुझे खुशी और विश्वास है कि इस महायज्ञ की हर एक आहुति से विकसित भारत का संकल्प और सशक्त होगा।
प्रधानमंत्री जी आज जनपद वाराणसी में स्वर्वेद महामन्दिर के उद्घाटन कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। इससे पूर्व, प्रधानमंत्री जी ने 180 फीट ऊंचे सात मंजिला स्वर्वेद महामन्दिर के प्रथम तल का रिमोट से बटन दबाकर उद्घाटन किया और महामन्दिर को श्रद्धालुओं व देशवासियों को समर्पित किया। प्रधानमंत्री जी ने स्वर्वेद महामन्दिर का अवलोकन भी किया।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज स्वर्वेद महामन्दिर बनकर तैयार होना, ईश्वरीय प्रेरणा का उदाहरण है। स्वर्वेद महामन्दिर भारत के सामाजिक और आध्यात्मिक सामर्थ्य का एक आधुनिक प्रतीक है। यह महामन्दिर दुनिया का सबसे अनोखा मन्दिर है। महामन्दिर की संगमरमरी दीवारों पर स्वर्वेद के चार हजार दोहे लिखे हैं। महामन्दिर महर्षि सदाफल देव जी की शिक्षाओं और उनके उपदेशों का प्रतीक है। इस मन्दिर की दिव्यता जितना आकर्षित करती है, इसकी भव्यता हमें उतना ही अचम्भित भी करती है। इसकी दीवारों पर स्वर्वेद को बड़ी सुन्दरता के साथ अंकित किया गया है। वेद, उपनिषद, रामायण, गीता और महाभारत आदि ग्रन्थों के दिव्य संदेश भी इसमें चित्रों के जरिये उकेरे गए हैं। इसलिए यह मन्दिर एक तरह से अध्यात्म, इतिहास और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। 19 साल तक लगातार छह सौ कारीगर, दो सौ मजदूर और 15 इंजीनियर की मेहनत आज महामन्दिर के पूर्ण स्वरूप में साकार हो चुकी है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि भारत ने कभी भौतिक उन्नति को भौगोलिक विस्तार और शोषण का माध्यम नहीं बनने दिया। भौतिक प्रगति के लिए भी हमने आध्यात्मिक और मानवीय प्रतीकों की रचना की। हमने काशी जैसे जीवंत सांस्कृतिक केन्द्रों का आशीर्वाद लिया। काशी का मतलब स्वǔछता और बदलाव है। पानी की बूंद-बूंद बचाना जरूरी है। वाराणसी में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। योग और खेल को जीवन का हिस्सा बनाएं। फिटनेस को जीवन का हिस्सा बनाएं। हम काशी के विकास के लिए काम कर रहे हैं। आज हमारे तीर्थों का विकास हो रहा है। कुछ हफ्तों में श्रीराम मन्दिर का निर्माण पूरा हो जाएगा।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हमारी संस्कृति को निशाना बनाया गया। देश अपनी विरासत पर गर्व करना भूल गया था। अब समय का चक्र बदल गया है। देश अब गुलामी की सोच से मुक्त हो रहा है। गुलामी के कालखण्ड में अत्याचार हुआ। देश आधुनिकता में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने अपील की है कि मेड इन इण्डिया प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें। लोकल फॉर वोकल को बढ़ावा दें। लोग डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा दें। पहले देश
घूमें, फिर विदेश जाने की सोचें। एक गरीब परिवार की मदद जरूर करें। भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जो सदियों तक विश्व के लिए आर्थिक समृद्धि और भौतिक विकास का उदाहरण रहा है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री जी का स्वागत किया। मुख्यमंत्री जी ने स्वर्वेद महामन्दिर का उल्लेख करते हुए कहा कि जब एक संत की साधना मूर्तरूप लेती है, तो इस प्रकार का एक धाम बनकर तैयार होता है। सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज ने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया था। उन्होंने उत्तराखण्ड के कण्वाश्रम के ऊपर शून्य शिखर पर साधनारत होकर आध्यात्मिक जगत की अनुभूतियों के माध्यम से भारत के आध्यात्मिक ज्ञान, वेद, उपनिषदों की परम्परा को बहुत ही सरल व सहज भाषा में अपने अनुयायियों व भक्तों के लिए स्वर्वेद के माध्यम से प्रस्तुत किया। आज उसका मूर्तरूप सबको देखने को मिल रहा है। वर्ष 1954 के कुम्भ में सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज ने अपनी भौतिक लीला का विसर्जन करते हुए आध्यात्मिक जगत में शून्य से शिखर पर स्वयं प्रवेश किया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम आज नए भारत की अनुभूति कर रहे हैं। यह नया भारत प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में दुनिया का मार्गदर्शन कर रहा है। आज देश का हर नागरिक अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति कर रहा है। कुम्भ की उसी महान परम्परा को चाहे वह दुनिया की मूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता देना हो या फिर उत्तराखण्ड में केदारपुरी के पुनर्निर्माण का कार्य हो या महाकाल में महालोक के निर्माण का कार्य हो, 500 वर्षों के इंतजार के बाद अयोध्या में श्रीराम मन्दिर के भव्य निर्माण का कार्य हो, हर भारतवासी का मन अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति करता दिखाई देता है। वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ धाम में विगत एक वर्ष में 13 करोड़ से अधिक देश-विदेश के श्रद्धालु एवं अनुयायी आये हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में प्रधानमंत्री जी के रूप में एक यशस्वी नेतृत्व अपनी पूरी ऊर्जा व संकल्पों के साथ बिना भेदभाव निरन्तर देश के कार्यों के लिए समर्पित है। इन्हीं संकल्पों के लिए वर्ष 1920 में सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज ने जेल की यातना सहन की थी। आज हम सभी उसी स्वतंत्र भारत के नागरिक के रूप में आजादी के अमृत काल के द्वितीय वर्ष में पूरी ऊर्जा के साथ प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति करते हुए उसकी पुनर्स्थापना के कार्यों से जुड़े हुए हैं।
इस अवसर पर स्वर्वेद महामन्दिर के आचार्य सद्गुरु स्वतंत्रदेव जी महाराज, विज्ञान देव जी महाराज, केन्द्रीय भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री डॉ0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय, प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
स्रोतः सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, उप्र।