फिरोजाबाद: जन सामना संवाददाता। अखिल भारतीय सोहम महामंडल के तत्वावधान में आयोजित संत सम्मेलन में संतों ने मानवता का अर्थ बताया। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन सहजता से नहीं मिलता है। अगर मिल जाए, तो मनुष्य जीवन में मनुष्यत्व नहीं मिलता।
रामलीला मैदान में आयोजित संत सम्मेलन में सोहम पीठाधीश्वर स्वामी सत्यानंद महाराज ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जगदगुरु शंकराचार्य के अनुसार संसार में तीन वस्तुएं दुर्लभ हैं। उनमें मनुष्यत्व सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन सहजता से नहीं मिलता है यदि मिल जाए, तो मनुष्य जीवन में मनुष्यत्व नहीं मिलता। अर्थात जीवन में त्याग, तप, जप, दया करना, प्रेम परोपकार, दानशील, धर्म आदि गुण नहीं आ पाते। जब यह श्रेष्ठ गुण आ जाएं तब मानवता अर्थात मनुष्यत्व आ जाता है। इसलिए मनुष्यत्व दुर्लभ वस्तु बताई है। इसी को हमें प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। महामंडलेश्वर स्वामी सुकदेवानंद ने अपने परिवार के बच्चों में सही संस्कार देने का संदेश दिया। अगर घर में माता-पिता प्रेम से रहते हैं। तो उस घर की संतान शीलवान संस्कारी जरूर होंगी। स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि मंदिरों में भगवान को व्यक्ति जिस रूप में देखा है। उसी रूप में भगवान उन्हें दर्शन देते हैं। अर्थात जो व्यक्ति अपना जैसा दृष्टिकोण रखता है, उसको वैसा ही फल मिलता है। वेदांताचार्य स्वामी अनंतानंद, स्वामी प्रीतम दास, स्वामी परमानंद, स्वामी प्रज्ञानंद, स्वामी नारायण आनंद, स्वामी भगवतानंद, स्वामी निगमानंद ब्रह्मचारी अरुण स्वरूप आदि संतों ने भी भक्तों का मार्गदर्शन किया। इस दौरान चंद्र प्रकाश शर्मा, डीएम शर्मा, उमाकांत पचौरी एडवोकेट, अनुग्रह गोपाल, प्रवीण अग्रवाल, महेश गुप्ता, संजय अग्रवाल, विपिन शर्मा, विकास लहरी, मनोहर मित्तल, महेश यादव, जगदीश यादव आदि मौजूद रहे।