सासनी, हाथरस। बुजुर्गों एवं कवियों की सामाजिक व साहित्यिक संस्था साहित्यानंद के बैनर तले
बसंत विहार कॉलोनी में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री व कवि हृदय अटल बिहारी वाजपेई की जन्म जयंती के अवसर पर वीरपाल सिंह वीर के आवास पर कवि चौपाल का साहित्यानंद के अध्यक्ष पंडित रामनिवास उपाध्याय की अध्यक्षता एवं महेंद्र पाल सिंह के कुशल संचालन में आयोजन किया गया। जिसमें हर रस से भरपूर कविताओं का काव्य प्रेमियों ने देर शाम तक रसास्वादन किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे
कवि रामनिवास उपाध्याय द्वारा अटल जी के छवि चित्र पर माल्यार्पण करने व मां सरस्वती की छवि चित्र के समक्ष दीप प्रज्वल करने के साथ ही हाथरस से पधारे कवि रोशन लाल वर्मा की मां सरस्वती वंदना से कविताओं का दौर प्रारंभ हुआ।
तत्पश्चात उन्होंने सुनाया–बिरह वेदना की कर्कश रज चुभ-चुभ कर मेरे तन में भरती है अनुराग अलौकिक वो मेरे अंतर्मन में।
इसके बाद संचालक ने आमंत्रित किया कवि अशोक मिश्रा को उन्होंने सुनाया–पत्नी मांगे बेटी बेटा बहना मांगे वीर बाजपेई से मांगे आतिया मैहर में कश्मीर।
तदुपरांत हास्य कवि वीरपाल सिंह वीर ने सुनाया–दैया दैया दैया रे ससुराल में रहे जमैया रे पा ड़ पड़ोसी इधर-उधर के कहें बहिन के टईया रे। इसके बाद बारी आई कवि मुरारी लाल शर्मा मधुर की उन्होंने सुनाया–देश हित तन रत देश हित मन रत आठौ याम देश हित चिंतन प्रखर है। इसके बाद कवि रोशन लाल गुप्ता ने सुनाया –सीता के राम थे रखवाले जब हरण हुआ तो कोई नहीं । कवि अमर सिंह बौद्ध ने सुनाया–पूस की ठंड में कांपता छोड़कर उनकी
अर्थी पर चादर चढ़ा आए हम।
व्यंग कार कवि वीरेंद्र जैन नारद ने सुनाया–यह जीवन एक तमाशा है कभी तोला है कभी माशा है हम जिससे प्यार निभाते हैं उससे ही धोखा खाते हैं पग पग पर मुश्किल खड़ी मिली हर कदम पर झंझट झांसा है यह जीवन एक तमाशा है। संचालन कर रहे कवि एमपी सिंह ने सुनाया–मात-पिता पालते पुत्र नु करि करि काम कठोर कारे मूड की कूआवत देते मां-बापनु छोड़ कवि रामनिवास उपाध्याय ने सुनाया–नक्श ए हिंद का रंग भी खाकी देखा वास्ते इबादत के पर्वत ए राकी देखा। इसके अलावा विनोद कुमार जायसवाल रविराज सिंह डॉक्टर प्रभात शैलेश अवस्थी गगन वार्ष्णेय मयंक चौहान अखिल प्रकाश ने भी काव्य पाठ कर श्रोताओं की तालियां बटोरी।