जगतपुर, रायबरेली। संत निरंकारी सत्संग भवन में बुधवार को सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें दूरदराज से आए साथ संगतों ने सत्संग में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
संत निरंकारी सत्संग भवन में महात्मा अमर प्रताप सिंह ने कहा कि मति गुरु की मन में बस जाए मन को यह पुरनुर करें सुंदर जीवन जीने के लिए मन का सुंदर होना अत्यंत आवश्यक है। सद्गुरु की मति जब हमारे मन में बस जाती है। तो हमारा मन गुरु के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने लगता है। तो धीरे-धीरे हमारे मन के मैल दूर होने लगते हैं। जो जीवन संकीर्णताए दिली जलन के सारे भाव स्वता ही मिट जाते हैं। सतगुरु परमात्मा का ज्ञान देकर इसी प्रभु परमात्मा से जोड़ देता है। जब इसे प्रभु परमात्मा से जोड़कर उनके एहसास को जीवन में बनाकर हम जीवन जीने लगते हैं। तो वह आत्मा के गुण स्वयं ही प्रकट होने लगते हैं। फिर सारा संसार ही ब्रह्म में दिखाई देने लगता है। एक पराए पन की भावना मिट जाती है। सभी अपने लगते हैं। और सभी से हम प्रेम कर पाते हैं। वही मन में सुकून शांति विशालता दया पर उपकार जैसे गुण बन जाते हैं। हमारे जीवन को सुंदर बनाते हैं। इस मौके पर ब्रांच प्रबंधक एवं ज्ञान प्रचारक महात्मा बसंत लाल ने आए हुए साध संगतो का आभार व्यक्त किया है।
इस मौके पर श्यामलाल, राम आधार, रामस्वरूप, सुमित कुमार, ताराचंद, छोटेलाल, ऊषा, निशु, माया, बबिता आदि साधु संगत मौजूद रहे।