इस माह की शुरुआत में अमेरिका ने 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर भारत को 31 एमक्यू-9 बी सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी प्रदान कर दी। इस सौदे से भारत की समुद्री सुरक्षा और समुद्री जागरुकता बढ़ेगी। इससे समुद्री मार्गों में मानवरहित निगरानी व टोही गश्त के जरिए वर्तमान एवं भविष्य के खतरों से निपटने के लिए भारत की क्षमता में बढ़ोत्तरी हो जाएगी। समुद्री क्षेत्र में जागरुकता क्षमता का मतलब है कि समुद्री क्षेत्र से जुड़ी ऐसी हर बात को लेकर जागरुक होना जो सुरक्षा, अर्थव्यवस्था या पर्यावरण को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा इस बिक्री से अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक संबंधों को भी मजबूती मिलेगी। साथ ही हिन्द-प्रशांत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में आर्थिक प्रगति का नया मार्ग प्रषस्त होगा। सशस्त्र ड्रोन सौदे से सैन्य सहयोग और द्विपक्षीय रणनीतिक प्रौद्योगिकी सहयोग के आगे बढ़ने की प्रबल संभावनाएं बन गई हैं। इस ड्रोन सौदे की घोषणा जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान की गई थी।
अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स से जिस मानवरहित प्रीडेटर ड्रोन एमक्यू-9 बी की खरीदारी पर मंजूरी मिली है वह संसार का सबसे उन्नत श्रेणी का ड्रोन है। इस मानव रहित प्रीडेटर ड्रोन एमक्यू-9 बी के दो वर्जन हैं। पहला स्काई गार्डियन और दूसरी सी गार्डियन। एमक्यू-9 बी, सी गार्डियन ड्रोन तीनों सेनाओं के लिए खरीदे जा रहे हैं। अमेरिका से लिए जाने वाले इन 31 ड्रोन में से 15 ड्रोन नौसेना को तथा आठ-आठ ड्रोन सेना व वायु सेना को दिए जाएंगे। सेनाएं एमक्यू-9 बी ड्रोन का उपयोग निगरानी एवं आक्रमण के लिए कर सकती हैं। इसके अलावा भी ये ड्रोन अन्य कई तरह की यौद्धिक भूमिकाएं निभा सकते हैं। इस मानवरहित प्रीडेटर ड्रोन ने अपनी पहली उड़ान दो फरवरी 2001 को भरी थी। यह ड्रोन थर्माेग्राफिक कैमरे और सेंसर से लैस है। इस ड्रोन में मौजूद एक कैमरा तीन किलोमीटर की दूरी पर मौजूद किसी भी वाहन की नम्बर प्लेट तक को पढ़ सकता है। ऑपरेटर के आपात स्थिति में आक्रमण करने के लिए कमान्ड पर यह 1.2 सेकेन्ड में इतनी दूरी तय कर सकता है। यह घातक मिसाइलों और बमों से शत्रु के ठिकानों पर आसानी से हमला करने में सक्षम है।
मानवरहित एमक्यू-9 बी प्रीडेटर ड्रोन की लम्बाई 26 फुट यानि कि लगभग 11 मीटर है। यह 4763 किलोग्राम अधिकतम वजन के साथ उड़ान भर सकता है। इस ड्रोन में 1769 किलोग्राम ईंधन एक बार में भरा जा सकता है। यह 1746 किलोग्राम भार का पेलोड लेकर उड़ सकता है। यह 500 फीसदी ज्यादा विस्फोटक सामग्री के साथ उड़ान भरने में सक्षम है। यह चार हेलफायर मिसाइलें, दो लेजर गाइडेड बम व 226 किलोग्राम बारूद ले जा सकता है। यह ड्रोन राडार सिस्टम को चकमा देने में सक्षम है। यह तय समय में हवा तथा पानी में गतिशील लक्ष्य को भी भेदने में अचूक है। इसके पंखों की लम्बाई तकरीबन 66 फुट है। यौद्धिक संक्रिया के समय यह पर्वतीय तथा दुर्गम हालातों में 50000 फुट की उंचाई तक सुरक्षित उड़ान भरकर शत्रु को नेस्तनाबूद कर सकता है। अमेरिका की वायु सेना ने वर्ष 2008 में अफगानिस्तान युद्ध के समय 230 किलोग्राम भार वाले बम से दुश्मन के 16 ठिकानों को एक ही उड़ान में ध्वस्त कर दिया था। इसी तरह 3 जनवरी 2020 को बगदाद हवाई अड्डे पर एमक्यू-9 बी प्रीडेटर ड्रोन की मदद से अमेरिका ने मिसाइल हमले में ईरानी कुर्द फोर्स के कमांडर कासिम सुलेमानी और इराकी पापुलर मैक्लिाइजेशन फोर्स के डिप्टी कमांडर अबू मंहदी अल-मुहाजिस को मार गिराया था।
एमक्यू-9 बी ड्रोन लेजर गाइडेड मिसाइलों, एंटी टैंक मिसाइलों और एंटी शिप मिसाइलों से लैस है। यह चार मिसाइलों को एक साथ दागने में सक्षम है। इसकी खासियत यह भी है कि यह एक बार उड़ान भरने के बाद आसानी के साथ 1900 किलोमीटर तक की निगरानी कर सकता है। चीन के साथ-साथ हिन्द महासागर क्षेत्र में सीमा की निगरानी के लिए भारत को ऐसे ही ताकतवर ड्रोनों की महती आवश्यकता है। दरअसल चीन ने हिन्द महासागर के अलावा कई समुद्री इलाकों में अपनी मौजूदगी को बढ़ाया है। चीन अपने जासूसी जहाजों के साथ-साथ उपग्रहों, रॉकेटों और बैलिस्टिक मिसाइलों को तैनात करने की क्षमता रखता है। ऐसे में भारत को इन ड्रोन की विशेष जरूरत थी। अब इनके मिलने से भारत की ताकत पर्वतीय क्षेत्रों में भी बढ़ जाएगी और समय रहते बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया जा सकेगा। यह ड्रोन एमक्यू-9 रीपर का दूसरा वर्जन है। आसमान में यह बिना रुके 35 घण्टे तक हवा में बना रह सकता है। इसका इस्तेमाल काबुल में हेलफायर मिसाइल के एक मोडिफाइड वर्जन को दागने के लिए किया गया था। इसमें अलकायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी की मौत हो गई थी।
प्रीडेटर ड्रोन एमक्यू-9 बी सी गार्डियन का इस्तेमाल क्वाड समूह के सदस्य चारो देश करते हैं। वर्तमान में भारत एक खुफिया एकत्रीकरण अभियान के हिस्से के रुप में एमक्यू-9 बी ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। इस ड्रोन की खासियत यह भी है कि इसे मानवीय सहायता, आपदा राहत, खोज तथा बचाव एवं पनडुब्बी रोधी युद्ध में भी उपयोग में लाया जा सकता है। एमक्यू-9 बी सी गार्डियन ड्रोन में एक इन-बिल्ट वाइड-एरिया समुद्री राडार, एक स्वचालित पहचान प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक समर्थन उपाय और एक स्व-निहित एंटी सबमरीन वारफेयर (एएसडब्लू) किट लगी है। जिससे इसकी ताकत और अधिक बढ़ जाती है। यह ड्रोन नागरिक हवाई क्षेत्र में सुरक्षित रुप से एकीकृत हो सकता है। यह संयुक्त बलों और नागरिक क्षेत्र के अधिकारियों को समुद्री क्षेत्र में दिन या रात में कभी भी वास्तविक समय में परिस्थितिजन्य जानकारी हासिल करने में सक्षम बनाता है।
अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन खरीदकर इसका इस्तेमाल करने वाला भारत पहला गैर नाटो देश होगा। दुश्मन क्षेत्र के ठिकानों पर एकदम सटीक निशाना लगाने वाला यह ड्रोन इंटर-किलर यूएवी के नाम से प्रसिद्ध है। इससे बिना किसी नुकसान के लक्ष्य को नष्ट करना आसान है। पानी की सतह के उपर और अन्दर दोनों ही प्रकार की जगहों की निगरानी व छानबीन के लिए इसमें 80 से ज्यादा जी-साइज के सोनोबॉय लगाए गए हैं। सोनोबॉय वह डिवाइस है जो रेडियो सिग्नल के माध्यम से पानी के भीतर हो रही आवाजों की पहचान करता है। इनकी मदद से प्रीडेटर ड्रोन गहरे पानी में छिपी हुई शत्रु की पनडुब्बियों को आसानी से खोज लेता है और उसके बाद मिसाइलों का उपयोग करके उन्हें नष्ट कर देता है। इन खूबियों वाले ड्रोन से भारतीय सुरक्षा काफी ताकतवर हो जाएगी।
( लेखक-सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक रहे हैं ।)