Sunday, November 24, 2024
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ब्रज में चढ़ने लगी होली की खुमारी, पहुंच रहे देश-विदेश के भक्त

मथुरा। संपूर्ण ब्रज मंडल में होली का खुमार चढ़ने लगा है। मथुरा, वृंदावन, गोकुल, गोवर्धन, बरसाना, नंदगांव आदि जगहों पर होलिका उत्सव बसंत पंचमी से ही प्रारंभ हो जाता है। इसके बाद होलाष्टक लगते ही फाग उत्सव भी प्रारंभ हो जाता है। रंगभरी एकादशी से इस संपूर्ण क्षेत्र में रंग उत्सव की धूम रहती है। बरसाना में लठमार होली खेली जाती है और वृंदावन में होली का अलग ही नजारा रहता है। वृंदावन की होली में विदेशी भक्त ज्यादा होते हैं। देश-विदेश के पर्यटक होली पर बांकेबिहारी की नगरी में पहुंच जाते हैं और होली की मस्ती उनके कण कण में नजर आती है। वृंदावन की गलियों में होली रास और रंग की तैयारी एक महीने पहले से प्रारंभ हो जाती है। रंगभरी एकादशी के बाद ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में परंपरागत रूप से होली उत्सव शुरू हो जाता है। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर को फूलों से सजाया जाता है और ठाकुर बांके बिहारी लाल की अष्ट प्रहर विशेष पूजा में 56 भोग लगाए जाते हैं। वृंदावन में चारों तरफ केसर, टेसू के फूलों से केसर रंग की धूम नजर आती है और वातावरण सुगंधित हो जाता है। मंदिर में टेसू के रंगों के साथ-साथ चोवा, चंदन और गुलाल के साथ होली खेली जाती है। बांकेबिहारी के दर्शन के लिए दूरदराज से लोग आते है और यहां अबीर गुलाल की मस्ती से सराबोर हो जाते हैं। यहां पर रंगभरी एकादशी से रंगपंचमी तक होली की धूम रहती है। खासकर धुलंडी पर लोग नाचते और गाते है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए बांके बिहारी मंदिर के गोस्वामी गोपी गोस्वामी ने बताया कि बसंत पंचमी के साथ ही बांके बिहारी मंदिर में होली का महोत्सव प्रारंभ हो जाता है। बताइए की भगवान श्रीकृष्ण बसंत पंचमी से वृंदावन से नंदगांव, बरसाना आदि बृज क्षेत्र में जाकर गोपियों के साथ होली खेला करते थे। उसी परंपरा को आज भी माना जाता है। इसी कारण से बांके बिहारी मंदिर में बसंत पंचमी से ही होली की धूम मच जाती है। वहीं उन्होंने बताया कि होली के लिए विशेष रूप से केसर ,चंदन और टेसू के फूलों को मंगवाया जाता है। जिन्हें करीब 20 दिन पहले से ही गर्म पानी में उबालकर तैयार किया जाता है। टेसू के फूल से बने रंग से ठाकुर बांके बिहारी लाल अपने भक्तों के साथ होली खेलते हैं और साथ ही अरारोट से बना अबीर गुलाल भी तैयार किया जाता है। जिसमें चोबा, केसर और गुलाब जल आदि का मिश्रण कर भक्तों के ऊपर डाला जाता है। रंग भरनी एकादशी के दिन से ठाकुर बांके बिहारी लाल जगमोहन में आकर अपने भक्तों के ऊपर टेसू से बने रंगों से होली खेलेंगे। इस मनमोहक दृश्य को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से लाखों श्रद्धालु हर वर्ष कान्हा की नगरी श्रीधाम वृंदावन पहुंचते हैं।