मथुरा। केएमयू की स्किल लैब में एमबीबीएस बैच के छात्र छात्राओं को व्यक्ति के दिल एवं सांस की गति रुकने की स्थिति में कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन (सीपीआर) की जानकारी दी गई। यह कार्यशाला नौ मार्च तक चलेगी। प्रथम दिन एमबीबीएस प्रथम के 30 छात्र छात्राएंओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यशाला के प्रथम दिन विश्वविद्यालय के चांसलर किशन चौधरी ने शुभारंभ करते हुए कहा कि अचेत पड़े व्यक्ति को तुरंत सीपीआर देने से बचाया जा सकता हैं। सीपीआर के बारे में जानने से पहले लोगों को हार्ट अटैक व कार्डियक अरेस्ट में फर्क समझना जरूरी है। हार्ट अटैक पूर्व दिक्कतों की वजह से होता है, जबकि कार्डियक अरेस्ट अचानक होता है। यह खाते समय गले में कोई चीज फंस जाने व दूसरे कई अज्ञात कारणों से हो सकता है। वाइस चांसलर डा. डीडी गुप्ता ने कहा कि प्रशिक्षण में फिलहाल केवल हाथों से सीपीआर शामिल है। कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन एक जीवनरक्षक तकनीक जो ऐसे समय में उपयोगी होती है जब किसी की सांस या दिल की धड़कन रूक गई हो, इसके बारे में भारत की आबादी के केवल 2 प्रतिशत से भी कम लोग जानते है। प्रो. वीसी डा. शरद अग्रवाल ने सीपीआर के महत्व को समझाते हुए छात्रों को बताया कि दिल की गति रूक जाने के तीन से पांच मिनट के भीतर दिमाग में रक्त नहीं पहुंचने पर दिमाग मृत हो जाता है। विवि के रजिस्ट्रार ने बताया कि आंकड़ों की बात करें तो लगभग 80 से 82 प्रतिशत कार्डियक अटैक अस्पताल के बाहर होते हैं। सीपीआर देने के दौरान अपने दोनों हाथों की मदद से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में जोर से और तेजी से पुश करना होता हैं। कार्यशाला में वाइस चांसलर डा. डीडी गुप्ता, प्रो. वीसी डा. शरद अग्रवाल, मेडीकल प्राचार्य डा. पीएन भिसे, रजिस्ट्रार पूरन सिंह, डा. एमके राजा, लैब इंचार्ज डा. दिनेश, एमबीबीएस प्रथम के इंचार्ज डा. हरि नारायण यादव तथा प्रशिक्षण देने वाले चिकित्सक डा. मनू और सुयांश मौजूद रहे।