फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। सदर तहसील में व्याप्त अनियमित तथा भ्रष्टाचार व अन्य अनेकों अनेक समस्याओं को लेकर अधिवक्ताओं की एक बैठक वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रह्म स्वरुप शर्मा एडवोकेट की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सदर तहसील स्थित कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनियमितताओं तथा अन्य अनेकों समस्याओं को लेकर शीघ्र ही इन समस्याओं के समाधान के निराकरण हेतु अधिवक्ता संघर्ष समिति का गठन किया जाएगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता उमाकांत पचौरी एडवोकेट ने बताया कि सदर तहसील में स्थित कार्यालयों में भ्रष्टाचार, अधिकारियों तथा कर्मचारियों की मनमानी के चलते अधिवक्ताओं व वादकारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, यही नहीं तहसील परिसर में साइकिल स्टैंड तथा शौचालयों की भी कोई उचित स्थाई व्यवस्था नहीं है। ऐसी ही अन्य अनेकों अनेक समस्याओं के उचित निराकरण व समाधान के लिए सदर तहसील में एक अधिवक्ता संघर्ष समिति का गठन किया जाना प्रस्तावित है। अधिवक्ता सुभाष चंद्र जैन ने कहा कि सन 2006 सितंबर से लेकर 2017 तक का रिकॉर्ड उपलब्ध ही नहीं है। एस.के. यादव एडवोकेट ने रजिस्ट्रार द्वारा जारी की गई सूचना कि 20000 के नगद भुगतान से अधिक की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग की। वहीं जयवीर सिंह ने लेखपालों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि लेखपाल खतौनी में जान बूझकर हिस्सा गलत बनाते हैं, फिर उसे पीड़ित व्यक्ति से पैसे की मांग कर सही करते हैं। श्री लाल यादव एडवोकेट ने भी आरोप लगाया कि छह-छह महीने बीतने के बाद भी रिकॉर्ड दाखिल खारिज नहीं किए जाते हैं। बैठक का संचालन कर रहे देवेंद्र वशिष्ठ एडवोकेट ने कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार का खुलेआम विरोध करते हुए कहा कि हर विभाग में निर्धारित शुल्क से अधिक रेट लिया जा रहा है। जिसके कारण अधिवक्ता भी परेशान है और वादकारी भी परेशान है। भ्रष्टाचार को समाप्त करने के ही उद्देश्य से इस अधिवक्ता संघर्ष समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है। बैठक में हनुमत सिंह गोरख, रामकुमार मिश्र, उमाकांत पचौरी एडवोकेट, राघवेंद्र सिंह, तुरसनपाल, शिशुपाल सिंह, अजयवीर सिंह, धर्मेंद्र सिंह यादव, चरन सिंह राठौड,़ विक्रम सिंह एडवोकेट, श्रीकृष्ण यादव, गिरीश चंद्र राजोरिया, अबरार हुसैन, विमल कुमार, सत्यवीर धनगर, मुनेश कुमार प्रजापति, इंजीनियर श्याम सिंह यादव, सुनील कुमार, संजय कुमार यादव, रामनरेश यादव एडवोकेट आदि मौजूद रहे।