फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। महात्मा गांधी बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज हिंदी विभाग एवं उ.प्र. पंजाबी अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतिम दिन विद्वानों ने संत, कवियों का गुरमति साहित्य में योगदान विषय पर अपने-अपने शोध प्रस्तुत किये।
गुरमति साहित्य में उत्तर प्रदेश के संत कवियों का योगदान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन संयोजिका डॉ संध्या द्विवेदी और कार्यक्रम समन्वयक अरविंद नारायण मिश्र के निर्देशन पर संपन्न हुआ। कार्यक्रम के अंतिम दिन सर्वप्रथम कृष्ण कुमार कनक और सतीश ने क्रमश गुरमति साहित्य और उत्तर प्रदेश के संत कवि तथा गुरमति साहित्य में संत भीकम का योगदान विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ श्याम सनेही लाल शर्मा ने गुरमति साहित्य और उत्तर प्रदेश के संत कवियों के विविध गूढ़ पक्षों को प्रस्तुत किया। साकार और निराकार पक्ष को भी उन्होंने विस्तृत रूप से आलेखित किया। समन्वयक अरविंद नारायण मिश्र ने संगोष्ठी के उद्देश्य से अवगत कराया। उन्होंने पंजाबी साहित्य को अन्य भाषाओं और विषयों से जोड़कर अन्वेषण करने पर ही इसकी व्यापकता को बल मिलेगा। यायावर ने कहा कि गुरमति साहित्य से तात्पर्य हैं कि गुरु शिष्य परंपरा में जो सिद्धांत प्रतिपादित किए गए है,ं उनके देवत्व तत्वों को समझकर उनसे स्वस्थ समाज की स्थापना की ओर अग्रसर होना। संत कवियों की रचनाओं से स्पष्ट है कि समानता आधारित समाज को, कुरीतियों से रहित समाज को ओर अग्रसर होना ही गुरमति साहित्य का प्रमुख उद्देश्य है। जो गुरुनानक की परंपरा से लेकर कबीर और रैदास जैसे कवियों की कृति में झलकता है। वृंदावन शोध संस्थान के निदेशक डॉ राजीव द्विवेदी ने ऐसी संगोष्ठियों के भविष्य में आयोजन की कामना करते हुए अपने तथा वृंदावन शोध संस्थान के संपूर्ण सहयोग का आश्वाशन दिया। संगोष्ठी के आयोजन में सहयोग प्रदान करने वाले सभी शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारियों तथा एनएसएस और अन्य छात्राओं को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डा प्रिया सिंह एवं समापन सत्र का कुशल संचालन डॉ एकता द्वारा किया गया। प्राचार्या डॉ अंजु शर्मा ने संगोष्ठी के सफल संचालन और आयोजन हेतु शुभाशीष प्रदान किया। कार्यक्रम में सचिव सतीश चंद्र गुप्ता, पूर्व सचिव अनिल उपाध्याय, डा प्रियदर्शिनी, डा प्रिया, शवनम, निशा, ममता, अरुणा, अनिल, उपेंद्र आदि सम्मिलित रहे।