♦ किसानों के लिए चिकित्सा, रात को ठहरने की व्यवस्था नहीं
♦ मंडी में पीने के लिए पानी नहीं, आरओ सम्बर्सिबल हैं खराब
मथुराः श्याम बिहारी भार्गव। किसानों के हितैषी होने का हर कोई दम्भ भर रहा है। किसान के लिए राजनीतिक दल धरती पुत्र, अन्नदाता जैसे लुभावने शब्दों का उपयोग करते थकते नहीं हैं, हकीकत इसके उलट है। यहां तक कि करोडों की टैक्स वसूली के बाद भी मंडी समिति जैसी जगह पर किसानों के लिए सुविधा के नाम पर सब शून्य ही है। मंडी समिति की ओर से न किसानों के लिए पीने के पानी की सुविधा है और नहीं रात में ठहरने के लिए कोई समुचित व्यवस्था है। यहां तक कि अगर भीषण गर्मी में कोई किसान बीमार पड़ जाता है तो मंडी में प्राथमिक उपचार तक की सुविधा नहीं है। यह सब तब है जब मंडी समिति ने किसान और आढ़तियों से वित्त वर्ष के दौरान करीब 12 करोड़ की टैक्स वसूली की है। यह लक्ष्य के सापेक्ष 100 प्रतिशत से अधिक है और मंडल में कर संग्रहण में मंडी समिति मथुरा प्रथम स्थान पर है। होने को तो कभी मंडी समिति में किसानों के पशुओं के लिए पशु चिकित्सालय भी था जिसकी बिल्डिंग आज भी कभी बहुत कुछ होने की निशानी के रूप में मौजूद है। बरसात के समय फसल खराब न हो इसके लिए छह टीन शेड किसानों के लिए बनाये गये थे। इनमें से पांच टीन सेड आढतियों को आवंटित कर दिये गये हैं। किसानों के लिए धूप, बरसात, सर्दी में बैठने तक के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है।
पानी की टंकी, आरओ प्लांट खराब
मंडी में पीने के पानी की दो टंकियां हैं जो बंद पडी हैं। विधायक निधि से लगा आरओ प्लांट भी खराब पडा है। पीने के पानी की सुविधा समाजसेवियों द्वारा टैंकर भेजकर पूरी कराई जा रही है। सुबह शाम पानी के टैंकर भेजे जाते हैं। मंडी सचिव ने बताया कि पांच समर लगवाई हैं, समिति में पानी खारा है। चुनाव की वजह से ध्यान नहीं दिया जा सका है। इसलिए कुछ कमी आ गई होगी। आरओ की एक हजार लीटर की क्षमता है विधायक निधि से आरओ लगा था।
12 बैड का रेन बसेरा वर्षों से खुला ही नहीं
किसानों के लिए रात के समय रुकने की व्यवस्था मंडी समिति में की गई थी। दो कमरों का एक रेन बसेरा है जिसमें 12 बैड हैं लेकिन यह रेन बसेरा वर्षों से खुला ही नहीं। सचिव ने बताया कि कोई किसान रुकता ही नहीं है। अगर किसान रुकना चाहे तो रूक सकता है।
‘‘लक्ष्य के सापेक्ष 100 प्रतिशत वसूली हुई है। मंडल में प्रथम स्थान है। इस वित्त वर्ष में मंडी समिति द्वारा किसान और आढ़तियों से 7 करोड़ 78 लाख टैक्स मंडी शुल्क के रूप में वसूला गया है। विकास सेस के रूप में 3 तीन करोड़ 8945 रुपये वसूला गया है। करीब 12 करोड़ बैठता है।’’
-राजेन्द्र कुमार सिंह, सचिव मंडी समिति मथुरा