राजीव रंजन नागः नई दिल्ली। केंद्र ने विवादास्पद ट्रेनी सिविल सर्वेंट पूजा खेडकर को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। एक महीने पहले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सरकारी सेवा की सबसे अधिक भरोसेमंद संसथानों में से एक यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (य़ूपीएससी) ने उनका चयन रद्द कर दिया था। सुश्री खेडकर को धोखाधड़ी करने और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और विकलांगता कोटा लाभों का गलत तरीके से लाभ उठाने का दोषी पाया गया था। हालांकि सुश्री खेडकर ने सभी आरोपों से इँकार किया है।
उनका चयन रद्द करने के बाद, यूपीएससी ने उन्हें आजीवन प्रवेश परीक्षा देने से रोक दिया था। यूपीएससी ने उन्हें कई बार परीक्षा देने के लिए अपनी पहचान को गलत बताने का दोषी पाया। विवाद के बाद, यूपीएससी ने 2009 और 2023 के बीच आईएएस स्क्रीनिंग प्रक्रिया को पास करने वाले 15,000 से अधिक उम्मीदवारों के डेटा की जांच की थी। यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा नियमों का हवाला देते हुए कहा था, ‘इस विस्तृत अभ्यास के बाद, सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के मामले को छोड़कर, किसी अन्य उम्मीदवार ने सीएसई नियमों के तहत अनुमत संख्या से अधिक प्रयास नहीं किए हैं।’
सुश्री खेडकर की मुश्किलें जून में शुरू हुईं जब पुणे कलेक्टर सुहास दिवासे ने महाराष्ट्र की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक को पत्र लिखकर प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी की कार, स्टाफ और एक कार्यालय जैसे भत्तों की मांग को चिन्हित किया, जिसकी वह अपने दो साल के परिवीक्षा के दौरान हकदार नहीं थीं। इसके बाद, सुश्री खेडकर को वाशिम स्थानांतरित कर दिया गया।
विवाद के बीच, आईएएस के लिए उनका चयन सुर्खियों में आया। यह पाया गया कि उन्होंने ओबीसी उम्मीदवारों और विकलांग व्यक्तियों के लिए रियायती मानदंडों का लाभ उठाया था। फिर यह पता चला कि उनके पिता, जो महाराष्ट्र सरकार के पूर्व अधिकारी थे, के पास 40 करोड़ रुपये की संपत्ति थी और वह ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर टैग के लिए योग्य नहीं थीं। यह भी सामने आया कि विकलांगता के लिए छूट की पुष्टि करने के लिए वह सरकारी सुविधा में अनिवार्य स्वास्थ्य जांच के लिए उपस्थित नहीं हुई थीं। उनकी सरपंच मां द्वारा लोगों को धमकाने के लिए बंदूक लहराने का एक वीडियो भी सामने आया था। बाद में मनोरमा खेडकर को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके पिता दिलीप खेडकर पर अब आय से अधिक सम्पत्ति रखने के मामले में जांच चल रही है।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को 30 से अधिक शिकायतें मिली हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि चयनित उम्मीदवारों ने अपनी साख और अन्य विवरणों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है। इस बीच पूजा खेडकर ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह एम्स में अपनी चिकित्सकीय जांच कराने को तैयार हैं, क्योंकि शहर की दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि उनका एक विकलांगता प्रमाण पत्र ‘जाली’ और ‘फर्जी’ हो सकता है। धोखाधड़ी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तथा विकलांगता कोटा लाभ गलत तरीके से लेने के आरोपी खेडकर ने यह दलील तब दी जब अदालत आपराधिक मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘मैं अपनी मेडिकल जांच करवाने को तैयार हूं। पहले उन्होंने कहा कि मैंने अपना नाम बदल लिया है। अब वे कहते हैं कि विकलांगता संदिग्ध है। मैं एम्स जाने को तैयार हूं।’