ऊंचाहार, रायबरेली। बुधवार को क्वार मास की अमावस्या को सर्व पितृ विसर्जन के अवसर पर बड़ी संख्या में लोगों ने गंगा के गोकना घाट पर पितरों को तर्पण दिया। मान्यता है कि इस दिन लोग अपने पितरों को शान्ति देने और मोक्ष की कामना से उनका तर्पण, पिंडदान और हवन आदि करते हैं। बुधवार को पितृपक्ष की समाप्ति के मौके पर बड़ी संख्या में लोगों ने गंगा घाट पहुंच कर पितरों की आत्मा की शांति के लिए विधिविधान से तर्पण, पिंडदान किया। बाद में हवन पूजन कर ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन कराया और यथाशक्ति दान दक्षिणा देकर कल्याण की कामना की। तीर्थ पुरोहित व गंगा गोकर्ण जनकल्याण समिति के सचिव पण्डित जितेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि सर्व पितृ विसर्जन के दिन उन पितरों को तर्पण दिया जाता है। जिनका तिथि अनुसार श्राद्ध न हो पाया हो, इसलिए इसे सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन हिंदू धर्म में लोग अपने पितरों को शांति देने और मोक्ष देने के लिए उनका तर्पण, पिंडदान आदि करते हैं और उन्हें भू-लोक से विदाई देते हैं। धर्मशास्त्र में पितरों को शांति देने के लिए कई तरह के उपाय बताए गए हैं। जिनके माध्यम से पितृ प्रसन्न होकर मोक्ष को प्राप्त हो जाते हैं, लेकिन पितृ विसर्जन अमावस्या पर हवन का सबसे अधिक महत्व बताया गया है।