Sunday, November 24, 2024
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तिरुपति लड्डू प्रसाद मामले की जांच अब एक स्वतंत्र एसआईटी करेगी

कविता पंतः नयी दिल्ली। तिरुपति लड्डू प्रसाद मामले की जांच अब एक स्वतंत्र विशेष जांच दल (एसआईटी) करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार की तरफ से गठित एसआईटी को लेकर उठ रहे सवालों के मद्देनजर नई एसआईटी का गठन किया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इस जांच दल में सीबीआई के दो अधिकारी होंगे, दो अधिकारी आंध्र प्रदेश पुलिस के होंगे और एक अधिकारी फूड स्टैंडर्ड एंड सेफ्टी अथॉरिटी (एफएसएसएआई) का होगा। जांच की निगरानी सीबीआई निदेशक करेंगे।
करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के केन्‍द्र तिरुपति बालाजी मंदिर में आंध्र प्रदेश की पिछली जगन मोहन रेड्डी सरकार के दौरान चढ़ाए जा रहे प्रसाद में पशुओं की चर्बी की मिलावट का आरोप लगा था।
यह आरोप आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने लगाया था। उन्होंने कहा था कि प्रसाद में इस्तेमाल किए जा रहे घी में एनीमल फैट यानी पशुओं की चर्बी की मिलावट पाई गई है। इस बात के सामने आते ही लोगो में गहरी नाराजगी फैल गई थी। बाद में इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुई।
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के करीबी रिश्तेदार वाई.वी. सुब्बा रेड्डी और पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका में इस बात पर सवाल उठाया गया कि चंद्रबाबू नायडू ने जांच पूरी होने से पहले ही राजनीतिक लाभ के लिए बयान दिया। उन्होंने कहा कि घी के जो 4 टैंकर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के पास जांच के लिए भेजे गए थे, उन्हें प्रसाद बनाने में इस्तेमाल नहीं किया गया था।
राज्य सरकार के निष्पक्षता को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केन्‍द्र सरकार से पूछा था कि राज्य सरकार की तरफ से बनाई गई एसआईटी को जांच करने दिया जाए या किसी दूसरी संस्था को यह ज़िम्मेदारी दी जाये। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकार के एसआईटी में सभी बेदाग और अच्छे अधिकारी हैं। उन्हें जांच करने देना चाहिए। बेहतर जांच के लिए उनकी निगरानी का काम एक केन्‍द्रीय वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को सौंप देना चाहिए।
वाई. वी. सुब्बा रेड्डी के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस सुझाव का विरोध किया। उनकी मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट अपनी तरफ से एसआईटी गठित करे। आखिरकार जस्टिस बी.आर. गवई और के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि वह एक एसआईटी बना रहे हैं। इसमें दो अधिकारी सीबीआई के होंगे, दो आंध्र प्रदेश पुलिस के होंगे और एक अधिकारी एफएसएसएआई का होगा। कोर्ट ने कहा कि एसआईटी में आंध्र प्रदेश पुलिस के जो अधिकारी होंगे, उनका नाम आंध्र प्रदेश सरकार तय करेगी, एफएसएसएआई के अधिकारी का चयन एफएसएसएआई के अध्यक्ष करेंगे। कोर्ट का कहना था कि एफएसएसएआई खाद्य मिलावट के मामलों में विशेषज्ञ संस्था है। ऐसे में उसके एक अधिकारी की मौजूदगी से जांच बेहतर हो सकेगी।
इस आदेश के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले का निपटारा कर दिया है। भविष्य में सुप्रीम कोर्ट या राज्य सरकार के पास कोई रिपोर्ट नहीं आएगी। एसआईटी स्वतंत्र जांच करेगी और जांच के आधार पर अगर किसी पर मुकदमा चलाने की जरूरत हुई तो वह निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर भविष्य में इस जांच को लेकर किसी को कोई समस्या होती है तो वह वापस उसका दरवाजा खटखटा सकता है।
इससे पहले 30 सितम्‍बर की सुनवाई में जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि जब प्रसाद में पशु चर्बी होने की जांच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एसआईटी को दे दी थी तब उन्हें मीडिया में जाने की क्या जरूरत थी। कम से कम भगवान को तो राजनीति से दूर रखें।
इसके बाद एक अक्टूबर को आंध्र प्रदेश पुलिस ने मामले की एसआईटी जांच रोक दी।