लखनऊ, जन सामना ब्यूरो। प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के अथक प्रयासों के फलस्वरूप लोक सेवा आयोग द्वारा 2065 चयनित चिकित्सकों की सूची जारी कर दी गई है। जल्द ही इनकी तैनाती प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कर दी जाएगी। इन चिकित्सकों की तैनाती के उपरान्त अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी दूर होगी और मरीजों को बेहतर ढंग से उपचार की सुविधा उपलब्ध होगी। सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि प्रदेश के सभी चिकित्सालयों में चिकित्सकों की कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। उन्होंने बताया कि चिकित्सकों के भर्ती की प्रक्रिया प्राथमिकता पर सुनिश्चित की जा रही है, ताकि प्रदेश के समस्त अस्पतालों में मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध हो सके और विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव न रहे। उन्होंने कहा कि लोक सेवा आयोग से कहा गया है कि वे चिकित्सा विभाग के अधियाचन को प्राथमिकता दें तथा चिकित्सकों के लम्बित रिक्त पदों के भरने में तेजी लायें।स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में काफी लम्बे समय से 7328 चिकित्सकों के पद रिक्त चल रहे थे, इन पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पूरी तरह बंद थी। जिसके कारण अस्पतालों में हर वर्ष चिकित्सकों का अभाव होता चला गया और बहुत से अस्पताल चिकित्सकों की भारी कमी हो गई। उन्होंने बताया कि वर्तमान सरकार ने अस्पतालों मे चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है, जिसके फलस्वरूप लोक सेवा आयोग से बेहतर समन्वय स्थापित कर भर्ती प्रक्रिया मेें तेजी लाने का प्रयास किया गया। आयोग ने इस प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुए चिकित्सकों की भर्ती पर विशेष ध्यान दिया। जिसके परिणाम स्वरूप 2065 चिकित्सकों की सूची जारी कर दी गई है। श्री सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष 2014-15 में 2220 तथा वर्ष 2015-16 में 1066 कुल 3286 चिकित्सकों का अधियाचन आयोग को भेजा गया था। जिसमें से आयोग द्वारा 2065 चिकित्सकों की नियुक्ति के आदेश अब जारी किए गए हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 में 1181 तथा वर्ष 2017-18 में 1173 कुल 2354 चिकित्सकों की भर्ती का अधियाचन भी आयोग को भेजा जा चुका है। इस प्रकार कुल 5640 पदों का अधियाचन लोक सेवा आयोग को भेजा गया है। उन्होंने बताया कि आयोग से अपेक्षा की गई है कि शेष चिकित्सकों के रिक्त पदों की भर्ती को प्राथमिकता दें, ताकि राज्य के शासकीय अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी दूर की जा सके और मरीजों को सुचारू रूप से चिकित्सा सुविधाएं सुलभ कराई जा सकें।