इलाहाबाद, जन सामना ब्यूरो। राजस्व कार्यालयों की कार्यप्रणाली और अभिलेखीय व्यवस्थाओं में आमूल परिवर्तन करते हुये उसे पारदर्शी और जनसुलभ बनाने की दिशा में व्यापक पहल का आगाज हो चुका है। राजस्व अभिलेखों में खासतौर पर खतौनी आदि के प्रारूप तथा असंक्रमणीय भूमि की पहचान को ऑनलाइन उपलब्ध कराने की व्यवस्था राजस्व परिषद द्वारा कर दी गयी है। इससे राजस्व कार्याें में पारदर्शिता बढ़ेगी तथा कार्य में तेजी भी आयेगी। यह जानकारी राजस्व परिषद के अध्यक्ष प्रवीर कुमार के द्वारा दी गयी। अध्यक्ष राजस्व परिषद सरकिट हाउस के सभागार में इलाहाबाद मण्डल के राजस्व अधिकारियों को राजस्व परिषद की कार्य प्रणाली में आधुनिक परिवर्तनों की जानकारी दे रहे थे। बैठक में मण्डलायुक्त डॉ0 आशीष कुमार गोयल के साथ इलाहाबाद, फतेहपुर, कौशाम्बी तथा प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी एवं राजस्व सम्बन्धी अधिकारी उपस्थित थे। प्रवीर कुमार ने अधिकारियों को बताया कि राजस्व परिषद में राजस्व अभिलेखों को सूक्ष्म से लेकर उच्चतम स्तर तक ऑनलाइन मॉनिटरिंग के दायरे में ला दिया है। उन्होंने एंटी भू-माफिया पोर्टल के बारे में बताते हुये कहा कि 17 अगस्त के शासनादेश से अवैध कब्जा तथा भू-माफिया के मामलों में कार्रवाई किया जाना और आसान कर दिया है तथा यह व्यवस्था की गयी है जिसमें जनपद स्तरीय अधिकारी इसके लिये निर्धारित पोर्टल पर ही शिकायत दर्ज करें तथा अवैध कब्जे पर शिकायतों की सुनवाई एंटी भू-माफिया पोर्टल पर दर्ज किये जाने के उपरान्त हो सकेगी। अध्यक्ष ने यह निर्देश दिये कि विभागवार हर स्तर की शिकायतों को पहले चिन्हित कर लिया जाय तथा उन्हें एंटी भू-माफिया पार्टल पर ही दर्ज कराया जाय। इसके लिये उन्होंने सभी जनपदों को निर्देशित किया कि वे सूचनाओं को निरंतर सिस्टम पर रखें तथा उसकी मॉनीटरिंग भी ऑनलाइन करायें। इस सम्बन्ध में अध्यक्ष ने कहा कि अवैध कब्जों एवं अतिक्रमणों की सूचनाएं संदेशवाहक से भेजने में कार्रवाई में विलम्ब हेाता है। इसके स्थान पर भू-माफिया पोर्टल पर दर्ज सूचना ही कार्रवाई की दिशा निर्धारित करा देगी। अध्यक्ष ने अधिकारियों को सजग किया कि अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई को 08 मई, 2017 के शासनादेश में दी गयी व्यवस्था के अनुरूप ही कार्रवाई की जाय। जिसमें यह निर्देश दिया गया कि कार्रवाई राजस्व नियमों के अनुरूप इस तरह पुख्ता तरीके से की जाय जिससे अवैध कब्जेदारों के विरूद्ध सरकारी पक्ष मजबूती के साथ सामने आये तथा भू-माफिया के बचने का कोई अवसर न मिले। अध्यक्ष ने अधिकारियों को यह जानकारी दी कि 09 मार्च को निर्गत आदेश में अब प्रदेश के हर खेत तथा हर घाटे को एक यूनिककोड देकर उसकी डिजिटल पहचान निर्धारित करने की व्यवस्था की गयी है। इस व्यवस्था में प्रदेश के हर भू-क्षेत्र को एक डिजिटल यूनिकोड की पहचान दी गयी है। जिसके आधार पर सभी भू-क्षेत्र को भूमि श्रेणी के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किये गये हैैं। प्रदेश के हर खेत एवं भू-भाग को दी गयी यूनिक कोडिंग में 06 डिजिट राजस्व ग्राम की पहचान होगी, उसके बाद 04 डिजिट गाटा की पहचान होगी, अगली 04 डिजिट अन्य विभाजन प्रदर्शित करेंगी तथा अन्तिम 15वीं तथा 16वीं डिजिट भू-क्षेत्र की श्रेणी अर्थात खतौनी के अनुसार प्रारूप यथा क, ख आदि को प्रदर्शित करेगी।
हर भू-क्षेत्र को श्रेणीवार वर्गीकृत किये जाने के लिये अध्यक्ष राजस्व परिषद ने प्रदेश के जिलाधिकारियों को यह बताया कि भू-क्षेत्र की यूनिककोडिंग के बाद इन जमीनों पर अवैध कब्जों को पहचानना आसान हो जायेगा। अध्यक्ष ने कहा कि प्रायः अवैध कब्जे असंक्रमणीय जमीनों पर ही होते हैं,ा चोरी से इन जमीनों की खरीद फरोख्त के समय इनका यूनिककोड यह बता देगा कि यह जमीन असंक्रमणीय है, या संक्रमणीय है। इस प्रकार इन जमीनों का बैनामा रोकने में आसानी होगी, असंक्रमणीय भूमि की बिक्री नही हो सकती इसके लिये हर ऐसे भू-क्षेत्र के संदर्भ में निर्णय लेने के लिये वे शीघ्र जिलाधिकारियों को अधिकृत कर देंगे। अध्यक्ष ने यह निर्देश दिये कि सभी जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करायें कि बैनामे में जमीन का विवरण तथा यूनिककोड अनिवार्यरूप से अंकित कराया जाय। इससे जहां एकओर जनता को भू-माफियाओं के छलावे से बचाया जा सकेगा, वहीं कौन सी भूमि कहां तथा कितनी मात्रा में असंक्रमणीय है इसकी पहचान आसान हो जायेगी। उन्होंने इस पोर्टल को भविष्य में जिलाधिकारीगण के लिये शीघ्र ही खोल दिया जायेगा। जिसमें सभी जमीनों का डाटावार विवरण होगा तथा अधिकारियों को केवल यह देखना होगा कि असंक्रमणीय जमीनें अतिक्रमणग्रस्त हैं अथवा नही। इस पोर्टल के माध्यम से भू-माफिया की कार्रवाई पर नियंत्रण करना आसान हो जायेगा।
बैठक में समीक्षा के दौरान मण्डलायुक्त डॉ0 आशीष कुमार गोयल ने बाताया कि मण्डल में चल रही फसली ऋण मोचन की प्रगति बहुत तीव्र है तथा प्रथम चरण की कार्रवाई में ही 11 हजार से अधिक किसानों को ऋण मोचन प्रमाण पत्र मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा दे दिया गया है और शीघ्र ही इसे समय से पूरा कर लिया जायेगा। इसी प्रकार कमिश्नर ने बताया कि आधार सीडिंग तथा खतौनी के पुनः निरीक्षण का कार्य भी तेजी से किया जा रहा है, जिसे तत्समय में ही पूरा कर लिया जायेगा। मण्डलायुक्त द्वारा यह अवगत कराया गया कि केवल 05 माह में ही तहसील दिवस से साढ़े पांच हजार लोगों का धारा 34 के मामलों में निस्तारण कराया गया तथा विभिन्न तहसीलों में बोगस आपत्तियों के तीन हजार से अधिक मामलों को निस्तारित किये गये हैं। इसी प्रकार पैमाइश में भी अधिसंख्य मामले दर्ज करा दिये गये हैं। इससे तहसील दिवसों में आने वाले फरियादियों की संख्या में कमी आयी है तथा शासन के प्रति उनका व्यवहार सकारात्मक हुआ है। अध्यक्ष ने इसकी सराहना करते हुये यह कहा कि आप लोग फरियादियों के मामले हितपद पक्षकार को तत्परता से सुने लेकिन सारहीन आपत्तियों के बहाने नियमानुसार दिये गये समय के उपरान्त तुरंत निस्तारित कर दें। अध्यक्ष ने जिलाधिकारियों को बताया कि भू-लेख की आधार भू-अभिलेख खतौनी का प्रारूप परिषद द्वारा डिजिटाइजेशन किया जा रहा है। जिससे खतौनी ऑनलाइन उपलब्ध रहेगी तथा उसमें होने वाला हर परिवर्तन का पूरा विवरण आदेश में दिखना लिखना अनिवार्य होगा तथा डिजिटल खतौनी पर दृष्य भी होगा। इससे लेखपाल के स्तर पर होने वाली गड़बड़ियों से आमजनता को निजात मिल जायेगी। इस संबन्ध में उन्होंने सभी अधिकारियों को 14 अगस्त, 2017 का आदेश अनुपालित करने को कहा एवं 05-11 के निर्धारित प्रारूप में ही रजिस्ट्रार कानूनगो द्वारा आदेश पारित कराये जाने का निर्देश दिया। राजस्व परिषद के अध्यक्ष ने सभी अधिकारियों से कहा कि राजस्व अभिलेखों का पूरी तरह डिजिटलीकरण एवं कार्याें का संचालन पोर्टल के माध्यम से किया जाना प्रदेश की राजस्व प्रक्रिया में एक ऐतिहासिक परिवर्तन है तथा इस कार्य को सभी अधिकारी पूरे मनोयोग से साकार करने में सहयोग करें।